बिहार: सदन से सड़क तक बिलक़ीस बानो को न्याय दिलाने की मांग तेज़

Written by अनिल अंशुमन | Published on: August 27, 2022
बिलक़ीस बानो के मुजरिमों को छोड़ने का भाजपा सरकार का फ़ैसला देश के हर महिला के ख़िलाफ़ उनके सम्मान को गिराने वाला है। भाकपा माले समेत अन्य संगठनों द्वारा 28 अगस्त से 3 सितंबर तक राज्य-व्यापी विरोध सप्ताह अभियान चलाया जाएगा।



जघन्य गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन सरकार द्वारा कथित प्रायोजित हिंसा-हत्या और बलात्कार-जनसंहार घटना की शिकार बिलक़ीस बानो के इंसाफ़ को लेकर बिहार विधान सभा के सदन से लेकर सड़कों पर लगातार आवाज़ उठ रही है। मांग की जा रही है कि उक्त जघन्य व अमानवीय घटना के दोषी सभी सज़ायाफ्ता मुजरिमों की रिहाई के आदेश को तत्काल रद्द किया जाए और सभी को जेल भेजा जाए। साथ ही यह मांग की गई कि रिहाई का आदेश देनेवाली गुजरात की भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ सख़्त कारवाई करते हुए बिलक़ीस बानो को इंसाफ़ दिलाया जाए।

उक्त मांगों को लेकर 26 अगस्त को बिहार विधान सभा सत्र के दौरान भाकपा माले के सभी विधायकों ने विधान सभा परिसर में अपना कड़ा विरोध जताया। बाद में अन्य वाम दल के भी विधयाक शामिल हो गए। प्रदर्शन के दौरान वाम दल के सदस्य हाथों में पोस्टर लिए हुए थें। इन पोस्टरों पर "बिलक़ीस बानो को न्याय दो”, "भाजपा की गुजरात सरकार द्वारा गैंगरेप-जनसंहार के दोषी सभी सज़ायाफ़्ता मुजरिमों की रिहाई के फैसले पर प्रधानमंत्री बोलो”, "ये कैसा महिला सम्मान 15 अगस्त के दिन बलात्कारी-हत्यारों की सज़ा माफ़ी का फ़रमान" जैसे नारे लिखे थे। वाम दल के नेताओं ने बिलक़ीस बानो के साथ-साथ राजस्थान के इंद्र कुमार मेह्वाल को इंसाफ़ दिलाने की मांग की पुरज़ोर तरीक़े से उठायी।



इसी दिन राजधानी पटना स्थित बुद्धा स्मृति पार्क परिसर गेट पर उक्त सवालों को लेकर ‘हम पटना के लोग’ बैनर तले नागरिक प्रतिवाद किया गया। इस दौरान ऑल इंडिया पीपल्स फोरम, इंसाफ़ मंच, जन संस्कृति मंच, ऐपवा व आइसा के अलावा एडवा समेत कई अन्य वाम जन सगठनों व दलों के एक्टिविष्टों ने पोस्टर-बैनरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया।

नागरिक प्रतिवाद को संबोधित करते हुए वरिष्ठ शायर खुर्शीद अकबर ने कहा कि वर्तमान केंद्र की हुकुमत ने देश के साथ-साथ पूरे अवाम की जान को जोख़िम में डाल रखा है। देश के लोगों को जुमलेबाज़ी में फंसाकर सत्ता पर क़ाबिज़़ भाजपा खुलकर अपने सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने पर आमादा है। बिलक़ीस बानो मामले में लिया गया फैसला इसी का नतीजा है।

भाकपा माले विधायक दल के उप नेता सत्यदेव राम ने कहा भाजपा शासन अब खुलकर कर देश पर मनुवादी सिद्धांत थोप रही है। गुजरात सरकार द्वारा बलात्कारी-हत्यारों को “संस्कारी ब्राह्मण” बताना मनुवादी सिद्धांत को ही लागू करना है। जिसके ख़िलाफ़ बिहार में क़रारा जवाब दिया जाएगा। बिहार में हुए राजनितिक परिवर्तन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे “राम मंदिर शिला पूजन” के नाम पर उग्र सांप्रदायिकता फैलाने के लिए निकाले गए रथ को रोक कर बिहार ने पूरे देश को संदेश दिया था, ठीक उसी तरह इस बार एक बार फिर से इनकी सरकार को हटा कर बिहार ने देश की राजनीति को एक नया संदेश दिया है।



