जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सीवरेज की सफाई के लिए किसी सफाईकर्मी को चेंबर में न उतरना पड़े। गहलोत के अनुसार, यह काम पूरी तरह से मशीनों से ही कराया जाए। पीयूसीएल राजस्थान ने गहलोत सरकार के इस कदम की सराहना की है।
गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों व सफाईकर्मियों के साथ संवाद के दौरान यह निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने यह निर्देश दिया। गहलोत ने सभी जिलाधिकारियों व नगर निकाय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी सफाईकर्मी को सीवरेज की सफाई के लिए चेंबर में न उतरना पड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह काम पूरी तरह मशीनों से ही करवाया जाए।’ उन्होंने कहा कि सीवरेज की सफाई के लिए चेंबर में उतरने से मौत की कोई घटना नहीं होनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि जिस समर्पण भाव के साथ स्वच्छताकर्मियों व नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों ने काम किया है, उससे कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने में हम कामयाब हो सके हैं।
पीयूसीएल ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है और सफाई कर्मचारी आंदोलन की बडी जीत है। इसमें मैं हम प्रकाश करडले द्वारा राजस्थान में चलाये जा रहे सफाई कर्मचारी आंदोलन को व विल्सन बेजवाडा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जाने वाले आंदोलन की बडी सफलता मानते हैं।
लेकिन अगर तुरन्त आदेश इस और जारी नहीं हुआ, तो ये कोरी घोषणा बन कर रह जायेगा और अगर मशीन की खरीद तत्काल नहीं होती तो भी यह केवल कागजी घोडा बन कर रह जायेगा। जरूरी है कि सरकार आदेश और उसका क्रियान्वयन, मशीन खरीद और अन्य सभी व्यवस्थायें और साथियों निकाइयों द्वारा यह आदेश शक्ति से लागू करना होगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि सीवर की सफाई के लिए कोई भी व्यक्ति को नीचे नहीं उतारा जाएगा केवल मशीन द्वारा ही सीवर सफाई होगी लेकिन हैरानी की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश वही की चारदीवारी के भीतर ही सिमट कर रह जाता है।
2013 में पास किया गया मैनुअल स्कैंवेंजर एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट के अधिनियम के तहत किसी भी सफाई कर्मचारी को किसी भी रूप में मैला साफ नहीं करवाया जा सकता। ऐसा करने पर सज़ा हो सकती है।
नियोजन और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 6 के अनुसार सीवर सफाई के लिए किसी भी प्रकार का ठेका अमान्य है। और यदि बावजूद इसके भी किसी मज़बूरी में अगर सीवर या नाले में सफाईकर्मी उतारा जाता है तो उसे तमाम सुरक्षा उपकरण दिया जाए। और अगर यह नियम नहीं माना गया तो जो भी व्यक्ति सफाई कर्मचारी से यह काम करवा रहा है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों व सफाईकर्मियों के साथ संवाद के दौरान यह निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने यह निर्देश दिया। गहलोत ने सभी जिलाधिकारियों व नगर निकाय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी सफाईकर्मी को सीवरेज की सफाई के लिए चेंबर में न उतरना पड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह काम पूरी तरह मशीनों से ही करवाया जाए।’ उन्होंने कहा कि सीवरेज की सफाई के लिए चेंबर में उतरने से मौत की कोई घटना नहीं होनी चाहिए। गहलोत ने कहा कि जिस समर्पण भाव के साथ स्वच्छताकर्मियों व नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों ने काम किया है, उससे कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने में हम कामयाब हो सके हैं।
पीयूसीएल ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है और सफाई कर्मचारी आंदोलन की बडी जीत है। इसमें मैं हम प्रकाश करडले द्वारा राजस्थान में चलाये जा रहे सफाई कर्मचारी आंदोलन को व विल्सन बेजवाडा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जाने वाले आंदोलन की बडी सफलता मानते हैं।
लेकिन अगर तुरन्त आदेश इस और जारी नहीं हुआ, तो ये कोरी घोषणा बन कर रह जायेगा और अगर मशीन की खरीद तत्काल नहीं होती तो भी यह केवल कागजी घोडा बन कर रह जायेगा। जरूरी है कि सरकार आदेश और उसका क्रियान्वयन, मशीन खरीद और अन्य सभी व्यवस्थायें और साथियों निकाइयों द्वारा यह आदेश शक्ति से लागू करना होगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि सीवर की सफाई के लिए कोई भी व्यक्ति को नीचे नहीं उतारा जाएगा केवल मशीन द्वारा ही सीवर सफाई होगी लेकिन हैरानी की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश वही की चारदीवारी के भीतर ही सिमट कर रह जाता है।
2013 में पास किया गया मैनुअल स्कैंवेंजर एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट के अधिनियम के तहत किसी भी सफाई कर्मचारी को किसी भी रूप में मैला साफ नहीं करवाया जा सकता। ऐसा करने पर सज़ा हो सकती है।
नियोजन और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 6 के अनुसार सीवर सफाई के लिए किसी भी प्रकार का ठेका अमान्य है। और यदि बावजूद इसके भी किसी मज़बूरी में अगर सीवर या नाले में सफाईकर्मी उतारा जाता है तो उसे तमाम सुरक्षा उपकरण दिया जाए। और अगर यह नियम नहीं माना गया तो जो भी व्यक्ति सफाई कर्मचारी से यह काम करवा रहा है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।