राजस्थान में किसानों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। नागौर जिले में मूंग बेचने के लिए पंजीकरण कराने को भी किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। समर्थन मूल्य पर मूंग बेचने के लिए किसानों को ई-मित्र केंद्रों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
इस साल किसानों को ज्यादा ही परेशान होना पड़ रहा है। पिछले तीन अक्टूबर को शुरू हुआ पंजीकरण चार अक्टूबर की शाम को ही बंद हो गया था। इसके बाद अलग-अलग दिनों पर केवल दो दिन केवल दो-दो घंटे के लिए पंजीकरण हुए। इस कारण कई किसान पंजीकरण कराने से रह गए।
पत्रिका के अनुसार, किसानों का पंजीकरण न होने का असर खरीद केंद्रों पर भी दिखने लगा है। पिछले साल खरीद के दौरान क्रय विक्रय सहकारी समिति के खरीद केन्द्रों पर किसानों की भीड़ नजर आती थी, लेकिन इस वर्ष बिलकुल अलग तस्वीर नजर आ रही है। किसानों की संख्या कम होने की वजह से खरीद केंद्रों पर लगभग सन्नाटे की स्थिति रहने लगी है।
खरीद केंद्रों में नागौर कृषि उपजमंडी स्थित केंद्र के जरिए अब तक तीन हजार से ज्यादा कट्टों की खरीद की जा चुकी है, लेकिन पिछले साल यह संख्या इसके तीन गुना ज्यादा थी। इसी से खरीद की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मंगलवार को आए किसानों के आवेदन अपलोड करने के प्रयास वेबसाइट भी जवाब दे गई। इस बारे में टोल फ्री नंबरों पर बात करने से भी कोई फायदा नहीं हुआ। सहकारिता के अधिकारियों का कहना था कि इसमें विभाग की कोई भूमिका नहीं है और वे इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।
इस साल किसानों को ज्यादा ही परेशान होना पड़ रहा है। पिछले तीन अक्टूबर को शुरू हुआ पंजीकरण चार अक्टूबर की शाम को ही बंद हो गया था। इसके बाद अलग-अलग दिनों पर केवल दो दिन केवल दो-दो घंटे के लिए पंजीकरण हुए। इस कारण कई किसान पंजीकरण कराने से रह गए।
पत्रिका के अनुसार, किसानों का पंजीकरण न होने का असर खरीद केंद्रों पर भी दिखने लगा है। पिछले साल खरीद के दौरान क्रय विक्रय सहकारी समिति के खरीद केन्द्रों पर किसानों की भीड़ नजर आती थी, लेकिन इस वर्ष बिलकुल अलग तस्वीर नजर आ रही है। किसानों की संख्या कम होने की वजह से खरीद केंद्रों पर लगभग सन्नाटे की स्थिति रहने लगी है।
खरीद केंद्रों में नागौर कृषि उपजमंडी स्थित केंद्र के जरिए अब तक तीन हजार से ज्यादा कट्टों की खरीद की जा चुकी है, लेकिन पिछले साल यह संख्या इसके तीन गुना ज्यादा थी। इसी से खरीद की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मंगलवार को आए किसानों के आवेदन अपलोड करने के प्रयास वेबसाइट भी जवाब दे गई। इस बारे में टोल फ्री नंबरों पर बात करने से भी कोई फायदा नहीं हुआ। सहकारिता के अधिकारियों का कहना था कि इसमें विभाग की कोई भूमिका नहीं है और वे इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।