बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने घोषणा की है कि लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे। अपने जन्मदिन पर मायावती ने ऐलान किया कि लोकसभा चुनाव में बसपा किसी से गठबंधन नहीं करेगी। कहा अकेले लड़कर ही वह बेहतर रिजल्ट लाएंगे। गठबंधन में चुनाव से हमारी पार्टी को नुकसान होता है। हालांकि उन्होंने चुनाव बाद गठबंधन से इनकार नहीं किया है। कहा कि पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कोई गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी चुनाव के बाद की स्थिति का आकलन करने के बाद किसी भी दल के साथ गठबंधन करने पर विचार करेगी।
मायावती आज अपने जन्मदिन के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि गठबंधन करने से हमारा वोट प्रतिशत भी घट जाता है और अन्य दल को फायदा होता है। इसलिए, अधिकांश पार्टी बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती हैं। हमारी पार्टी अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़कर बेहतर नतीजे लाएगी। हम इसलिए चुनाव अकले लड़ते हैं क्योंकि इसका सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथ में है। गठबंधन कर बसपा का पूरा वोट गठबंधन की पार्टी को चला जाता है, जबकि उस गठबंधन का वोट, विशेषकर अपर कास्ट वोट बसपा को नहीं मिलता। गठबंधन से बसपा को फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा कि सवर्ण वोट बसपा पर ट्रांसफर नहीं होते। इसलिए बसपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। सांप्रदायिक सोच वाली पार्टी से दूरी रखेंगे। अधिकांश दलों की मानसिकता जातिवादी है। उन्होंने कहा कि हर चुनाव में ईवीएम में धांधली हो रही है। ईवीएम के विरोध में बहुत आवाज उठी। देश में निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए।
मायावती ने भाजपा सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि लोगों को फ्री राशन का झांसा देकर गुलाम बनाया जा रहा है। मायावती ने हमला करते हुए कहा कि लोगों को रोजगार देने के बजाय फ्री में थोड़ा सा राशन देकर अपना मोहताज बनाया जा रहा है, जबकि हमने अपनी सरकार के दौरान वर्तमान सरकारों के जैसे लोगों को अपना मोहताज नहीं, बनाया बल्कि सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराए।
मायावती ने कहा कि यूपी में हमारी योजनाओं की नकल की जा रही है। धर्म की आड़ में राजनीति की जा रही है। हमने उत्तर प्रदेश में अपनी चार बार की सरकार में सभी वर्गों के लिए काम किया। अल्पसंख्यक, मुस्लिम, गरीब, किसान और मेहनतकश लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई थीं। इन योजनाओं को सरकारें नाम और स्वरूप बदल कर अपना बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन जातिवादी होने की वजह से यह काम नहीं हो पा रहा है। मायावती ने आगे कहा कि हमने अपनी सरकार में लोगों को सम्मान और स्वाभिमान ऊंचा करने का अवसर भी दिया, लेकिन वर्तमान में यह होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। केंद्र और राज्य सरकार धर्म और संस्कृति की आड़ में राजनीति कर रही है। इससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश ने गिरगिट की तरह बयान बदला। साथ ही संन्यास की बात को बेबुनियाद भी बताया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के लोगों और अल्पसंख्यंको से कहना चाहूंगी कि आपने रोजगार और मान सम्मान के लिए, आगे आने वाली पीढ़ी के लिए, संतो गुरुओं और महापुरुषों अंबेडकर के रास्ते पर चलकर बसपा को मजबूत बनाना है।
*अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भी बोलीं मायावती*
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के न्योते पर मायावती ने कहा, 'मुझे निमंत्रण मिला है, इसका मैंने वहां जाने का फैसला नही किया है क्योंकि पार्टी के काम में व्यस्त हूं। लेकिन जो भी कार्यक्रम होने जा रह है, हमे एतराज नहीं है, स्वागत करते हैं। आगे चलकर बाबरी को लेकर कुछ होगा तो उसका भी स्वागत करेंगे।
*सन्यास लेने की खबरों को भी किया सिरे से खारिज*
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने जन्मदिन पर एक प्रेस वार्ता के दौरान राजनीति से संन्यास लेने की ख़बरों को भी बसपा प्रमुख मायावती ने सिरे से ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद उनके संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह पार्टी को मज़बूत करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगी। लखनऊ स्थित राज्य पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने कहा, ‘पिछले महीने मैंने आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, जिसके बाद मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मैं जल्द ही राजनीति से संन्यास ले सकती हूं। हालांकि, मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि ऐसा नहीं है और मैं पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करना जारी रखूंगी।’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने कहा, ‘गठबंधन से हमें अधिक नुकसान होता है. इसी वजह से देश की ज्यादातर पार्टियां बसपा के साथ गठबंधन करना चाहती हैं। चुनाव के बाद गठबंधन पर विचार किया जा सकता है। अगर संभव हुआ तो चुनाव के बाद बसपा अपना समर्थन दे सकती है, लेकिन हमारी पार्टी अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ेगी।’ उन्होंने कहा, ‘पिछड़े समुदायों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के समर्थन से हमने 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी और इसीलिए हमने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हम उन लोगों से दूरी बनाए रखेंगे, जो जातिवादी हैं और सांप्रदायिकता में विश्वास करते हैं। हम बसपा को अनुकूल फैसला दिलाने में मदद करने के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे।’
