लोकसभा में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) बिल पारित होने के खिलाफ देश भर में डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। IMA की इस हड़ताल में देश भर के करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा डॉक्टर शामिल हैं। साथ ही, दिल्ली एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) और फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने भी इसका समर्थन किया है, लेकिन हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया है। बुधवार सुबह 6 बजे से शुरू हुई हड़ताल गुरुवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी। इस हड़ताल के चलते ज्यादातर अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद हैं।
सूत्रों के अनुसार एसोसिएशन ने कहा है कि ये हड़ताल सरकार को बिल की ख़ामियों के बारे में बताने के लिए की गई है। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि “NMC बिल को लेकर हम लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछली बार जब सदन में बिल पेश हुआ था तब IMA के विरोध पर सरकार ने संशोधन का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में सरकार ने उन्हीं नियमों को लागू कर दिया है। इस बिल से अब नीम हकीम भी डॉक्टर बन जाएंगे।” साथ ही शांतनु सेन ने बताया कि IMA की सभी राज्य शाखाओं को हड़ताल के बारे में सूचित कर दिया है और यह हड़ताल बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी।
दरअसल देश भर के चिकित्सीय संगठनों का कहना है कि बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं जो कि चिकित्सीय वर्ग के लिए उचित नहीं है। इसी कारण से सरकार से बिल को वापस लेते हुए पुनः संशोधन के साथ उसे लाने के लिए मांग की है।
ग़ौरतलब है कि अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी, लेकिन इस बिल के पास होने के बाद NMC बिल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह ले लेगा। बिल के तहत 3.5 लाख नॉन मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
IMA की अपील पर मेरठ समेत प्रदेश के सभी शहरों में चिकित्सक हड़ताल पर हैं। डॉक्टरों के अनुसार नए बिल के मुताबिक होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सक भी रोगियों को अंग्रेजी दवा दे सकेंगे, जिससे आम इंसान की जान के साथ खिलवाड़ भी हो सकता है। इसके साथ ही IMA उत्तराखंड के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने इस बिल को जन विरोधी करार देते हुए चिकित्सा शिक्षा के मानकों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आने की बात कही है।
IMA की हड़ताल भले ही उचित हो परन्तु इससे आम आदमी को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है
बिहार में सरकारी-निजी अस्पतालों में काम बंद होने के कारण दूर दराज़ से आए मरीज़ो को अस्पताल से वापस लौटना पड़ रहा है। एक ओर PMCH, IGIMS, न्यू गार्डिनर और राजवंशी नगर के अस्पतालों में इमरजेंसी के मरीज़ देखे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर IGIMS की ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है। फिलहाल हड़ताल के दौरान देश में ओपीडी सेवाएं भले ही बंद रहेंगी, परन्तु मरीज़ों को इमरजेंसी सेवाएं दी जाएंगी।
सूत्रों के अनुसार एसोसिएशन ने कहा है कि ये हड़ताल सरकार को बिल की ख़ामियों के बारे में बताने के लिए की गई है। IMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि “NMC बिल को लेकर हम लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछली बार जब सदन में बिल पेश हुआ था तब IMA के विरोध पर सरकार ने संशोधन का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में सरकार ने उन्हीं नियमों को लागू कर दिया है। इस बिल से अब नीम हकीम भी डॉक्टर बन जाएंगे।” साथ ही शांतनु सेन ने बताया कि IMA की सभी राज्य शाखाओं को हड़ताल के बारे में सूचित कर दिया है और यह हड़ताल बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी।
दरअसल देश भर के चिकित्सीय संगठनों का कहना है कि बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं जो कि चिकित्सीय वर्ग के लिए उचित नहीं है। इसी कारण से सरकार से बिल को वापस लेते हुए पुनः संशोधन के साथ उसे लाने के लिए मांग की है।
ग़ौरतलब है कि अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी, लेकिन इस बिल के पास होने के बाद NMC बिल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह ले लेगा। बिल के तहत 3.5 लाख नॉन मेडिकल लोगों को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
IMA की अपील पर मेरठ समेत प्रदेश के सभी शहरों में चिकित्सक हड़ताल पर हैं। डॉक्टरों के अनुसार नए बिल के मुताबिक होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सक भी रोगियों को अंग्रेजी दवा दे सकेंगे, जिससे आम इंसान की जान के साथ खिलवाड़ भी हो सकता है। इसके साथ ही IMA उत्तराखंड के महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने इस बिल को जन विरोधी करार देते हुए चिकित्सा शिक्षा के मानकों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आने की बात कही है।
IMA की हड़ताल भले ही उचित हो परन्तु इससे आम आदमी को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है
बिहार में सरकारी-निजी अस्पतालों में काम बंद होने के कारण दूर दराज़ से आए मरीज़ो को अस्पताल से वापस लौटना पड़ रहा है। एक ओर PMCH, IGIMS, न्यू गार्डिनर और राजवंशी नगर के अस्पतालों में इमरजेंसी के मरीज़ देखे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर IGIMS की ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है। फिलहाल हड़ताल के दौरान देश में ओपीडी सेवाएं भले ही बंद रहेंगी, परन्तु मरीज़ों को इमरजेंसी सेवाएं दी जाएंगी।