नई टाउनशिप नीति यूपी: SC/ST की जमीन खरीदने के लिए नहीं लेनी होगी डीएम की अनुमति?

Written by sabrang india | Published on: March 15, 2023
उत्तर प्रदेश में एससी व एसटी की जमीन के लिए डीएम से परमीशन लेने की अनिवार्यता खत्म हो सकती है। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार ऐसा प्रावधान लाने की तैयारी में है। इस अनिवार्यता को नई टाउनशिप नीति के तहत तैयार किया जा रहा है। 



यूपी की योगी सरकार शहरों में लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नियमों में संशोधन करने जा रही है। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष मंगलवार को प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 का प्रस्तुतिकरण किया गया। इसमें कहा गया है कि टाउनशिप बसाने वालों की जमीन की रजिस्ट्री पर 50 फीसदी छूट दी जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप नीति समाप्त हो चुकी है। इंटीग्रेटेड नीति में 500 एकड़ और हाईटेक में 1500 एकड़ जमीन की अनिवार्यता थी। प्रस्तावित नीति में दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 12.5 एकड़ जमीन और अन्य शहरों में 25 एकड़ जमीन पर कालोनियां बसाने की अनुमति दी जाएगी। कालोनियों तक जाने के लिए 24 मीटर और अंदर 12 मीटर सड़क की अनिवार्यता होगी। 

ग्राम समाज, सीलिंग या फिर अन्य विभागों की जमीन लेकर दूसरे स्थान पर छोड़ने की सुविधा मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाएं कृषि भूमि और 50 एकड़ तक मास्टर प्लान में आवासीय भूउपयोग पर कालोनी बसाने का लाइसेंस मिलेगा। ग्राम समाज व अन्य शासकीय भूमि को 60 दिनों में नियमित किया जाएगा। राजस्व संहिता के प्रावधानों के अधीन 12.5 एकड़ से अधिक भूमि लेने की छूट होगी।

बड़े शहरों में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स
10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 50 एकड़ में बहुद्देशीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनेगा। शहरों में स्पोर्ट्स सिटी, फिल्म सिटी, आईटी सिटी, मेडिसिटी, एजुकेशनल हब बनाने का प्रावधान है। 

75 फीसदी जमीन पर अनुबंध
आवंटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना के कुल क्षेत्रफल की 75 फीसदी भूमि होने पर अनुबंध किया जाएगा। पहले यह 60 फीसदी ही था। अपरिहार्य परिस्थितियों में रोड नेटवर्क की 20 फीसदी जमीन को अर्जन करने की अनुमति दी जाएगी। 

बुलंद होंगे भूमाफिया?
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की जमीन को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार के इस नए प्रावधान की वजह से भूमाफियाओं के हौसले फिर से बुलंद होंगे और वो SC/ST की जमीनों पर जबरन कब्जा या फर्जी रजिस्ट्री फिर से करवाना शुरू कर देंगे?

DM की अनुमति लेने का प्रावधान होने की वजह से तमाम SC-ST की जमीनें आसानी से हड़पी नहीं जा सकती थी।

राजस्व संहिता की धारा 98 साफ तौर पर कहती है कि SC/ST वर्ग का कोई व्यक्ति किसी और वर्ग के व्यक्ति को जमीन नहीं बेच सकता, बीमारी या किसी अन्य मजबूरी के चलते अगर जमीन बेचनी होती थी तो एक प्रपत्र भरकर DM की अनुमति लेना आवश्यक होता था, इस प्रकिया के कारण भूमाफिया SC/ST की जमीन पर नज़र रखने से भी घबराते थे। 

बताते चलें कि अभी तक लागू उत्तर प्रदेश जमींदार विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 के तहत अनुसूचित जाति के किसी भी व्यक्ति को अपनी खेती की जमीन किसी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को बेचने के लिए जिलाधिकारी से मंजूरी लेना अनिवार्य है। मंजूरी देते समय जिलाधिकारी यह देखते हैं कि जमीन बेचने के बाद अनुसूचित जाति के व्यक्ति के पास 3.125 एकड़ से कम जमीन बचेगी या नहीं। यदि अनुसूचित जाति के पास 3.125 एकड़ से कम जमीन बच रही हो तो जिलाधिकारी उसे जमीन बेचने की अनुमति नहीं देते हैं।

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