आदिवासियों की परंपरा के हक में बोलने पर फादर स्टेन स्वामी के घर की कुर्की

Written by sabrang india | Published on: October 22, 2019
रांची: पत्थलगड़ी मामले में खूंटी पुलिस ने सोमवार को फादर स्टेन स्वामी के घर की कुर्की की। खूंटी पुलिस ने नामकुम पुलिस के सहयोग से नामकुम के बगईचा स्थित उनके घर की कुर्की की। स्टेन स्वामी पर आरोप है कि उन्होंने पत्थलगड़ी के लिए लोगों को उकसाया। इस मामले में स्टेन स्वामी पर पुलिस ने देशद्रोह की भी धारा लगायी थी।



पुलिस ने उनके खिलाफ देशद्रोह, सोशल मीडिया के माध्यम से पत्थलगड़ी को बढ़ावा देने, सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने, सरकारी योजनाओं का विरोध करने के आरोप भी लगाये थे। झारखंड के खूंटी थाना में 26 जुलाई, 2018 को आइटी एक्ट में एक केस दर्ज किया गया था।

बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में भी फादर स्टेन स्वामी के घर और कार्यालय पर पुणे की पुलिस ने छापेमारी की थी। तलाशी के क्रम में उनका लैपटॉप, 22 सीडी, मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड, एक पेन ड्राइव, डायरी, टैब व पत्रिका के अलावा कुछ एक्टिविस्टों के लेटर आदि जब्त किये थे।

पुणे पुलिस ने कहा था कि पक्की सूचना के आधार पर उसने कार्रवाई की। हिंसा भड़काने में शामिल महाराष्ट्र के एक प्रतिबंधित संगठन के साथ स्टेन स्वामी के तार जुड़े होने की बात कही गयी थी। मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले स्टेन स्वामी लगभग 50 साल से झारखंड के आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं।

क्या है पत्थलगड़ी
आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की पुरानी परंपरा है। इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है। 

दरअसल, पत्थलगड़ी उन पत्थर स्मारकों को कहा जाता है जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हजारों साल पहले की थी। यह एक पाषाणकालीन परंपरा है जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। माना जाता है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रागैतिहासिक मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की। 

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