आईसा नेता व माले के युवा विधायक संदीप सौरभ ने बिलक़ीस बानो व उनके पूरे परिवार के साथ जघन्य अमानवीय कृत्य करनेवाले हैवानों को रिहा करने पर संघ परिवार व गुजरात सरकार के साथ साथ उसके नेताओं के सभी तर्कों को पूरी तरह से झूठा क़रार दिया। उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहा करने की कोई अनुशंसा नहीं की है। इतना ही नहीं गुजरात की भाजपा सरकार जिस क़ानून का हवाला दे रही है, वह अस्तित्व में ही नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा रिहा किए गए सभी मुजरिमों को तत्काल जेल में डालकर इस ग़लत फैसले के लिए गुज़रात सरकार के ख़िलाफ़ भी तत्काल कड़े क़दम उठाने की आवश्यकता है।

सीपीएम के वरिष्ठ नेता अरुण मिश्रा ने मोदी सरकार की देश विरोधी नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि एक ओर स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से ‘नारी सम्मान’ का जुमला फेंकना और इसी दिन बलात्कार-जनसंहार के मुजरिमों को रिहा करना मोदी शासन के दोहरी मानसिकता को खुलकर दिखाता है। इसके ख़िलाफ़ निर्णायक और एकजुट संघर्ष करना समय की सबसे बड़ी मांग है।’

कार्यक्रम को एडवा की केंद्रीय नेता रामपरी देवी, जसम की समता, ऐपवा की अनीता सिंहा व इंसाफ मंच की आसमां खान ने एक स्वर में कहा कि मोदी व भाजपा सरकार का यह फ़ैसला देश के हर महिला के ख़िलाफ़ उनके सम्मान को गिराने वाला है।



इन नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार के इस फैसले के बाद अब हर जगह बलात्कारी डर के बिना छुट्टा घूमेंगे। जिसे देश की महिलाएं क़तई बर्दाश्त नहीं करेंगी। आज की तारीख़ में हर महिला ख़ुद को बिलक़ीस बनाकर अपने अधिकारों व सम्मान-समाजिक सुरक्षा के लिए पूरी ताक़़त से लड़ने का मन बनाने को तैयार हो रहीं हैं। नेताओं ने पुरज़ोर तरीक़े से मांग की कि नरेंद्र मोदी को महिला सम्मान का ढोंग बंद करना चाहिए और दुराचारी-हत्यारों को जेल भेजना चाहिए।

नागरिक प्रतिवाद कार्यक्रम को कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया। इस नागरिक प्रतिवाद में राजधानी के महत्वपूर्ण बुद्धिजिवियों व सामाजिक कार्यकर्त्ताओं के साथ साथ कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई।

ग़ौरतलब है कि एक दिन पहले यानी 24 अगस्त को ऐपवा ने भी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शित कर बिलकीस बानो के इंसाफ की मांग करते हुए प्रतिवाद अभियान चलाया था। इसके तहत राजधानी पटना के अलावा गया, नालंदा, जहानाबाद, आरा, समस्तीपुर समेत कई अन्य स्थानों पर भी प्रतिवाद मार्च निकालकर विरोध सभाएं की गई।



सभा के दौरान भाजपा व गुजरात सरकार के महिला विरोधी इस जघन्य फैसले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी का कड़ा विरोध किया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि बिलकीस बानो मुस्लिम से पहले एक महिला हैं। जिसे सांप्रदायिक रंग देने की कोई भी क़वायद देश में नहीं चलने दी जाएगी।

बिलक़ीस बानो को इंसाफ दिलाने के लिए देश भर में महिलाओं का प्रतिवाद जारी रखने की घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा शासन में कोई भी महिला ख़ुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहीं हैं। इसलिए व्यापक महिलाओं को इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर सड़कों के प्रतिवाद में आगे आना होगा।

बता दें कि भाकपा माले, ऐपवा, एआईपीएफ, इंसाफ मंच व आईसा द्वारा 28 अगस्त से 3 सितंबर तक राज्य-व्यापी विरोध सप्ताह अभियान चलाया जाएगा।

साभार- न्यूजक्लिक

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