मोदी सरकार – तीन साल, सिर्फ बवाल

Written by सबरंगइंडिया-स्टाफ | Published on: May 16, 2017

केंद्र की मोदी सरकार का आधा से ज्यादा वक्त बीत चुका है।


Image credit: News 24

पीएम नरेंद्र मोदी को दिल्ली की कुर्सी पर काबिज हुए तीन साल बीत चुके हैं। लेकिन इस दौरान पूरे देश ने लगातार बवाल के दौर देखे हैं। कश्मीरियों के दमन, आम लोगों पर नोटबंदी की मार से लेकर दलितों-अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और कट्टर हिंदुओं के हंगामों ने पूरे देश में डर और अनिश्चय का माहौल पैदा किया है।

मोदी सरकार की शुरुआत होते ही कट्टरपंथियों का दुःस्साहस बढ़ गया और उन्होंने कालबुर्गी और गोविंद पनसारे जैसे तर्कवादियों की हत्या कर इसका सबूत दे दिया। फिर अल्पसंख्यकों की बारी आई। यूपी के दादरी स्थित बिसाहड़ा गांव में कथित तौर पर बीफ रखने की अफवाह में अखलाक की गोररक्षकों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। इस पूरे संकट पर गंभीर रुख अपनाने के बजाय मोदी सरकार यूपी की अखिलेश सरकार से झगड़ती रही। गुजरात के ऊना में गोरक्षकों की ओर से दलित युवकों की पिटाई का मंजर सरेआम दिखा। इस घटना पर देश में पैदा जनाक्रोश के बावजूद मोदी सरकार के कर्ता-धर्ताओं के भीतर कोई खास अफसोस का भाव नहीं था। मोदी हमेशा की तरह दलितों और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों पर खामोशी ओढ़ चुके थे। काफी हल्ले-हंगामे के बाद उनका बयान आया तो कहने लगे गोली मारना है तो मुझे मार दो। 56 इंच चौड़ी छाती का दावा करने वाले एक पीएम का इस तरह घिघियाता हुआ बयान अभूतपूर्व था। पूरे देश ने देखा कि पीएम देश में हिंसा का तांडव करने वालों से पीएम किस तरह मिन्नत कर रहे हैं।

जेएनयू में राष्ट्रवाद के नाम पर युवाओं के खिलाफ मुहिम चला कर मोदी सरकार ने दिखा दिया कि वह युवाओं की आकांक्षाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किस बर्बर तरीके से कुचलने का इरादा रखती है।

कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी वुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद भड़के आंदोलन को भी मोदी सरकार काबू करने में नाकाम रही। सरकार के पास इसे दबाने का एक ही हथियार था- पैलेट गन । वानी की मौत के बाद वहां सुरक्षा बलों और लोगों के बीच संघर्ष में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 12,000 लोग घायल हो चुके हैं। पेलेट गन की गोलियों से सैकड़ों लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है। कश्मीर अब भी सुलग रहा है। मोदी सरकार की नीतियों से बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।

पिछले साल नवंबर को नोटबंदी लागू करने का असर भी अब साफ दिखने लगा है। बेरोजगारी की मार लगातार जारी है। देश के बेरोजगार नौजवानों में गुस्सा है और लेकिन सरकार रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है। हर साल एक करोड़ रोजगार पैदा करने का दावा कर सत्ता में आई सरकार के हाथ-पांव फूले हुए  हैं। मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद देश के अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी डरे हुए दिख रहे हैं। नौजवानों में हताशा का आलम है। इसके बावजूद मोदी सरकार कट्टरपंथियों के हाथ मजबूत करने में लगी है।
 

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