19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून और NRC के विरोध का व्यापक असर पूरे देश मे देखने को मिला। छत्तीसगढ़ के तमाम शहरों में भी खुलकर NRC का विरोध करने हजारों लोग सड़कों पर उतरे और इसके खिलाफ अपना नागरिक प्रतिवाद दर्ज किया। इस आंदोलन में कई सामाजिक और धार्मिक संगठन भी शामिल हुए, जिन्होंने धर्मनिरपेक्षता पर अपनी अटूट आस्था दुहराई और धर्म के आधार पर नागरिकता देने का विरोध किया। इन सभी संगठनों ने दिल्ली में आज वामपंथी नेताओं सहित इतिहासकार रामचंद्र गुहा और अन्य बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी और देश के अन्य हिस्सों में चल रहे आंदोलन के बर्बर दमन की भी तीखी निंदा की और आरोप लगाया कि संघी गुंडे पोलिस की वर्दी पहनकर आंदोलनकारियों पर हमले कर रहे हैं और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ के इन प्रदर्शनों मे शामिल लोगों ने मिलकर ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि वे NRC प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे और और इससे संबन्धित कोई भी दस्तावेज़ किसी के भी समक्ष प्रस्तुत नहीं करेंगे।
ये प्रदर्शन राजधानी रायपुर सहित अम्बिकापुर, भिलाई, धमतरी, बिलासपुर, रायगढ़, जशपुर, अम्बिकापुर आदि शहरों में आयोजित किए गए। प्रदर्शन मे वकील, पत्रकार, रंगकर्मी, वामदल, राजनीतिक पार्टियां, विभिन्न समाजसेवी संगठन, पूरे प्रदेश के मजदूर यूनियन के लोग, किसान, छात्र-छात्राएँ, छोटे व्यवसायी, गुमटी ठेले वाले, युवा, घरेलू महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए।
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भिलाई
छत्तीसगढ़ मुक्तिमोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति ने भिलाई संजय नगर मैदान में आम सभा की जिसमें पहले शहीद विरनरायन, अशफाकउल्ला खा, रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद रोशन सिंह को श्रद्धांजलि दी गई फिर वक्ताओं ने NRC और सीएए का विरोध करते हुए समस्त मजदूरों की तरफ़ से जामिया मे हुई बर्बरता का विरोध किया गया।
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रायपुर
राजधानी रायपुर में वामदलों के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग विरोध में शामिल हुए। दिल्ली लाल किला के पास शहीद दिवस मनाने इकठ्ठा हो रहे हजारों लोगों को पुलिस द्वारा गिफ्तार किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए लोगों ने कहा कि संघ नियंत्रित भाजपा सरकार भारत में हिटलर के नक्शेकदम पर चल रही है और धार्मिक घृणा के आधार पर नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू करने की कोशिश कर रही है। इस तरह के कदमों से देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र खत्म होगा और सामाजिक तनाव बढ़ेगा, जो देश की एकता-अखंडता के लिए खतरनाक साबित होगा और देश के बहुलतावादी चरित्र को ही नष्ट करेगा।
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बिलासपुर
बिलासपुर जैसे छोटे शहर में भी NRC और नागरिकता संशोधन के विरोध मे सैकड़ो लोग प्रदर्शन मे शामिल हुए। प्रशासन कि तरफ़ से अहतियातन भारी पुलिस बल तैनात किया गया था जिनके द्वारा लगातार प्रदर्शनकारियों कि विडियो रिकॉर्डिंग भी कि जा रही थी। किसान नेता आनंद मिश्रा ने भाजपा की मोदी-शाह सरकार के इस कदम को संविधानविरोधी बताते हुए लोगों ने कहा कि भारतीय संविधान धर्म या क्षेत्र के आधार पर न नागरिकता तय करती है और न ही एक इंसान के रूप में उनसे कोई भेदभाव करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून स्पष्ट रूप से मुस्लिमों को नागरिक-अधिकारों से वंचित करके हिन्दू राष्ट्र के गठन की आरएसएस की राजनैतिक परियोजना का हिस्सा है, जिसे हमारे देश कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होने कहा कि देश को बांटने का सपना देखने वाले एकदिन खुद ही एमआईटी जाएंगे और देश कि एकता पहले भी अखंड थी और हमेशा रहेगी।
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अम्बिकापुर
अम्बिकापुर में माकपा नेता बालसिंह ने केंद्र द्वारा भाजपा-शासित राज्य सरकारों को नजरबंदी शिविर बनाने के निर्देश दिए जाने की भी तीखी आलोचना की और कहा कि नागरिकता के संबंध में इस सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों से साफ है कि वह इस देश की जनता पर धर्मनिरपेक्ष संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहती है। यहां प्रदर्शन का नेतृत्व ललन सोनी, कृष्णकुमार, सुरेंद्र लाल सिंह, जीतेन्द्र सोढ़ी आदि माकपा नेताओं ने किया।
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दुर्ग
