व्हाट्सएप ग्रुप की सदस्यता किसी को आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं बना सकती- डॉ उमर खालिद का तर्क

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 1, 2022
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के दंगों में बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए यूएपीए के आरोपों से जुड़े मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद द्वारा दायर अपील पर गुरुवार को सुनवाई जारी रखी।



जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की विशेष पीठ से उमर खालिद की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पेस ने कहा कि जैसा कि अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है, केवल व्हाट्सएप ग्रुप की मेंबरशिप खालिद को आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं बना सकता है।

लाइव लॉ के मुताबिक,  रपपपपपपपअभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उमर खालिद पांच व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा था। पेस ने कहा कि खालिद ऐसे दो ग्रुप में चुप रहा। शेष तीन ग्रुप के बारे में पेस ने प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ जिम्मेदार व्हाट्सएप चैट में केवल चार मैसेज भेजे गए, जिसमें न तो कोई उकसावे वाला मैसेज था और न ही हिंसा के लिए कोई आह्वान नहीं था।

पेस ने तर्क दिया, "तथ्य यह है कि मैं दो व्हाट्सएप ग्रुपों का हिस्सा था, जिनमें से पांच में मेरे खिलाफ उद्धृत किया गया। इसमें मैं चुप रहा। इन ग्रुप में शामिल होने के लिए मुझे आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उन ग्रुप में कुछ भी अपराधी था।"

उन्होंने कहा, "मैं एडमिन नहीं हूं, मैं केवल ग्रुप का मेंबर हूं। एडमिन कोई और हैं। मेरे ओर से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। अगर किसी और ने कुछ कहा है तो इसके लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।" 

सबमिशन का समर्थन करने के लिए पेस ने आर राजेंद्रन बनाम पुलिस इंस्पेक्टर के मामले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया कि ग्रुप एडमिन के पास ग्रुप के मेंबर को हटाने या ग्रुप के अन्य सदस्यों को जोड़ने की सीमित शक्ति होती है। एक बार ग्रुप बन जाने के बाद एडमिन और मेंबर्स की कार्यप्रणाली ग्रुप में मेंबर्स को जोड़ने या हटाने की शक्ति को छोड़कर एक-दूसरे के समान होती है।

इसके अलावा, पेस ने तर्क दिया कि न तो किसी हिंसा को उमर खालिद द्वारा दिए गए किसी भी भाषण के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, और न ही उनके भाषण का हिंसा से कोई संबंध पाया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए पेस ने कहा कि उमर खालिद के खिलाफ ज्यादातर बयान उनकी गिरफ्तारी के करीब घटनाओं के बाद सुने और रिकॉर्ड किए गए हैं।

पेस ने तर्क दिया, "अगर ऐसा कोई सबूत है जो दावा करता है कि मेरी ओर से किसी भी तरह की हिंसा या उत्तेजना है तो मैं इसे भी नहीं मानता, यह केवल बयान के रूप में है।"

पेस ने जैसे ही अपना सबमिशन समाप्त किया तो अदालत ने मामले को एक अगस्त को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया। अब विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद प्रस्तुतियां शुरू करेंगे। उमर खालिद को शहर की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 24 मार्च को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उसे 13 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में है।

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