बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक जनसंहार कांड के अपराधियों की सजा माफी एवं रिहाई के गुजरात भाजपा सरकार के फैसले को रद्द करो, इस मांग के साथ गुरुवार को लोकतांत्रिक जन पहल के तत्वावधान में पटना स्थित गांधी संग्रहालय में एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया जिसमें डेढ़ सौ से ज्यादा लोग शामिल हुए। प्रतिरोध सभा की अध्यक्षता पद्मश्री सुधा वर्गीज ने की और संचालन किया जानीमानी राजनीतिक कार्यकर्ता कंचन बाला ने।
प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि 2014 के बाद का भारत पूरी तरह बदल चुका है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि जिस जमीनी स्तर पर आरएसएस से मुकाबला करने की जरूरत है उस दिशा में किसी राजनीतिक पार्टी का ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी समुदायों में मौजूद उदारवादी सोच रखने वाले व्यक्तियों को आगे आना होगा। समुदायों को भी ऐसे व्यक्तियों के पीछे खड़ा होना होगा। मुस्लिम समुदाय को भी विशेष तौर पर सचेत रहना चाहिए तभी हम मौजूदा चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का यह कहना कि जिन्हें माफी दी गई है वे लोग संस्कारी ब्राह्मण हैं, अपराध से कम नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संघर्षशील विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि हमलोग आपस में बंटे हुए हैं। सिर्फ 33 प्रतिशत वोट लेकर नरेन्द्र मोदी सत्ता में हैं जबकि 66 प्रतिशत लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा की अन्य सरकारें पूरी तरह बेलगाम हो चुकी हैं। वो जो चाहते हैं कर रहे हैं। अदालतें भी उन्हें नहीं रोक पा रही हैं। बिलकिस बानो के मामले में वो जो चाहते थे, वही किया।
भाकपा माले के वरिष्ठ नेता राजाराम ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में सभी ताकतों को एकजुट होकर संघर्ष में उतरना होगा। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील शक्तियों को अपनी इस जिम्मेदारी को निभाना होगा।
एसयूसीआई के युवा नेता सूर्यकर जितेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गुजरात दंगे का दाग़ है। हम बिलकिस बानो के जज्बे को सलाम करते हैं। उन्होंने अन्याय के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और अपराधियों को सजा दिलाई। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पूंजीवाद और पुरूष सत्ता दोनों से लड़ना होगा।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट सुधा अंबष्ठा ने कहा कि बिलकिस बानो के मामले में सारी जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केन्द्र सरकार की संस्था सीबीआई ने की। मुकदमे की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात से बाहर मुंबई सीबीआई कोर्ट फिर मुंबई हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में हुई। इसका मायने हैं कि बिलकिस बानो के मामले में कोर्ट को भी गुजरात भाजपा सरकार की न्यायपरकता पर संदेह रहा है। इसलिए गुजरात सरकार को माफी देने का अधिकार नहीं है। यह फैसला अवैध है।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट अलका वर्मा ने भी कहा कि बिलकिस मामले में गुजरात की भाजपा सरकार के फ़ैसले की अवैधता तो इसी से साबित होती है कि जो क्षमा कमेटी बनाई गई थी उसमें सभी भाजपा समर्थक सदस्य थे। उन्होंने कहा कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ दुर्दांत अपराधियों द्वारा ठंडे दिमाग से जिस बर्बरता के साथ घटनाओं को अंजाम दिया जाता है उसके पीछे भी भयानक संदेश देने की मंशा होती है। बिलकिस मामला भी ऐसा ही है। यहां तो दुर्दांत अपराधियों के पक्ष में पूरी भाजपा सरकार खड़ी है।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट रश्मि सिंह ने कहा कि बिलकिस बानो अन्याय के खिलाफ प्रतीक बन गयी है। अन्याय के खिलाफ यह संघर्ष हम तमाम महिलाओं का संघर्ष है। उन्होंने जल्द से जल्द माफी को रद्द करने की मांग की।
छपरा से आयी सिस्टर ज्योति ने कहा कि बिलकिस बानो के संघर्ष को गांव गांव में महिलाओं के बीच ले जाना है। उन्होंने ने कहा कि आज झूठ व घृणा फैलाने वालों का शासन है।
