खंडवा में रेशम उत्पादन करने वाले करीब 300 आदिवासी किसानों ने 3 साल से मजदूरी न मिलने के विरोध में राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग की है। अपनी मांगों को लेकर इन किसानों ने सांकेतिक फांसी भी लगाई और प्रदर्शन किया।
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इनाडु इंडिया के अनुसार, सरकार ने 3 साल पहले किसानों को रेशम उत्पादन योजना से जोड़ा था जिसके तहत आदिवासी किसानों को शहतूत के पौधे लगाने थे। इस योजना में इन्हें रेशम कीट को खाने के लिए शहतूत के पौधे लगाने, बड़ा करने और देखरेख के लिए मनरेगा के तहत मजदूरी मिलनी थी, लेकिन 3 साल होने के बाद भी इन आदिवासी किसानों को कोई मजदूरी नहीं मिली है। कई बार ये अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुके हैं।
नईदुनिया के अनुसार, किसानों ने कहा है कि अगर 30 जुलाई तक इन्हें भुगतान नहीं मिलता है तो वे कलेक्ट्रेट परिसर में फांसी लगाकर अपनी जान दे देंगे। इन आदिवासी किसानों का करीब 2 करोड़ 38 लाख रुपए का भुगतान बाकी है।
शनिवार को नाराज किसान गले में सांकेतिक फांसी लगाए हुए और रैली के रूप में नारे लगाते हुए जिला पंचायत कार्यालय के परिसर में पहुंचे, जहां किसान मजदूर महासंघ की ओर से नायब तहसीलदार को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देते हुए किसानों ने इच्छामृत्यु की मांग की। अधिकारियों से संतोषजनक जवाब न मिलने पर किसान धरने पर बैठ गए हैं।
किसानों का आरोप है कि मनरेगा के तहत 3 साल से ज्यादा समय तक भुगतान रोककर प्रशासन ने अधिनियम का उल्लंघन किया है।
दैनिक भास्कर के अनुसार, किसान मजदूर महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि धरने पर बैठे 14 किसानों की तबीयत बिगड़ चुकी है जिनमें से 2 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
महासंघ ने जल्द ही आंदोलन उग्र करने का भी ऐलान किया है। इसके तहत 13 जुलाई को कलेक्ट्रेट का घेराव किया जाएगा, 14 जुलाई को जेल भरो आंदोलन होगा, 15 जुलाई को रेल रोको आंदोलन होगा और 16 जुलाई को जिला पंचायत पर किसान तालाबंदी करेंगे। इसके बाद भी अगर किसानों को उनकी मजदूरी नहीं दी गई तो 30 जुलाई को सभी किसान कलेक्ट्रेट में फांसी लगाएंगे।