समझौता ब्लास्ट केस में असीमानंद सहित बाकी लोगों के बरी होने के फैसले के खिलाफ HC पहुंची पाकिस्तानी महिला

Written by sabrang india | Published on: July 20, 2019
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद और बाकी आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ एक पाकिस्तानी महिला ने पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट में दस्तक दी है। हफीजाबाद की रहने वाली राहिला वकील के पिता की 2007 में हुए इस धमाके में मौत हो गई थी। बता दें कि इस ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत हो गई थी।

राहिला के पिता मोहम्मद वकील की धमाके में मौत हो गई थी। राहिला ने यूपी के एक रिश्तेदार के जरिए कोर्ट में यह याचिका लगाई है। हालांकि, तकनीकी वजहों से अभी तक हाई कोर्ट के रजिस्ट्री विभाग ने इसे सुनवाई के लिए मंजूरी नहीं दी है। राहिला का प्रतिनिधित्व कर रहे मोमिन मलिक ने कहा, ‘हमने अपील फाइल की है और इस पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है।’ बता दें कि इस मामले में बरी हो चुके आरोपियों के अलावा हरियाणा पुलिस, एनआईए और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।

बता दें कि धमाके के 12 साल बाद आए फैसले में इस साल 20 मार्च को पंचकूला की विशेष एनआईए अदालत ने असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया था। कोर्ट ने माना कि ठोस सबूतों के अभाव में दोषियों को सजा नहीं दी जा सकी। एनआईए या केंद्र सरकार ने भी इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं की।

फैसला सुनाने से कुछ घंटों पहले ही एनआईए कोर्ट के विशेष जज जगदीप सिंह ने राहिला वकील की उस याचिका को ठुकरा दिया था, जिसमें उनके समेत पाकिस्तान के कई प्रत्यक्षदर्शियों से भी पूछताछ की मांग की गई थी। कोर्ट ने माना था कि यह याचिका मामले को लंबा खींचने और पब्लिसिटी पाने की कोशिश है।

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