जमायत इस्लामी हिंद की महिला नेता जेबाईश फिरदौस ने कहा कि विविधता हमारी संस्कृति का मौलिक आधार है। अलग-अलग धर्मों के बावजूद हम परस्पर सबका सम्मान करते हैं। बिलकिस बानो का मामला केवल मुसलमानों का नहीं है, सबका है जो न्याय के पक्ष में खड़े हैं।
जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर जोस ने कहा कि इस मुद्दे पर हम लोगों को जितना काम करना चाहिए था उतना हमलोग नहीं कर सके हैं। यह मामला केवल महिलाओं का नहीं हम सब का है। आज हमारे संविधान के सामने चुनौती है।
सामाजिक कार्यकर्ता फरिफ्ता कौसर ने कहा कि ईश्वर एक है। हम लोगों के इबादत का तरीका अलग-अलग है। लेकिन हम सब एक हैं। इंसानियत असली चीज़ है। जहर फैलाने वालों का हमें एकजुट मुकाबला करना है।
कांग्रेस के आनंद माधव ने कहा कि नफरत छोड़ो, भारत जोड़ो अभियान के तहत हमलोग लगातार आवाज उठा रहे हैं।
बिहार राबीता कमेटी की महिला नेता हुदा ने कहा कि हमारे देश में हजारों बिलकिस बानो हैं। लोग जान और इज्जत के डर से चुप्पी साधे रहते हैं। जो लोग लड़ना चाहते हैं वे पुलिस और न्यायालय के चक्कर में पूरी तरह तोड़ दिए जाते हैं। लेकिन हमें अपनी लड़ाई जारी रखनी है।
प्रो विद्यार्थी विकास ने अपने संबोधन में कहा कि मुसलमानों पर भाजपा, आरएसएस का प्रकारांतर से दलित, पिछड़ों पर हमला है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अंबेडकर, गांधी, जेपी और लोहिया के लोग आज भी नरेंद्र मोदी शासन के खिलाफ खड़े हो रहे हैं, यह एक उम्मीद जगाती है।
एडवोकेट शैलेन्द्र प्रताप ने कहा कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। हमें अभी भी उम्मीद है कि बिलकिस बानो को न्याय मिलेगा।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में सुधा वर्गीज ने कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक जनसंहार कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे ग्यारह दोषी अपराधियों को गुजरात भाजपा सरकार के द्वारा सजा माफ कर रिहा किए जाने और भाजपा द्वारा उनका स्वागत किए जाने से आज पूरा देश शर्म से झुका है।
कंचन बाला ने कहा कि कानून न्याय के लिए होता है। न्याय और कानून में टकराव हो तो हम न्याय के साथ खड़े होंगे। हमारे देश में अनेक जनविरोधी कानून हैं जिसके तहत लोग झूठे मुकदमे में फंसाए जा रहे हैं और जनता का दमन जारी है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशद्रोही और एनआईए जैसे कानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर रही है, यह जग जाहिर है। उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो के मामले में गुजरात भाजपा सरकार के फैसले ने न्याय के शासन को तार-तार कर दिया है। इंसानियत का गला घोंट दिया है।
लोकतांत्रिक जन पहल के संयोजक सत्य नारायण मदन ने कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक हत्याकांड के मामले में सजा माफी से संबंधित गुजरात भाजपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्देश देना गैरजबाबदेह पूर्ण रवैया है।
उन्होंने कहा कि जेल से संबंधित मामले राज्य सरकार के अधीन आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में सजा के वक्त जो माफी के नियम थे यानी 1992 की गुजरात सरकार की माफीनामा नीति, वही लागू होगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह देखना चाहिए था कि यह नीति न्यायपूर्ण है या नहीं।
उन्होंने कहा कि गुजरात भाजपा सरकार की 1992 माफी नीति के तहत राज्य सरकार को यह छूट है कि वह बलात्कार और जनसंहार के दोषियों का भी सजा माफ कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसी नीति की आड़ में गुजरात भाजपा सरकार ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक जनसंहार के दोषियों को रिहा कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमें न्यायालयों की जबाबदेही का सवाल उठाना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति में सुधार की संभावना होती है, इसी सिद्धांत के तहत माफीनामा की नीति को मान्यता दी जाती है। लेकिन मेरा मानना है कि यह कोई व्यक्तिगत अपराध नहीं है। सामुदायिक हिंसा जैसे बलात्कार और जनसंहार के मामले के दोषी अपराधियों को माफी की छूट नहीं मिलनी चाहिए। यह एक सभ्यतागत अपराध है। किसी एक महिला के साथ बलात्कार केवल एक महिला का मामला नहीं है पूरे महिला समुदाय के सामाजिक दमन का सवाल है। यह सामान्य हिंसा नहीं है। इस पुरूष सत्तात्मक समाज में पीड़ित महिला को जीवनभर कलंक झेलना पड़ता है।
