देशभक्ति केवल नारा नहीं बल्कि जीवनशैली है- जावेद अख्तर

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 25, 2019
सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ की ओर से आयोजित फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स को संबोधित करते हुए मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि राष्ट्रवाद या देशभक्ति सिर्फ़ नारा नहीं बल्कि जीवनशैली है, जिसे हम भूल चुके हैं.



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अख्तर ने कहा कि ‘राष्ट्रवाद और देशभक्ति का मतलब सामाजिक रूप से जागरूक होना होता है. इसका अर्थ ये है कि हम समाज को एक बड़े फलक पर देखें. हमारी प्राथमिकता हमारा घर और देश होना चाहिए. यह समझना कि इसके लिए क्या सही है, हमें बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है.’

उन्होने कहा, ‘आज हमने सामाजिक प्रतिबद्धता, असली राष्ट्रवाद जैसी कई चीज़ों को पीछे छोड़ दिया है. आज भारत राष्ट्रवादियों और राष्ट्र विरोधियों के बीच बंटा हुआ है. अगर आप किसी बात पर किसी से असहमत होते हैं तो आप राष्ट्र विरोधी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘छात्र-छात्राओं से बातचीत करने में मुझे मज़ा आता हैं. आप उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं, ख़ासकर उनके सवालों से.’

अख्तर ने छात्र-छात्राओं को भारत के भविष्य का ट्रेलर या प्रोमो बताते हुए अख़्तर ने कहा, ‘जब मैं कॉलेज में था जब मॉल और मल्टीप्लेक्स नहीं थे. मैं फिल्म देखने के लिए थियेटर जाता था. उन दिनों यह काफी महंगा था. एक टिकट दो रुपये में आता था. मैं फिल्म ख़त्म होने के बाद उत्सुकता के साथ आने वाली फिल्मों के ट्रेलर का इंतज़ार करता था, क्योंकि फिल्म के लिए पैसा चुकाने के बाद फ्री में ट्रेलर देखना मेरे लिए बोनस की तरह था.’

ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ने पर ज़ोर देते हुए जावेद अख़्तर ने कहा कि युवा आजकल ज़्यादा नहीं पढ़ते. उन्होंने कहा, ‘ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ने की आदत डालने की ज़रूरत हैं. यह एक अच्छा विचार है कि पढ़ने की आदत डालने के लिए आप शुरुआत भारी-भरकम साहित्यिक किताबों से नहीं बल्कि हल्की-फुल्की किताबों से करें. इससे आपके शब्द ज्ञान में बढ़ोतरी होगी. शब्द इंसानों के जैसे ही होते हैं और उन लोगों की वजह से जाने जाते हैं जो उन्हें अपने साथ रखते हैं.’

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