‘पापा ना गाय खरीदना ना भैंस, वरना वो लोग हमें मार डालेंगे’

Written by फ़ातिमा फ़रहीन, TwoCircles.net | Published on: June 8, 2017
नई दिल्ली : जहां एक तरफ़ दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इफ़्तार पार्टी आयोजित करके मुसलमानों को तुलसी का पौधा लगाने और गोश्त न खाने का संदेश दिया, वहीं आज इसी जामिया के क़रीब जामिया नगर के अबुल फ़ज़ल इलाक़े में स्टूडेन्ट्स इस्लामिक ऑर्गनाईज़ेशन ने ‘इफ़्तार गेट-टूगेदर’ का आयोजन करके उन परिवारों का दर्द बांटने की कोशिश की, जिन्हें ‘राष्ट्रवादी भीड़’ ने अपना निशाना बनाया है.

बुधवार शाम अबुल फ़ज़ल इलाक़े में स्थित एसआईओ के हेडक्वार्टर में इस ‘इफ़्तार गेट-टूगेदर’ में बतौर अतिथि जेएनयू से गायब नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस, अख़लाक के भाई जान मुहम्मद, पहलू खान के बेटे इरशाद खान और इसी घटना में पहलू के साथ भीड़ के शिकार अज़मत खान व रफ़ीक़ खान मौजूद थे.



ये उन परिवार के लोग थे जो पिछले तीन सालों में कभी गौ-हत्या के नाम पर, तो कभी बीफ़ खाने, तो कभी राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसक भीड़ के न सिर्फ़ शिकार हुए हैं, बल्कि इस हिंसक भीड़ के हत्थे चढ़कर अपनी जान भी गंवाई है. इन सभी लोगों ने इफ्तार से पहले बातचीत में मौजूद लोगों से अपनी आपबीती साझा की.

इस ‘इफ़्तार गेट-टूगेदर’ में शामिल रफ़ीक़ खान TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताया कि, इस हादसे से पूरा गांव दहशत में है. उनका परिवार इतनी बुरी तरह से डर के माहौल में जी रहा कि उनके घर से निकलने पर भी उनके घर वाले डरते हैं.

आगे डेयरी का काम फिर से करेंगे या नहीं? ये पूछने पर रफ़ीक कहते हैं कि मेरे बच्चे इतने दहशत ज़दा हो गए हैं कि कहते हैं ‘पापा ना गाय खरीदना ना भैंस, वरना वो लोग हमें मार डालेंगे’. रफ़ीक़ को आज भी वो दिन है. वो बताते हैं कि जैसे ही उस दिन की याद आती है तो मैं सहम जाता हूं.

आगे बातचीत में वो बताते हैं कि, अब उनका परिवार गौ-पालन और दूध बेचने का ही काम करता आया है. हमने अपनी भैंस बेचकर गाय खरीदने गए थे, लेकिन अब हमारे पास न तो गाय है और न ही पैसे.

बताते चलें कि रफ़ीक़ खान 01 अप्रैल को पहलू खान के साथ ही जयपुर पशु मेले से गाय खरीद कर वापस अपने मेवात के नूह गांव आ रहे थे. अलवर के बहरोर में राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर कथित गौरक्षकों ने इनकी भी पिटाई की थी. रफ़ीक़ का कहना है कि पहलू खान को उन्होंने सबसे ज़्यादा मारा, क्योंकि उनकी दाढ़ी थी. बार-बार बोल रहे थे कि इस मुल्ले को छोड़ना नहीं. हम भी मार से बेहोश हो गए. अल्लाह का शुक्र है कि हम ज़िन्दा है. लेकिन आज हमारे बीच चाचा नहीं है. पहलू खान दरअसल रफ़ीक़ के चाचा है. स्पष्ट रहे कि 55 साल के पहलू खान ने 3 अप्रैल को अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

यहां यह भी बताते चलें कि पहलू खान के साथ पांच लोग थे. इनके सबके पास गाय से जुड़े तमाम कागज़ात व रसीदें मौजूद थी. इन रसीदों में इन लोगों द्वारा जयपुर नगर निगम और दूसरे विभागों को चुकाए गए पैसों की भी रसीद है, जिसके तहत स्पष्ट होता है कि क़ानूनी रूप से गायों को ले जाने का हक़ रखते थे.

इस घटना में रफ़ीक खान की पसली की हड्डी और और नाक की हड्डी टूट गयी थी. लंबे इलाज के बाद अब वो थोड़ा सही हुए हैं.

Courtesy: Two Circles
 

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