खास है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लड़ा था। 1990- 2000 के दौरान बसपा उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखी गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल 12.8 प्रतिशत वोट मिले, जो तीन दशकों में सबसे कम है।
मायावती आज अपने जन्मदिन के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि गठबंधन करने से हमारा वोट प्रतिशत भी घट जाता है और अन्य दल को फायदा होता है। इसलिए, अधिकांश पार्टी बसपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहती हैं। हमारी पार्टी अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़कर बेहतर नतीजे लाएगी। हम इसलिए चुनाव अकले लड़ते हैं क्योंकि इसका सर्वोच्च नेतृत्व एक दलित के हाथ में है। गठबंधन कर बसपा का पूरा वोट गठबंधन की पार्टी को चला जाता है, जबकि उस गठबंधन का वोट, विशेषकर अपर कास्ट वोट बसपा को नहीं मिलता। गठबंधन से बसपा को फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा कि सवर्ण वोट बसपा पर ट्रांसफर नहीं होते। इसलिए बसपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। सांप्रदायिक सोच वाली पार्टी से दूरी रखेंगे। अधिकांश दलों की मानसिकता जातिवादी है। उन्होंने कहा कि हर चुनाव में ईवीएम में धांधली हो रही है। ईवीएम के विरोध में बहुत आवाज उठी। देश में निष्पक्ष चुनाव होना चाहिए।
मायावती ने भाजपा सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि लोगों को फ्री राशन का झांसा देकर गुलाम बनाया जा रहा है। मायावती ने हमला करते हुए कहा कि लोगों को रोजगार देने के बजाय फ्री में थोड़ा सा राशन देकर अपना मोहताज बनाया जा रहा है, जबकि हमने अपनी सरकार के दौरान वर्तमान सरकारों के जैसे लोगों को अपना मोहताज नहीं, बनाया बल्कि सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के साधन उपलब्ध कराए।
मायावती ने कहा कि यूपी में हमारी योजनाओं की नकल की जा रही है। धर्म की आड़ में राजनीति की जा रही है। हमने उत्तर प्रदेश में अपनी चार बार की सरकार में सभी वर्गों के लिए काम किया। अल्पसंख्यक, मुस्लिम, गरीब, किसान और मेहनतकश लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई थीं। इन योजनाओं को सरकारें नाम और स्वरूप बदल कर अपना बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन जातिवादी होने की वजह से यह काम नहीं हो पा रहा है। मायावती ने आगे कहा कि हमने अपनी सरकार में लोगों को सम्मान और स्वाभिमान ऊंचा करने का अवसर भी दिया, लेकिन वर्तमान में यह होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। केंद्र और राज्य सरकार धर्म और संस्कृति की आड़ में राजनीति कर रही है। इससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश ने गिरगिट की तरह बयान बदला। साथ ही संन्यास की बात को बेबुनियाद भी बताया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के लोगों और अल्पसंख्यंको से कहना चाहूंगी कि आपने रोजगार और मान सम्मान के लिए, आगे आने वाली पीढ़ी के लिए, संतो गुरुओं और महापुरुषों अंबेडकर के रास्ते पर चलकर बसपा को मजबूत बनाना है।
*अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भी बोलीं मायावती*
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के न्योते पर मायावती ने कहा, 'मुझे निमंत्रण मिला है, इसका मैंने वहां जाने का फैसला नही किया है क्योंकि पार्टी के काम में व्यस्त हूं। लेकिन जो भी कार्यक्रम होने जा रह है, हमे एतराज नहीं है, स्वागत करते हैं। आगे चलकर बाबरी को लेकर कुछ होगा तो उसका भी स्वागत करेंगे।
*सन्यास लेने की खबरों को भी किया सिरे से खारिज*
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने जन्मदिन पर एक प्रेस वार्ता के दौरान राजनीति से संन्यास लेने की ख़बरों को भी बसपा प्रमुख मायावती ने सिरे से ख़ारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद उनके संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह पार्टी को मज़बूत करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगी। लखनऊ स्थित राज्य पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने कहा, ‘पिछले महीने मैंने आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, जिसके बाद मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मैं जल्द ही राजनीति से संन्यास ले सकती हूं। हालांकि, मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि ऐसा नहीं है और मैं पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करना जारी रखूंगी।’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने कहा, ‘गठबंधन से हमें अधिक नुकसान होता है. इसी वजह से देश की ज्यादातर पार्टियां बसपा के साथ गठबंधन करना चाहती हैं। चुनाव के बाद गठबंधन पर विचार किया जा सकता है। अगर संभव हुआ तो चुनाव के बाद बसपा अपना समर्थन दे सकती है, लेकिन हमारी पार्टी अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ेगी।’ उन्होंने कहा, ‘पिछड़े समुदायों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के समर्थन से हमने 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी और इसीलिए हमने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हम उन लोगों से दूरी बनाए रखेंगे, जो जातिवादी हैं और सांप्रदायिकता में विश्वास करते हैं। हम बसपा को अनुकूल फैसला दिलाने में मदद करने के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे।’
खास है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लड़ा था। 1990- 2000 के दौरान बसपा उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखी गई। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल 12.8 प्रतिशत वोट मिले, जो तीन दशकों में सबसे कम है।