पंडित जी गुस्से में बोले: "मेरी क्लास में पृथ्वी शेषनाग पर टिकी ही रहेगी"

Written by Mithun Prajapati | Published on: September 9, 2017
वह अक्सर पिट जाया करता था, क्योंकि सवाल वह तार्किक करता था। आम के पेड़ के नीचे हिंदी की क्लास चल रही थी। मास्टर जी हरिश्चन्द्र का पाठ पढ़ा चुके थे। तम्बाकू को हथेलियों के बीच रगड़कर  उसके गर्दे को दो बार ताली की तरह पीटकर अलग किया और मुंह में रखते हुए कहा- तो किसी के मन मे कोई शंका है इस पाठ को लेकर ..?

 
वह खड़ा हुआ और पूछ बैठा- गुरु जी, हरिश्चंद्र ने अपने वचन को निभाने के लिए तारामती और रोहित को बेच दिया, क्या यह उन दोनों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है ?
 
गुरु जी तिलमिला गए। उसे पास बुलाया । कान को गुरुत्वाकर्षण के विपरीत दिशा में खींचते हुए पूछा- इतना भारी भरकम शब्द 'मौलिक अधिकार' कहाँ सुन लिया तूने ?
 
वह चिंचियाते हुए बोला- अभी नागरिक शास्त्र वाले सर जी पढ़ाकर गए।
 
गुरु जी ने उसके कान के नीचे दो दिया और बोले- बेटा, सनातन में मौलिक अधिकार नहीं होता, बस पति परमेश्वर होता है।
 
वह मुंह लटकाए अपनी जगह जाकर बैठ गया। क्लास में बैठे अन्य बच्चों को मजा आ आया। उन बच्चों ने इसे मुंह बना-बनाकर चिढ़ाया।  यह देश मजे लेने में भरोसा रखता है। किसी के पिटने पर मजे लेना, किसी की मौत पर मजे लेना। और ये मजा तब तक आते रहता है  जब तक की मजे लेने वाला खुद न पिट जाए या मार दिया जाए। जहां संवेदना की जरूरत पड़ती है वहां मजे लिए जाते हैं। 
 
उसे पिटने का अफ़सोस नहीं होता, सवाल का उचित जवाब न मिलना उसे  तकलीफ दे जाता है। वह मौलिक अधिकार के बारे में सोच ही रहा था कि संस्कृत वाले पंडित जी आ गए और पृथ्वी से शेषनाग के संबंध का वर्णन करने लगे। पंडित जी ने बताया कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है। वह खड़ा हुआ, बोला- पर विज्ञान के सर जी ने तो बताया है कि पृथ्वी टिकी नहीं है बल्कि सूरज के चारों तरफ घूमती है और अपनी धुरी पर भी घूमती है। 
 
पंडित जी को गुस्सा आ गया। यह सवाल उन्हें नागवार गुजरा। वे जगह पर जाकर उसे कूट दिए फिर कहा- मेरी क्लास में पृथ्वी शेषनाग पर टिकी ही रहेगी, तुम्हें विश्वास नहीं है तो बाहर बैठा करो। बिचारा फिर पिट गया। उसे पता नहीं था कि यह तर्क का नहीं बल्कि भक्ति का दौर है। उसके पिटने से क्लास के कुछ बच्चे बड़े खुश हुए। एक ने कहा, ' पंडित जी से बहस करता है ? इनके पढ़ाए बच्चे न जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गए और तू इनपर ही शक करता है ?'
 
एक बच्चा सपोर्ट में आ गया और बोला- सवाल पूछना हमारा हक़ है। सवाल टीचर से पूछे जा रहे हैं आपको क्यों तकलीफ हो रही है ?
 
एक और लड़का तिलमिला उठा और व्यंग भरी मुस्कान से बोला- एक कुत्ता पिट गया तो  सारे पिल्ले बिलबिला उठे। 
 
सभी खिलखिला कर हंस दिए। कुछ बच्चे अपमान का घूट पीकर शांत बैठे रहे। उन्हें पता था ये पंडित जी के पाले हुए हैं।
 
पंडित जी वहीं खड़े बच्चों का तमाशा देख रहे थे। वह इतनी घटिया टिप्पणी करने वाले लड़के को डांट भी नहीं सकते क्योंकि वह लड़का उनके काम का है। कभी घर से घी ला देता है कभी सब्जियां। सब्जी और घी तर्क के ऊपर कुंडी मारकर बैठे हैं। न्याय का गला दबा रहे हैं। इस क्लास में उन्हीं की चलती है जो गुरु को घी और सब्जियां देने में सक्षम हैं। क्लास बहुत बड़ी है। कुछ बच्चे भूखे स्कूल चले आते हैं । गुरु के लिए घी कहाँ से लाएं ..!
 
पिटा हुआ वह पंडित जी को देखे जा रहा है। उसे लगता है पंडित जी कुछ कहेंगे। पर पंडित जी की इस मामले में बिलकुल रुचि नहीं है जैसे ऑक्सीजन की कमी से मर रहे बच्चों में सरकार की नहीं है।

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