कविता: किसान मरें सूखा बरसात, राजा सुनाए मन की बात

Written by Mithun Prajapati | Published on: February 7, 2018
Modi and Farmers
 
कहें जो साधो, सुने अनाड़ी
किसको बात सुनायें
सब लोग आओ पारी पारी
कहें जो साधो सुने अनाड़ी
 
पढ़ा लिखा जो एमए पास
छील रहा वो मेड़ पर घास,
डिग्रीधारी सब मक्खी मारें
देश से जाने की हुई तैयारी।
कहें जो साधो, सुने अनाड़ी
 
जातिवाद पर जब दिये हो वोट
अब क्यों लगे कलेजे को चोट,
हिन्दू, मुस्लिम, दंगा, लफड़ा
प्रशासन हुआ है अत्याचारी
कहें जो साधो, सुने अनाड़ी।
 
बेघर हैं कुछ, कुछ भूंखे लोग
बाबा जी कहे करो तुम योग
भूख प्यास दुःख  दूर भागे
और  भागे दूर सारी बीमारी
कहें जो साधो,  सुने अनाड़ी।
 
गुस्से में बोली अरहर की दाल
सामने आये जो हो माँ  का लाल
दरबे में दुबक के मुर्गी बोली
मुझको भी है जान प्यारी।
कहें जो साधो,  सुने अनाड़ी
 
किसान मरें सूखा बरसात
राजा सुनाए मन की बात
पकौड़ा बेचने को रोजगार बताए
कहे, रही नहीं अब बेरोजगारी
कहें जो साधो, सुने अनाड़ी
 
 
कहें जो साधो, सुने अनाड़ी
किसको बात सुनायें
सब लोग आओ पारी पारी
कहें जो साधो सुने अनाड़ी

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