बसपा प्रमुख मायावती ने आरक्षण के मुद्दे पर आरएसएस पर हमला किया है। ट्वीटर पर मायावती ने कहा कि आरएसएस को अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता छोड़ देनी चाहिए। मायावती की यह प्रतिक्रिया आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर दी है।
मायावती ने कहा कि आरएसएस का अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, ‘आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित और अन्याय है। संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है।’
बता दें कि रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन्हें सौहार्दपूर्ण वातावरण में इस पर विचार-विमर्श करना चाहिए। वैसे यह पहला मौका नहीं था जब मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर ऐसा बयान दिया।
उन्होंने साल 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले भी आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की बात कही थी। तब विपक्षी दलों ने उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ खूब भुनाया था। इसके अलावा तमाम जातीय संगठनों ने उस पर ऐतराज भी जताया था।
मायावती ने कहा कि आरएसएस का अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, ‘आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित और अन्याय है। संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है।’
बता दें कि रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन्हें सौहार्दपूर्ण वातावरण में इस पर विचार-विमर्श करना चाहिए। वैसे यह पहला मौका नहीं था जब मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर ऐसा बयान दिया।
उन्होंने साल 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले भी आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की बात कही थी। तब विपक्षी दलों ने उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ खूब भुनाया था। इसके अलावा तमाम जातीय संगठनों ने उस पर ऐतराज भी जताया था।