प्रतिरोध सभा को संबोधित करने वालों में सत्यम चौधरी, एडवोकेट पल्लवी, अशरफी सदा, सुनीता कुमारी सिन्हा, मंजु डुंगडुंग के अलावा उपस्थित प्रमुख लोगों में मजदूर नेता रामाशीष ठाकुर, एडवोकेट मणिलाल, बिन्दु कुमारी, जियाउल कमर, विजय कुमार चौधरी, मिनतुल्ला, राजीव कुमार, अनवर, भगतजी, सुनीत कुमार, अख्तरी बेगम, स्वामी शशिकांत, नौशाद अंसारी, जाहिदा खातुन, नगमा फिरदौस, विकास कुमार सिंह, रजनी, जहां आरा, उषा, शबनम परवीन, जूही, निर्मल चंद्र, जावेद हसन और अनिल अंशुमान और रेखा कुमारी आदि मौजूद थे।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संघर्षशील विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि हमलोग आपस में बंटे हुए हैं। सिर्फ 33 प्रतिशत वोट लेकर नरेन्द्र मोदी सत्ता में हैं जबकि 66 प्रतिशत लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा की अन्य सरकारें पूरी तरह बेलगाम हो चुकी हैं। वो जो चाहते हैं कर रहे हैं। अदालतें भी उन्हें नहीं रोक पा रही हैं। बिलकिस बानो के मामले में वो जो चाहते थे, वही किया।
भाकपा माले के वरिष्ठ नेता राजाराम ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में सभी ताकतों को एकजुट होकर संघर्ष में उतरना होगा। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील शक्तियों को अपनी इस जिम्मेदारी को निभाना होगा।
एसयूसीआई के युवा नेता सूर्यकर जितेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गुजरात दंगे का दाग़ है। हम बिलकिस बानो के जज्बे को सलाम करते हैं। उन्होंने अन्याय के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और अपराधियों को सजा दिलाई। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पूंजीवाद और पुरूष सत्ता दोनों से लड़ना होगा।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट सुधा अंबष्ठा ने कहा कि बिलकिस बानो के मामले में सारी जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केन्द्र सरकार की संस्था सीबीआई ने की। मुकदमे की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात से बाहर मुंबई सीबीआई कोर्ट फिर मुंबई हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में हुई। इसका मायने हैं कि बिलकिस बानो के मामले में कोर्ट को भी गुजरात भाजपा सरकार की न्यायपरकता पर संदेह रहा है। इसलिए गुजरात सरकार को माफी देने का अधिकार नहीं है। यह फैसला अवैध है।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट अलका वर्मा ने भी कहा कि बिलकिस मामले में गुजरात की भाजपा सरकार के फ़ैसले की अवैधता तो इसी से साबित होती है कि जो क्षमा कमेटी बनाई गई थी उसमें सभी भाजपा समर्थक सदस्य थे। उन्होंने कहा कि दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ दुर्दांत अपराधियों द्वारा ठंडे दिमाग से जिस बर्बरता के साथ घटनाओं को अंजाम दिया जाता है उसके पीछे भी भयानक संदेश देने की मंशा होती है। बिलकिस मामला भी ऐसा ही है। यहां तो दुर्दांत अपराधियों के पक्ष में पूरी भाजपा सरकार खड़ी है।
पटना हाईकोर्ट की एडवोकेट रश्मि सिंह ने कहा कि बिलकिस बानो अन्याय के खिलाफ प्रतीक बन गयी है। अन्याय के खिलाफ यह संघर्ष हम तमाम महिलाओं का संघर्ष है। उन्होंने जल्द से जल्द माफी को रद्द करने की मांग की।
छपरा से आयी सिस्टर ज्योति ने कहा कि बिलकिस बानो के संघर्ष को गांव गांव में महिलाओं के बीच ले जाना है। उन्होंने ने कहा कि आज झूठ व घृणा फैलाने वालों का शासन है।
जमायत इस्लामी हिंद की महिला नेता जेबाईश फिरदौस ने कहा कि विविधता हमारी संस्कृति का मौलिक आधार है। अलग-अलग धर्मों के बावजूद हम परस्पर सबका सम्मान करते हैं। बिलकिस बानो का मामला केवल मुसलमानों का नहीं है, सबका है जो न्याय के पक्ष में खड़े हैं।
जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर जोस ने कहा कि इस मुद्दे पर हम लोगों को जितना काम करना चाहिए था उतना हमलोग नहीं कर सके हैं। यह मामला केवल महिलाओं का नहीं हम सब का है। आज हमारे संविधान के सामने चुनौती है।
