मंत्रालय की मिलीभगत से सरपंचों से लाखों की ठगी!

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 22, 2018
छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों के सरपंचों से फर्जी वर्क ऑर्डर के नाम पर 12 लाख रुपए की ठगी का संबंध मंत्रालय से जुड़ता दिख रहा है। ठगी के शिकार सरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों ने पुलिस को बताया है कि ठगों के गिरोह के मास्टर माइंड फोन पर अफसरों से उसकी बात कराते थे, जिसके बाद विकास कार्यों को मंजूरी दिलाने तथा फर्जी वर्क ऑर्डर दिलाने के नाम पर उनसे लाखों रुपए ठगे गए।

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इस खुलासे के बाद अब पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने जांच के घेरे में मंत्रालय के कर्मचारियों को लिया है और उनके मोबाइल कॉल डिटेल निकाले जा रहे हैं।
 
पुलिस का कहना है कि ठग गिरोह का सरगना मनहरण चंद्रा अपने आपको मंत्रालय का बाबू बताया करता था और विकास कार्यों की मंजूरी दिलाने का झांसा सरपंचों को दिया करता था। उसके साथी कैलाश और सुमन उसकी मदद करते थे।
 
ठग मनहरण चंद्रा एक मासिक समाचार पत्र का संपादक भी है और इस हैसियत से भी उसने कई सरकारी ऑफिसों में पैठ बना रखी है। उसके दायरे में कई नेता, कर्मचारी और अफसर शामिल हैं।
 
ठगों का गिरोह देश की कई ग्राम पंचायतों से आने वाले विकास कार्य के प्रस्तावों की जानकारी हासिल करता था और फिर सरपंचों और पंचायत सचिवों का नंबर हासिल कर उन्हें कॉल करके उन्हें लाखों का विकास कार्य का वर्क आर्डर जारी करने का झांसा देता था और बदले में दस से बीस फीसदी कमीशन मांगता था।
 
नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरोह के झांसे में आकर मुंगेली जिले की ग्राम पंचायत नागोपहरी के सरपंच जैत कुमार खांडेकर ने 1.60 लाख रुपए, कबीरधाम जिले के ग्राम खुंटा (कुंडा) निवासी सरपंच प्रतिनिधि सुखचंद भास्कर ने 3 लाख रुपे, जिलेंद्र डाहिरे से 1 लाख रुपए, यशवंत चंद्राकर ने 75 हजार, चेतन राम शिवारे ने डेढ़ लाख, संतोष सोयाम ने 1 लाख 20 हजार, मानिक लाल चंद्राकर ने 75 हजार, लालाराम ने 70 हजार के अलावा पंडरिया, बिलासपुर के दस से अधिक सरपंचों ने गिरोह को लाखों रुपए दे डाले।
 
 

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