हार्ड वर्क करेंगे, नामुमकिन को मुमकिन बनाएंगे

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: March 30, 2020
नई दिल्ली। दैनिक जागरण में शनिवार को खबर छपी थी, गृहमंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंध के कारण महानगरों से पैदल गांव जाने के लिए निकल पड़े और तीन दिन में देश भर में फैल चुके प्रवासियों को वापस घर भेजने की व्यवस्था नहीं की जा सकती है। अखबार ने लिखा था कि केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने इस दिशा में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की है। इसके बावजूद शनिवार को देश के अन्य हिस्सों के साथ दिल्ली के आनंदविहार में बड़ी संख्या में जुटे प्रवासियों और बसों की तस्वीरें दिन भर सोशल मीडिया पर छाई रहीं। आज के अखबारों के अनुसार रात तक भीड़ कम नहीं हुई थी।



इसलिए बहुत लोग जानना चाह रहे हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कहां हैं। अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ में खबर है, शाह की अनुपस्थिति में सवाल उठ रहे हैं। अखबार ने लिखा है कि सत्तारूढ़ व्यवस्था में दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता को अभी तक सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के ट्वीट की तारीफ करने या राज्यों को एडवाइजरी भेजने के काम में लगाकर रखा गया है। अखबार ने नॉर्थ ब्लॉक के अपने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। लॉक डाउन के कारण गृहमंत्री दफ्तर नहीं जा रहे हैं और घर से काम कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि शाह डायबिटीज के मरीज हैं और संभव है इसीलिए सोशल डिसटैंसिंग को गंभीरता से ले रहे हों।

दूसरी ओर दैनिक जागरण ने लिखा है, गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि विपरीत हालात में महानगरों से पैदल ही सैकड़ों मील दूर अपने घरों की निकल पड़े प्रवासी मजदूरों के रहने, खाने का इंतजाम किया जाए। लॉकडाउन के दौरान देश के हालात की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार प्रवासी मजदूरों की हर तरह से सहायता के लिए वचनबद्ध है। दैनिक भास्कर ने खबर छापी है कि (बिहारी) प्रवासी मजदूरों में 50 प्रतिशत भूखे हैं और चौथे दिन सरकारी व्यवस्था की यह स्थिति थी।

दैनिक जागरण ने लिखा है, .... अमित शाह ने अधिकारियों को मजदूरों की सहायता के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। बैठक के बाद राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने वापस लौट रहे मजदूरों के लिए हाईवे के किनारे ही कैंप बनाने और खाने-पीने समेत तमाम सुविधाओं का इंतजाम करने को कहा। जो मजदूर अभी तक शहर से बाहर नहीं निकले हैं, उनके लिए भी समुचित प्रबंध करने को कहा गया है। यह प्रबंध कब तक हो जाएगा इस बारे में खबर में कुछ नहीं है।

इस बीच अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने पहले पन्ने पर एक खबर छापी है जिसके शीर्षक का हिन्दी होगा, 14 अप्रैल के बाद ‘सबूत आधारित’ लॉक डाउन की स्थिति। इसके अनुसार आशंका है वायरस फिर भी वापस आएगा। नई दिल्ली डेटलाइन से जीएस मुदुर क खबर में कहा गया है कि 21 दिन का लॉकडाउन नोवल कोरोना वायरस को दोबारा उभरने से नहीं रोक सकता है।

कई अनुसंधानकर्ताओं ने यह चेतावनी दी है और नीति निर्माताओं से मांग की है कि देश भर में वायरस का पता लगाया जाए और सिर्फ वहां ‘सबूत आधारित’ लॉकडाउन किया जाए जहां जरूरी है। ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा एक अध्ययन से पता चला है कि 14 अप्रैल तक चलने वाले लॉकडाउन से वायरस का प्रसार को धीमा होगा पर संक्रमण बढ़ेगा और 13 मई तक 6000 से पार कर जाएगा। अभी इस अध्ययन की समीक्षा नहीं हुई है लेकिन एक वैज्ञानिक आर्काइव पर पोस्ट किया गया है।और पोस्ट करने वाले अनुसंधानकर्ता है।

इसमें कहा गया है कि पांच दिन के अंतराल पर दो या तीन लॉक डाउन अथवा 49 दिन का एक अकेला लॉकडाउन इस स्लोडाउन (वायरस के फैलाव को धीमा करने के काम) को लंबा चलाएगा। पर वायरस इसके बावजूद वापस आएगा। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले कैम्ब्रिज में गणित के एक अनुसंधानकर्ता रणंनजय अधिकारी ने कहा, “हमारे मॉडल ने सर्वश्रेष्ठ संभव नतीजों को देखा और हम हर बार इसका दोबारा सामने आना देख रहे हैं।”

यह नतीजा मेडिकल वायरोलॉजिस्ट के नतीजों के क्रम में है। वे भी उम्मीद करते हैं और इस बात को रेखांकित करते हैं कि भारत में पूरक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है। इसमें बड़े पैमाने पर परीक्षण और संभावित स्थानीय स्तर के लॉक डाउन शामिल हैं। विशेषज्ञों ने भी ऐसा ही सुझाव दिया है। ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट, फरीदाबाद की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और एक वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कंग ने कहा, “लॉक डाउन से वायरस रुकता है पर इसके बाद हम उम्मीद करते हैं कि यह वापस आएगा। संक्रमण का इलाका कहीं ना कहीं सामने आ ही जाएगा।” हालांकि, आप अध्ययन से जुड़े हुए नहीं थे।

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