चुनाव प्रचार और सरकार बनाने से समय बचे तो प्रधान सेवक जी थोड़ा SSC पेपर लीक मामले में जांच के लिए आंदोलन कर रहे छात्रों पर भी ध्यान दे लें।

Published on: March 6, 2018

कर्मचारी चयन आयोग (S S C) के पेपर लीक मामले की CBI जांच की मांग कर रहे छात्रों का धरना आज भी जारी है। देश के बड़े त्योहारों में से एक होली जब पूरा देश मना रहा था तो सैकड़ों की संख्या में छात्र  धरने पर बैठे थे । उसी समय प्रधान सेवक से लेकर मंत्री तक लोगों को होली की बधाई देने में और उसके सेलिब्रेशन में  मस्त थे। 


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सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनल तक जब थोड़ा हंगामा बढ़ने लगा तब सोये हुए गृहमंत्री ने आकर   कहा कि हम CBI से जांच करवाने को तैयार हैं पर छात्र यही बात लिखित में चाहते हैं।  यूपी बिहार से लेकर देश के अन्य भागों में बसने वाले मध्यम वर्ग में SSC की कितनी उपयोगिता है यह सब जानते हैं।  हरवाह का लड़का,  दलितों के बच्चे , भूमिहीनों के बच्चे जो अपने बाप को दादा को दूसरों के खेतों में मजदूरी करते देखे हैं, पेट भरने के लिए ऊंची जातियों के घर पल रहे जानवरों के लिए घास काटते देखे हैं, उनके लिए बड़ी सरकारी नौकरी तो महज सपने जैसा ही है। उनके पास भरने के लिए घूस के पैसे नहीं होते, डॉक्टर या इंजीनियरिंग कराने के लिए पैसे नहीं होते ऐसे में  एसएससी जैसा प्लेटफार्म ही नजर आता है।
 
कितने ऐसे बच्चे हैं जो छोटे गांवों से चलकर बड़े शहरों में आकर  परीक्षा की तैयारियां करते हैं। बाप अपना पेट काटकर, रिक्शा चलाकर, मजदूरी करके बेटे को पढ़ाता है ताकि उसकी स्थिति बेहतर हो सके। बेटा भी कभी खिचड़ी खाकर तो कभी भात के सहारे तीन साल, चार साल तक मेहनत करते रहता है। उसे उम्मीद होती है कि इस साल नहीं तो अगले साल मेहनत जरूर रंग लाएगी। 
 
ऐसे में जब इस तरह से धांधलियां सामने आती हैं तो  बेटे का सपना टूटता दिखता है। चार सालों की मेहनत  बर्बाद होते दिखती है। ऐसे में आंदोलन के अलावा क्या रास्ता बचता है ? 
 
उसपर भी सरकार का इस तरह का रवैया देखकर बस मन मे खीझ पैदा होती है। आंदोलन कर रहे इन छात्रों में न जाने कितने ऐसे होंगे जिन्होंने केंद्र में बहुमत की सरकार बनाने में मदद की होगी। रोजगार से लेकर नए तरह के व्यापार तक का प्रलोभन देकर सत्ता में आई सरकार रोजगार के नाम पर पकौड़ा तलने की बात करने लगेगी कौन जानता था ! 
 
नोटबंदी ने पता नहीं कितने छोटे , मझले धंधे चौपट किए उसके बाद GST की मार ने बची कसर निकाल दी। नए रोजगार देने के लिए सरकार के पास कोई प्लान नहीं है। ऐसे में जो युवा मेहनत करके आगे आ रहे हैं बची हुई नौकरियों में निष्पक्षता नहीं दिखाई गई तो उनका सड़कों पर उतरना लाज़िमी है। आखिर CBI से मामले की जांच कराने में सरकार को क्या समस्या हो सकती है ?  ये कौन लोग हैं जो धांधली करके हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ?
 
सरकार को चाहिए कि चुनाव और सरकार बनाने से थोड़ा समय निकालकर इनकी बात भी सुन ले। आखिर मामला हजारों बच्चों के भविष्य का है।

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