यूपी के सीतापुर में पत्रकार की गोली मारकर हत्या, विपक्ष का सरकार पर हमला

Written by sabrang india | Published on: March 10, 2025
परिवार को संदेह है कि धान के खरीद में अनियमितता, स्टांप ड्यूटी चोरी पर उनकी रिपोर्ट के कारण हत्या हुई। पूछताछ के लिए 6 लोगों को हिरासत में लिया गया।


फोटो साभार : द टेलिग्राफ सोशल मीडिया एक्स

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली कस्बे के पास गत शनिवार को एक 35 वर्षीय पत्रकार की अज्ञात मोटरसाइकिल सवार हमलावरों द्वारा हाईवे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने ये जानकारी मीडिया को दी।

हिंदी दैनिक दैनिक जागरण में संवाददाता के तौर पर काम करने वाले महोली निवासी राघवेंद्र बाजपेयी के शरीर पर चार गोलियों के निशान पाए गए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि हत्या के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें हत्या का संभावित कारण भूमि विवाद बताया गया है। अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज होने तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, जबकि छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।

रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव बाजपेयी के परिवार को सौंप दिया गया, लेकिन उन्होंने शुरू में तब तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया, जब तक कि उनके हत्यारों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता और एक सदस्य को नौकरी नहीं दे दी जाती। जिला प्रशासन और पुलिस ने उन्हें अंतिम संस्कार के लिए राजी किया। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी मांगों को राज्य सरकार के पास विचार के लिए भेजा जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि शाम तक शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

बाजपेयी के परिवार को संदेह है कि धान खरीद में अनियमितताओं और भूमि खरीद में स्टांप ड्यूटी चोरी पर उनकी खबरों के कारण उनकी हत्या की गई। हालांकि, पुलिस ने कहा कि न तो पीड़ित और न ही उसके परिवार ने कभी किसी तरह की धमकी मिलने की बात कही है।

अपनी प्रारंभिक जांच का हवाला देते हुए, पुलिस ने कहा कि हत्या भूमि विवाद का नतीजा हो सकती है, क्योंकि बाजपेयी ने स्थानीय निवासी द्वारा क्षेत्र में भूमि खरीदने पर उचित औपचारिकताएं पूरी नहीं किए जाने पर चिंता जताई थी।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “कुछ और मकसद भी हो सकता है। इसलिए, हम उन लोगों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं, जिनके साथ वह हाल ही में संपर्क में थे। हम सबूत खोजने में पिछले कुछ दिनों में उनकी (पीड़ित की) गतिविधियों का भी पता लगा रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “संभव है कि संदिग्ध पीछे से आए और बाजपेयी की गाड़ी को रोकने के बाद उन पर गोलियां चलाईं। उन्होंने कहा कि जमीन पर गिरने के बाद भी उन्होंने उस पर गोली चलाई। उन्हें काफी नजदीक से गोली मारी गई थी।"

पुलिस ने बताया कि उन्हें शनिवार दोपहर करीब 3 बजे इमलिया-सुल्तानपुर हाईवे पर एक शव पड़ा होने की सूचना मिली थी। अधिकारियों ने बताया कि उनकी मोटरसाइकिल पास में ही मिली थी।

उन्होंने बताया कि बाजपेयी को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

लखनऊ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक प्रशांत कुमार ने कहा कि वे सभी एंगल से जांच कर रहे हैं और हत्या के पीछे का मकसद जानने के लिए बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

पुलिस ने घटनास्थल के पास से सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा किया है और बाजपेयी के कॉल रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है। पीड़ित के सेल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट का इंतजार है।

करीब एक दशक तक पत्रकार के तौर पर काम करने वाले बाजपेयी के परिवार में उनकी पत्नी और दो नाबालिग बच्चे हैं। उनके रिश्तेदार ने बताया कि उनके बड़े भाई की करीब 15 साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। परिवार ने मुआवजे की भी मांग की है।

विपक्ष का सरकार पर हमला

रविवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने राघवेंद्र बाजपेयी के परिवार से मुलाकात की और अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। राय ने पत्रकार के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की भी मांग की। राय ने परिवार के इस आरोप को भी दोहराया कि धान खरीद में अनियमितताओं को उजागर करने के कारण बाजपेयी की हत्या की गई।

परिवार से मिलने के बाद राय ने मीडिया से कहा, "बहादुर पत्रकार ने भ्रष्टाचार को उजागर किया, इसलिए उनकी हत्या कर दी गई।" उन्होंने कहा, "अगर दो दिन के भीतर हत्यारे नहीं पकड़े गए तो कांग्रेस पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करेगी क्योंकि भाजपा सरकार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। कांग्रेस पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।"

वहीं समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने अखबार का क्लिप शेयर करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “सरेआम उत्तर प्रदेश में पत्रकार की हत्या यूपी में अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा और लोकतंत्र की हत्या दर्शा रही है। भाजपा सरकार में पत्रकारों की हत्याओं का रिकॉर्ड कायम हुआ है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संरक्षण में ये अपराध घटित हो रहे हैं एवं सच बोलने वालों का दमन और हत्या हो रही है। उत्तर प्रदेश अपराध प्रदेश में तब्दील हो चुका है।”

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