सामाजिक कार्यकर्ता फरिफ्ता कौसर ने कहा कि ईश्वर एक है। हम लोगों के इबादत का तरीका अलग-अलग है। लेकिन हम सब एक हैं। इंसानियत असली चीज़ है। जहर फैलाने वालों का हमें एकजुट मुकाबला करना है।
कांग्रेस के आनंद माधव ने कहा कि नफरत छोड़ो, भारत जोड़ो अभियान के तहत हमलोग लगातार आवाज उठा रहे हैं।
बिहार राबीता कमेटी की महिला नेता हुदा ने कहा कि हमारे देश में हजारों बिलकिस बानो हैं। लोग जान और इज्जत के डर से चुप्पी साधे रहते हैं। जो लोग लड़ना चाहते हैं वे पुलिस और न्यायालय के चक्कर में पूरी तरह तोड़ दिए जाते हैं। लेकिन हमें अपनी लड़ाई जारी रखनी है।
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एडवोकेट शैलेन्द्र प्रताप ने कहा कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। हमें अभी भी उम्मीद है कि बिलकिस बानो को न्याय मिलेगा।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में सुधा वर्गीज ने कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक जनसंहार कांड में उम्रकैद की सजा काट रहे ग्यारह दोषी अपराधियों को गुजरात भाजपा सरकार के द्वारा सजा माफ कर रिहा किए जाने और भाजपा द्वारा उनका स्वागत किए जाने से आज पूरा देश शर्म से झुका है।
कंचन बाला ने कहा कि कानून न्याय के लिए होता है। न्याय और कानून में टकराव हो तो हम न्याय के साथ खड़े होंगे। हमारे देश में अनेक जनविरोधी कानून हैं जिसके तहत लोग झूठे मुकदमे में फंसाए जा रहे हैं और जनता का दमन जारी है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशद्रोही और एनआईए जैसे कानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर रही है, यह जग जाहिर है। उन्होंने कहा कि बिलकिस बानो के मामले में गुजरात भाजपा सरकार के फैसले ने न्याय के शासन को तार-तार कर दिया है। इंसानियत का गला घोंट दिया है।
लोकतांत्रिक जन पहल के संयोजक सत्य नारायण मदन ने कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक हत्याकांड के मामले में सजा माफी से संबंधित गुजरात भाजपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्देश देना गैरजबाबदेह पूर्ण रवैया है।
उन्होंने कहा कि जेल से संबंधित मामले राज्य सरकार के अधीन आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में सजा के वक्त जो माफी के नियम थे यानी 1992 की गुजरात सरकार की माफीनामा नीति, वही लागू होगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह देखना चाहिए था कि यह नीति न्यायपूर्ण है या नहीं।
उन्होंने कहा कि गुजरात भाजपा सरकार की 1992 माफी नीति के तहत राज्य सरकार को यह छूट है कि वह बलात्कार और जनसंहार के दोषियों का भी सजा माफ कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसी नीति की आड़ में गुजरात भाजपा सरकार ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार एवं साम्प्रदायिक जनसंहार के दोषियों को रिहा कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमें न्यायालयों की जबाबदेही का सवाल उठाना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति में सुधार की संभावना होती है, इसी सिद्धांत के तहत माफीनामा की नीति को मान्यता दी जाती है। लेकिन मेरा मानना है कि यह कोई व्यक्तिगत अपराध नहीं है। सामुदायिक हिंसा जैसे बलात्कार और जनसंहार के मामले के दोषी अपराधियों को माफी की छूट नहीं मिलनी चाहिए। यह एक सभ्यतागत अपराध है। किसी एक महिला के साथ बलात्कार केवल एक महिला का मामला नहीं है पूरे महिला समुदाय के सामाजिक दमन का सवाल है। यह सामान्य हिंसा नहीं है। इस पुरूष सत्तात्मक समाज में पीड़ित महिला को जीवनभर कलंक झेलना पड़ता है।
प्रतिरोध सभा को संबोधित करने वालों में सत्यम चौधरी, एडवोकेट पल्लवी, अशरफी सदा, सुनीता कुमारी सिन्हा, मंजु डुंगडुंग के अलावा उपस्थित प्रमुख लोगों में मजदूर नेता रामाशीष ठाकुर, एडवोकेट मणिलाल, बिन्दु कुमारी, जियाउल कमर, विजय कुमार चौधरी, मिनतुल्ला, राजीव कुमार, अनवर, भगतजी, सुनीत कुमार, अख्तरी बेगम, स्वामी शशिकांत, नौशाद अंसारी, जाहिदा खातुन, नगमा फिरदौस, विकास कुमार सिंह, रजनी, जहां आरा, उषा, शबनम परवीन, जूही, निर्मल चंद्र, जावेद हसन और अनिल अंशुमान और रेखा कुमारी आदि मौजूद थे।
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