नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इसलामिया की छात्रा सफूरा जरगर के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में एक्ट्रेस पायल रोहतगी के खिलाफ मुंबई की अंधेरी मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने जांच का आदेश दिया है। अदालत ने CRPC की धारा 202 के तहत आदेश जारी कर कहा है कि पुलिस इस मामले में 30 अप्रैल तक रिपोर्ट जमा करे।
जून 2020 में जामिया से एम. फिल कर चुकी सफूरा जरगर दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के आरोप में जेल गई थीं। जेल में जाने के बाद हुई मेडिकल जांच में पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। इसी को लेकर पायल ने उसके धर्म का हवाला देते हुए आपत्तिजनक ट्वीट किया था। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में पायल की खूब आलोचना हुई थी। यही नहीं ट्विटर ने उनका अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया था।
पायल के ट्वीट के खिलाफ मुंबई के एडवोकेट अली काशिफ खान देशमुख ने मुंबई की अंबोली पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने जब इस मामले का संज्ञान नहीं लिया था। जिसके बाद दिसंबर 2020 में उन्होंने अंधेरी कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले की जांच करवाने और FIR दर्ज करने की मांग की थी। जाफर की याचिका में कहा गया था कि पायल के ट्वीट से समाज में घृणा फैलती है। उन्होंने आरोप लगाया था कि रोहतगी के ट्वीट्स मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करते हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि अदालत ने पाया है कि पहली नजर में पायल रोहतगी के ट्वीट मुस्लिम महिलाओं और इस पूरे समुदाय का अपमान करते हैं। हर शख्स को अपने धर्म के प्रति आस्था रखने का अधिकार है और किसी को भी यह हक नहीं है कि वह किसी दूसरे समुदाय के रीति-रिवाजों या नियमों का मजाक बनाए।
अदालत ने कहा कि रोहतगी के ट्वीट्स को लेकर तकनीकी जांच किए जाने की जरूरत है, जिससे अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाई जा सके और इस तरह की जांच पुलिस के द्वारा ही की जा सकती है।
पायल रोहतगी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता लहर सेठी ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। सेठी ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में भी रोहतगी के इन ट्वीट्स को लेकर उसके खिलाफ आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराया था।
जून 2020 में जामिया से एम. फिल कर चुकी सफूरा जरगर दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के आरोप में जेल गई थीं। जेल में जाने के बाद हुई मेडिकल जांच में पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। इसी को लेकर पायल ने उसके धर्म का हवाला देते हुए आपत्तिजनक ट्वीट किया था। इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया में पायल की खूब आलोचना हुई थी। यही नहीं ट्विटर ने उनका अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया था।
पायल के ट्वीट के खिलाफ मुंबई के एडवोकेट अली काशिफ खान देशमुख ने मुंबई की अंबोली पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने जब इस मामले का संज्ञान नहीं लिया था। जिसके बाद दिसंबर 2020 में उन्होंने अंधेरी कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले की जांच करवाने और FIR दर्ज करने की मांग की थी। जाफर की याचिका में कहा गया था कि पायल के ट्वीट से समाज में घृणा फैलती है। उन्होंने आरोप लगाया था कि रोहतगी के ट्वीट्स मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करते हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि अदालत ने पाया है कि पहली नजर में पायल रोहतगी के ट्वीट मुस्लिम महिलाओं और इस पूरे समुदाय का अपमान करते हैं। हर शख्स को अपने धर्म के प्रति आस्था रखने का अधिकार है और किसी को भी यह हक नहीं है कि वह किसी दूसरे समुदाय के रीति-रिवाजों या नियमों का मजाक बनाए।
अदालत ने कहा कि रोहतगी के ट्वीट्स को लेकर तकनीकी जांच किए जाने की जरूरत है, जिससे अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाई जा सके और इस तरह की जांच पुलिस के द्वारा ही की जा सकती है।
पायल रोहतगी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता लहर सेठी ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। सेठी ने दिल्ली की पटियाला कोर्ट में भी रोहतगी के इन ट्वीट्स को लेकर उसके खिलाफ आपराधिक मुक़दमा दर्ज कराया था।