दुर्ग में बृजेन्द्र तिवारी, वकील भारती, सीआर बख्शी, शांत कुमार, डीवीएस रेड्डी, गजेंद्र झा आदि ने, सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह देश के नागरिकों का दुर्भाग्य है कि जिस सरकार को उन्होंने चुना, वही सरकार आज आम जनता से अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए कह रही है, जबकि इस देश के प्रधानमंत्री के पास अपनी पढ़ाई का प्रमाणपत्र तक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश के 38 करोड़ नागरिकों के पास जन्म-प्रमाण पत्र तो क्या, किसी प्रकार का आइडेंटिटी प्रूफ तक नहीं है। उन्होंने कहा कि असम की विवादास्पद एनआरसी तैयार करने में ही कई लग गए, जबकि मोदी सरकार अगले वर्ष अप्रैल-सितम्बर के 6 महीनों में ही पूरे देश का नागरिकता रजिस्टर तैयार करना चाहती है। इससे पूरे देश में अफरा-तफरी और गृहयुद्ध के हालात पैदा हो जाएंगे।
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ये प्रदर्शन राजधानी रायपुर सहित अम्बिकापुर, भिलाई, धमतरी, बिलासपुर, रायगढ़, जशपुर, अम्बिकापुर आदि शहरों में आयोजित किए गए। प्रदर्शन मे वकील, पत्रकार, रंगकर्मी, वामदल, राजनीतिक पार्टियां, विभिन्न समाजसेवी संगठन, पूरे प्रदेश के मजदूर यूनियन के लोग, किसान, छात्र-छात्राएँ, छोटे व्यवसायी, गुमटी ठेले वाले, युवा, घरेलू महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए।
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भिलाई
छत्तीसगढ़ मुक्तिमोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति ने भिलाई संजय नगर मैदान में आम सभा की जिसमें पहले शहीद विरनरायन, अशफाकउल्ला खा, रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद रोशन सिंह को श्रद्धांजलि दी गई फिर वक्ताओं ने NRC और सीएए का विरोध करते हुए समस्त मजदूरों की तरफ़ से जामिया मे हुई बर्बरता का विरोध किया गया।
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रायपुर
राजधानी रायपुर में वामदलों के आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग विरोध में शामिल हुए। दिल्ली लाल किला के पास शहीद दिवस मनाने इकठ्ठा हो रहे हजारों लोगों को पुलिस द्वारा गिफ्तार किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए लोगों ने कहा कि संघ नियंत्रित भाजपा सरकार भारत में हिटलर के नक्शेकदम पर चल रही है और धार्मिक घृणा के आधार पर नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू करने की कोशिश कर रही है। इस तरह के कदमों से देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र खत्म होगा और सामाजिक तनाव बढ़ेगा, जो देश की एकता-अखंडता के लिए खतरनाक साबित होगा और देश के बहुलतावादी चरित्र को ही नष्ट करेगा।
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बिलासपुर
बिलासपुर जैसे छोटे शहर में भी NRC और नागरिकता संशोधन के विरोध मे सैकड़ो लोग प्रदर्शन मे शामिल हुए। प्रशासन कि तरफ़ से अहतियातन भारी पुलिस बल तैनात किया गया था जिनके द्वारा लगातार प्रदर्शनकारियों कि विडियो रिकॉर्डिंग भी कि जा रही थी। किसान नेता आनंद मिश्रा ने भाजपा की मोदी-शाह सरकार के इस कदम को संविधानविरोधी बताते हुए लोगों ने कहा कि भारतीय संविधान धर्म या क्षेत्र के आधार पर न नागरिकता तय करती है और न ही एक इंसान के रूप में उनसे कोई भेदभाव करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून स्पष्ट रूप से मुस्लिमों को नागरिक-अधिकारों से वंचित करके हिन्दू राष्ट्र के गठन की आरएसएस की राजनैतिक परियोजना का हिस्सा है, जिसे हमारे देश कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होने कहा कि देश को बांटने का सपना देखने वाले एकदिन खुद ही एमआईटी जाएंगे और देश कि एकता पहले भी अखंड थी और हमेशा रहेगी।
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अम्बिकापुर
अम्बिकापुर में माकपा नेता बालसिंह ने केंद्र द्वारा भाजपा-शासित राज्य सरकारों को नजरबंदी शिविर बनाने के निर्देश दिए जाने की भी तीखी आलोचना की और कहा कि नागरिकता के संबंध में इस सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों से साफ है कि वह इस देश की जनता पर धर्मनिरपेक्ष संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहती है। यहां प्रदर्शन का नेतृत्व ललन सोनी, कृष्णकुमार, सुरेंद्र लाल सिंह, जीतेन्द्र सोढ़ी आदि माकपा नेताओं ने किया।
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दुर्ग
दुर्ग में बृजेन्द्र तिवारी, वकील भारती, सीआर बख्शी, शांत कुमार, डीवीएस रेड्डी, गजेंद्र झा आदि ने, सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह देश के नागरिकों का दुर्भाग्य है कि जिस सरकार को उन्होंने चुना, वही सरकार आज आम जनता से अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए कह रही है, जबकि इस देश के प्रधानमंत्री के पास अपनी पढ़ाई का प्रमाणपत्र तक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस देश के 38 करोड़ नागरिकों के पास जन्म-प्रमाण पत्र तो क्या, किसी प्रकार का आइडेंटिटी प्रूफ तक नहीं है। उन्होंने कहा कि असम की विवादास्पद एनआरसी तैयार करने में ही कई लग गए, जबकि मोदी सरकार अगले वर्ष अप्रैल-सितम्बर के 6 महीनों में ही पूरे देश का नागरिकता रजिस्टर तैयार करना चाहती है। इससे पूरे देश में अफरा-तफरी और गृहयुद्ध के हालात पैदा हो जाएंगे।