जीत गया किसान: 11 दिसंबर को जश्न मनाते हुए घर लौटेंगे अन्नदाता

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 9, 2021
तीनों कृषि कानूनों की वापसी और लंबित मांगों पर सरकार का पत्र प्राप्त करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान किया है। AIKMS ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संगठन इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शानदार सफलता के लिए सभी साथियों के सहयोग की सराहना करता है।



AIKMS ने देशभर के किसान और किसान संगठनों को बधाई देते हुए उनसे इस ऐतिहासिक जीत का जश्न सामूहिक सभाओं के साथ मनाने का आह्वान किया है।
 संयुक्त किसान मोर्चा ने वर्तमान मोर्चों को समाप्त कर 11 दिसम्बर को जश्न के साथ वापस जाने का निर्णय लिया है। अमल के मूल्यांकन और अगली रणनीति के लिए 15 जनवरी 2022 को दिल्ली में बैठक होगी। साथ ही संगठन ने इस संघर्ष के दौरान बहुमूल्य समर्थन देने वालों, विशेष रूप से आईएफटीयू और प्रमस के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है जिन्होंने आंदोलन के दौरान भोजन, सुविधाएं और चिकित्सा शिविर प्रदान किए।

AIKMS ने किसानों पर लखीमपुर खीरी नरसंहार के 5 शहीदों, 26 जनवरी और करनाल की घटना के शहीदों और 700 से अधिक किसानों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने संघर्ष के दौरान अपने प्राणों की आहुति दे दी।

इस प्रकार निकला मुद्दों का समाधान:
1. 3 कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है।

2. सरकार एमएसपी की मांग को पूरा करने के लिए एक समिति का गठन करेगी जिसमें एसकेएम के प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे। समिति का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी किसानों को एमएसपी का आश्वासन कैसे दिया जा सकता है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि राज्यों में एमएसपी पर फसलों की सरकारी खरीद को, जो खरीद की जा रही है, उससे कम नहीं किया जाएगा।

3. सरकार के पत्र में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के विभागों द्वारा आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केसों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाएगा।

4. राज्य सरकारें इस आंदोलन में शहीद हुए सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा देंगे, जिसके लिए हरियाणा और यूपी ने अपनी सहमति दे दी है और पंजाब ने पहले ही घोषणा कर दी है।

5. बिजली विधेयक पर एसकेएम सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद ही संसद में चर्चा की जाएगी।

6. पराली जलाने से संबंधित अधिनियम की धारा 14 और 15 के प्रावधानों से किसानों पर आपराधिक मामलों को हटाया जाएगा।

जारी विज्ञप्ति में AIKMS ने आगे कहा कि इस आंदोलन ने न केवल भारतीय कृषि और किसानों पर कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस नव उदारवादी फासीवादी हमले को निर्णायक रूप से पीछे धकेल दिया है, इसने किसान पक्षधर सुधारों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे में एमएसपी के मुद्दे को भी लाया है। सरकार ने समिति के एजेंडे के रूप में सभी किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है। अभी यह हमारी मांग के करीब नहीं है, जो है;

A) सभी किसानों के लिए सभी फसलों के लिए एमएसपी घोषित हो, 
B) एमएसपी की सी2+50% पर समग्र लागत के अनुसार पारदर्शी रूप से गणना की जाए और घोषित किया जाए,
C) सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें घोषित एमएसपी पर सभी फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी की जाए।

AIKMS ने आगे कहा कि इस जीत ने न केवल एमएसपी के मुद्दे पर पूरे भारत के किसानों में जागरूकता पैदा की है, बल्कि इस मांग के लिए भारत के नागरिकों के बीच व्यापक सहानुभूति और समर्थन पैदा किया है। यदि समिति परिणाम नहीं देती है, तो अब हमारा काम है कि हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष का निर्माण करें, जो उतना ही दृढ़ हो, जैसा कि हमने अभी जीता है।

हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि इस आंदोलन ने अपनी अन्य उपलब्धियों के साथ-साथ आरएसएस के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के सांप्रदायिक और फासीवादी हमले को पीछे धकेल दिया है। इसमें पंजाब द्वारा कोरोना लॉकडाउन 1, हरियाणा में कोरोना लॉकडाउन 2 और 28 जनवरी को गाजीपुर में आरएसएस और पुलिस के हमले के खिलाफ बहादुरी और दृढ़ संकल्प का विशेष महत्व है।

इस आंदोलन ने पूरे भारत में किसानों और उनके संगठनों को एकजुट और गोलबंद करके भारतीय किसानों की कई समस्याओं पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष के लिए बेहतर परिस्थितियों पैदा की हैं। इसने एकमात्र उपाय के रूप में चुनावी विकल्प के विरोध में संघर्ष की जमीन को मजबूत किया है। इसने लोकतांत्रिक ताकतों और लोगों के लिए आवाज उठाने के लिए जगह बनाई है। इसने किसानों के खिलाफ आरएसएस, सरकार और गोदी मीडिया के शरारती प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया है, उनके द्वारा किसानों को राष्ट्र विरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास विफल किए हैं। 

इस महत्वपूर्ण जीत का जश्न मनाया जाना चाहिए। एआईकेएमएस पूरे देश में अपनी सभी इकाइयों और किसानों से जीत को मजबूत, व्यापक करने, एकता में दृढ़ रहने और एमएसपी, कर्ज माफी, आजीविका संसाधनों की रक्षा और अन्य सभी लंबित मुद्दों पर किसानों के जन आंदोलनों का निर्माण करने का आह्वान करता है।

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