अमेरिका में एक मुस्लिम अमेरिकी महिला ने स्थानीय चुनाव में जीत दर्ज की है। महिला के माता-पिता भारत और पाकिस्तान से हैं।
महिला ने अमेरिकी राज्य मेरीलैंड में जीत दर्ज की है, जहां प्रवासी-विरोधी और मुस्लिम विरोधी बयानबाजी का बोलबाला था। राहीला अहमद (23 साल) ने लंबे समय से प्रशासन संभाल रहे व्यक्ति को 15 फीसदी वोटों के अंतर से हराते हुए मेरीलैंड के प्रिंस जॉर्ज काउंटी में स्कूल बोर्ड की दौड़ जीत ली है।
Photo courtesy: ndtv.com
वह इसी पद पर चार साल पहले 2012 में चुनाव हार गईं थी। राहीला के पिता भारत के हैं और उनकी मां पाकिस्तान से हैं। इनकी जीत को इसलिए भी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि इस जिले की 80 फीसदी आबादी अफ्रीकी-अमेरिकी है।
भाषा की खबर के अनुसार, अहमद को रिपब्ल्किन राष्ट्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष माइकल स्टील ने समर्थन दिया था। अहमद ने कहा, ‘‘यह दिलचस्प बात है कि जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गए, उसी दिन मैं, एक हिजाबी युवा महिला भी, एक सावर्जनिक कार्यालय में सेवा के लिए चुनी गई। यही अमेरिका के लोगों के विचारों की विविधता के बारे में बताता है और यह भी कहता है कि अमेरिकन स्वप्न अभी भी अच्छी स्थिति में है और जिंदा है।
Courtesy: Janta Ka Reporter
महिला ने अमेरिकी राज्य मेरीलैंड में जीत दर्ज की है, जहां प्रवासी-विरोधी और मुस्लिम विरोधी बयानबाजी का बोलबाला था। राहीला अहमद (23 साल) ने लंबे समय से प्रशासन संभाल रहे व्यक्ति को 15 फीसदी वोटों के अंतर से हराते हुए मेरीलैंड के प्रिंस जॉर्ज काउंटी में स्कूल बोर्ड की दौड़ जीत ली है।
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वह इसी पद पर चार साल पहले 2012 में चुनाव हार गईं थी। राहीला के पिता भारत के हैं और उनकी मां पाकिस्तान से हैं। इनकी जीत को इसलिए भी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि इस जिले की 80 फीसदी आबादी अफ्रीकी-अमेरिकी है।
भाषा की खबर के अनुसार, अहमद को रिपब्ल्किन राष्ट्रीय समिति के पूर्व अध्यक्ष माइकल स्टील ने समर्थन दिया था। अहमद ने कहा, ‘‘यह दिलचस्प बात है कि जिस दिन डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुने गए, उसी दिन मैं, एक हिजाबी युवा महिला भी, एक सावर्जनिक कार्यालय में सेवा के लिए चुनी गई। यही अमेरिका के लोगों के विचारों की विविधता के बारे में बताता है और यह भी कहता है कि अमेरिकन स्वप्न अभी भी अच्छी स्थिति में है और जिंदा है।
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