मध्यप्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पतालों के अधिकारियों की तानाशाही ने एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
Image Courtesy: NDTV
सागर में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में एक दलित युवक की मौत के बाद जब उसके परिजन अस्पताल प्रबंधन को डीज़ल के लिए रुपए नहीं दे पाए तो अस्पताल ने शव को ले जाने के लिए वाहन देने से इन्कार कर दिया। ऐसे में मजबूर परिजनों को हाथ ठेले पर ही शव को ले जाना पड़ा।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक 38 साल के प्रकाश अहिरवार का अस्पताल में इलाज चल रहा था लेकिन शनिवार को लीवर डैमेज हो जाने के कारण उसकी मौत हो गई। जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से शव को ले जाने के लिए वाहन देने का अनुरोध किया तो उनसे डीजल के लिए रुपए मांगे गए।
गरीब मजदूरी करने वाले प्रकाश के परिजन जब रुपए नहीं दे पाए तो उन्हें वाहन देने से इन्कार कर दिया गया। नई दुनिया की खबर के मुताबिक, अस्पताल का शव वाहन न मिलने पर मृतक के परिजन शव को उसी हाथ ठेले पर रखकर ले गए जिसे चलाकर प्रकाश अपनी रोजी-रोटी कमाया करता था।
ऐसी शर्मनाक घटना तब हुई जबकि जिला अस्पताल में रेडक्रॉस सोसायटी का एक शव वाहन और ड्राइवर 24 घंटे तैनात रहता है। अस्पताल को एक शव वाहन बीना रिफाइनरी ने भी दिया है। सरकार की योजना भी है कि किसी भी व्यक्ति का शव उसके घर तक भेजने का जिम्मा अस्पताल प्रबंधन का होता है।
मीडिया में खबर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अधिकारी पूरे मामले से अनजान बन गए। उनका कहना है कि मृतक के परिजनों ने उनसे कोई संपर्क किया ही नहीं।
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सागर में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में एक दलित युवक की मौत के बाद जब उसके परिजन अस्पताल प्रबंधन को डीज़ल के लिए रुपए नहीं दे पाए तो अस्पताल ने शव को ले जाने के लिए वाहन देने से इन्कार कर दिया। ऐसे में मजबूर परिजनों को हाथ ठेले पर ही शव को ले जाना पड़ा।
अमर उजाला में प्रकाशित खबर के मुताबिक 38 साल के प्रकाश अहिरवार का अस्पताल में इलाज चल रहा था लेकिन शनिवार को लीवर डैमेज हो जाने के कारण उसकी मौत हो गई। जब परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से शव को ले जाने के लिए वाहन देने का अनुरोध किया तो उनसे डीजल के लिए रुपए मांगे गए।
गरीब मजदूरी करने वाले प्रकाश के परिजन जब रुपए नहीं दे पाए तो उन्हें वाहन देने से इन्कार कर दिया गया। नई दुनिया की खबर के मुताबिक, अस्पताल का शव वाहन न मिलने पर मृतक के परिजन शव को उसी हाथ ठेले पर रखकर ले गए जिसे चलाकर प्रकाश अपनी रोजी-रोटी कमाया करता था।
ऐसी शर्मनाक घटना तब हुई जबकि जिला अस्पताल में रेडक्रॉस सोसायटी का एक शव वाहन और ड्राइवर 24 घंटे तैनात रहता है। अस्पताल को एक शव वाहन बीना रिफाइनरी ने भी दिया है। सरकार की योजना भी है कि किसी भी व्यक्ति का शव उसके घर तक भेजने का जिम्मा अस्पताल प्रबंधन का होता है।
मीडिया में खबर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अधिकारी पूरे मामले से अनजान बन गए। उनका कहना है कि मृतक के परिजनों ने उनसे कोई संपर्क किया ही नहीं।