असम: फेसबुक पोस्ट लिखना पड़ा महंगा, युवक UAPA के तहत गिरफ्तार

Written by sabrang india | Published on: July 3, 2019
नई दिल्ली: बीते 26 जून को असम के शिवसागर जिले के नाजिरा सब डिविजन में स्थित बाउली मैदम में रहने वाले 31 साल के गन्यानदीप गोगोई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गोगोई पर भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी और आतंकी संगठन घोषित किए जा चुके एक संगठन के समर्थन में अपने विचार सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप है। वे ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) में असिस्टेंट रिगमैन के रूप में काम करते हैं।

उन्हें परेश बरूआ के नेतृत्व वाली यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट (इंडिपेंडेंट) या उल्फा (इंडिपेंडेंट) के समर्थन में पोस्ट लिखने के लिए गिरफ्तार किया गया। इस संगठन को गैरकानून गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है और अधिनियम की पहली सूची में एक आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

26 जून को शिवसागर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 121ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने) और यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियां करने) और धारा 18 (आतंकी गतिविधि करने की साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज किया गया। अगले दिन उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और पुलिस को सात दिन की हिरासत दे दी गई।

न्यूज18 के अनुसार, शिवसागर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बलिन देउरी ने कहा, ‘यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। हम उल्फा (इंडिपेंडेंट) में भर्ती प्रक्रिया की जांच कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की निगरानी करती रहती है ताकि संगठनों के क्रांतिकारी विचारों का समर्थन कर उत्तेजक पोस्ट करने वालों को पकड़ा जा सका।

उनके परिवार के अनुसार, ‘गोगोई को दोपहर के करीब 3:30 बजे गिरफ्तार किया गया। बिना कोई वारंट दिखाए और उनके परिवार को उन पर लगे आरोप बताए बिना उनके घर की तलाशी ली गई। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें कहां ले जाया जा रहा है। उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्डडिस्क को भी उनके घर से जब्त कर लिया गया।’

द वायर से गन्यानदीप की मां रेबती गोगोई ने कहा, ‘उल्फा (इंडिपेंडेंट) से उसकी सहानुभूति के बारे में हमें कुछ पता नहीं है।’ उन्होंने कहा कि उन्हें वास्तव में नहीं पता कि उनके बेटे ने उल्फा के बारे में फेसबुक पर क्या लिखा। हालांकि उन्होंने सवाल उठाया, ‘क्या हमारे संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं दी गई है?’ वह अपने बेटे को लेकर चिंतित हैं और उसे जल्द से जल्द घर वापस चाहती हैं। वह ओएनजीसी में उसकी नौकरी को लेकर भी चिंतित हैं।

पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में एकमत से गिरफ्तारी की निंदा की है। उसने युद्ध छेड़ने के आरोपों और गैरकानूनी एवं आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को झूठा बताया है। बयान में कहा गया, ‘यूएपीए का इस्तेमाल गोगोई जैले लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है जो लोकतांत्रिक रूप में अपने राजनीतिक विचार सामने रखते हैं।’

बयान में आगे कहा गया, ‘गोगोई की गिरफ्तारी हालिया उदाहरण है कि कैसे यूएपीए एक काला कानून है जो कि सरकार को लोगों की राजनीतिक स्वतंत्रता को खारिज करने और राज्य की नीतियों और विचारों का समर्थन नहीं करने वाले विचारों को चुप कराने का अधिकार देता है।’ पीयूडीआर ने गोगोई की तत्काल रिहाई के साथ उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और यूएपीए की धाराओं को हटाने की मांग की।

साभार- द वायर

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