आजादी और प्राइवेसी पर हमले का सबसे बुरा दौर, सरकारी वेबसाइटों ने ही आधार जानकारी लीक की

Written by सबरंगइंडिया स्टाफ | Published on: November 20, 2017

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आधार में डाटा सुरक्षा को लेकर जो लोग आशंका जता रहे थे वे अब सही साबित हो रहे है। सुप्रीम कोर्ट में आधार को प्राइवेसी के खतरे की बुनियाद पर चुनौती दी गई है। लेकिन सरकार ने इस तर्क का विरोध किया था। इस खतरे के बावजूद मोदी सरकार लगभग हर चीज के लिए आधार अऩिवार्य बनाने की कोशिश में है। लेकिन आधार से डाटा लीक होने की खतरनाक खबरें आ रही हैं।

खुद यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआईए) ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों की 200 से अधिक वेबसाइटों ने कुछ आधार कार्ड धारकों के नाम और पतों को सार्वजनिक कर दिया है।

यूआईडीएआईए ने एक आरटीआई के आवेदन के जवाब में कहा है कि उसने इस लीक हुई जानकारी को हटवा दिया है। लेकिन यह समस्या का हल नहीं है। यह और भी गंभीर बात है कि सरकारी विभागों में ही सुरक्षा प्रोटोकॉल का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। हालांकि डाटा सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर सुरक्षा चिंता जताई जाती रही है लेकि मोदी सरकार इसे सही मानते हुए भी इस मोर्चे पर कोई ठोस कदम उठाने के तैयार नहीं दिखती। इस मामले में भी वह अपनी जिद पर अड़ी हुई है। उसके लिए लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्राइवेसी कोई मायने नहीं रखती। अब जबकि डाटा लीक और चोरी के बड़े मामले आ रहे हैं तो भी सरकार की पेशानी पर बल नहीं पड़ रहे हैं।

प्राइवेसी का यह हनन गंभीर है और आश्चर्य है कि इसमें सरकार को जिस हिसाब से गंभीर होना चाहिए उसका लेशमात्र भी नहीं दिखता। यह इस देश में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के हनन का सबसे बुरा दौर है।
 

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