लखीमपुर हिंसा: किसानों के रेल रोको आंदोलन से 50 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित, उत्तर प्रदेश में धारा-144

Written by Navnish Kumar | Published on: October 19, 2021
लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक 6 घंटे का देशव्यापी ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी रहा। रेल रोको आंदोलन के आह्वान का कई राज्यों में खासा असर देखने को मिला। पंजाब अमृतसर के देवीदासपुरा में प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक पर बैठे। वहीं, हरियाणा के सोनीपत जंक्शन रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया था। प्रदर्शनकारी बहादुरगढ़ में रेलवे ट्रैक पर बैठे  नजर आए। व्यापक प्रदर्शन के चलते दिल्‍ली-अमृतसर शताब्‍दी एक्‍सप्रेस को अंबाला में शॉर्ट टर्मिनेट कर दिया गया था। 



सीपीआरओ उत्तर रेलवे के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में किसानों के 'रेल रोको' आंदोलन की वजह से 50 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुईं। 130 से ज्‍यादा रेलवे प्रॉपर्टीज पर इसका असर हुआ। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन भी अलर्ट पर रहा। उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि किसान संगठनों के ‘रेल रोको आंदोलन’ में हिस्सा लेने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी। सूबे में धारा-144 लगाई गई। साथ ही चेतावनी दी गई कि अगर कोई सामान्य स्थिति को बाधित करने की कोशिश करता है तो एनएसए लगाया जाएगा। 

रेलवे सीपीआरओ ने कहा कि रेल रोको आंदोलन का उत्तर भारत में ज्यादा असर रहा। 50 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। किसानों ने यूपी में मोदीनगर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, सहारनपुर आदि जिलों में ट्रेनें रोकीं। हापुड़ के गढ़ मुक्तेश्वर रेलवे स्टेशन पर किसानों ने हंगामा और नारेबाजी की। हरियाणा के बहादुरगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने ट्रेनों को रोका। पंजाब के कई जिलों में रेल रोको आंदोलन का असर दिखा। किसान आंदोलन के कारण उत्तर पश्चिम रेलवे पर भिवानी-रेवाड़ी, सिरसा-रेवाड़ी, लोहारू-हिसार, सूरतगढ़-बठिंडा, सिरसा-बठिंडा हनुमानगढ़-बठिंडा, रोहतक-भिवानी, रेवाड़ी-सादुलपुर, हिसार-बठिंडा, हनुमानगढ़-सादुलपुर तथा श्रीगंगानगर रेवाड़ी रेलखंडों के बीच रेल यातायात प्रभावित हुआ।

किसान आंदोलन से देश भर में करीब 293  ट्रेनें प्रभावित हुईं। रेलवे की जानकारी में कहा गया कि 184 लोकेशन पर किसानों ने रेलवे ट्रैक के पास आंदोलन किया। 118 ट्रेनों को मंजिल से पहले रोका गया जबकि 43 ट्रेन कैंसल की गईं जबकि 1 ट्रेन का रूट डायवर्ट किया गया। 50 ट्रेन को आंशिक तौर पर कैंसल किया गया। 7 ज़ोन में किसानों ने ज्यादा प्रदर्शन किया, इसमें नॉर्दर्न ज़ोन के 157 लोकेशन, NWR ज़ोन (जयपुर)  के 16 लोकेशन, NER zone (गोरखपुर) के 3 लोकेशन, NFR zone के 2 लोकेशन, Eastern zone का 1 लोकेशन, WCR zone के 2 लोकेशन शामिल रहे। NCR के तीन लोकेशन पर किसानों के प्रदर्शन का असर दिखा। 

उधर, बारिश होने के बावजूद बड़ी संख्या में किसानों ने रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन किया। इस दौरान यात्रियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।

उत्तर रेलवे का कहना है कि दिल्ली रोहतक और दिल्ली-अम्बाला रूट को फिलहाल ट्रेनों के लिए बंद किया गया। इस कारण कई ट्रेनें रद्द भी करनी पड़ीं। नॉर्दर्न रेलवे की जानकारी के मुताबिक, बरेली से रोहतक जाने वाली नई दिल्ली तक आने वाली गाड़ी रद्द कर दी गई। नांदेड़ श्रीगंगानगर तिलकब्रिज पर रोक कर रखी गयी। फिरोजपुर फाजिल्का सेक्शन का फिरोजपुर सिटी यार्ड भी प्रभावित हुआ। फिरोजपुर लुधियाना सेक्शन के अजितवाल, फिरोजपुर फाजिल्का सेक्शन के गुरु हर्षाई और फिरोजपुर लुधियाना सेक्शन के चौकीमन पर किसानों के प्रदर्शन से ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। इसको लेकर कई ट्रेनों को मंजिल से पहले ही रोक दिया गया। ग़ाज़ियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, मुज़फ्फ़रनगर, सहारनपुर में रेल पटरियों पर पुलिस, जीआरपी, आरपीएफ तैनात है। पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट है। रेलवे स्टेशनों पर फोर्स का कड़ा पहरा है। 

मुज़फ्फ़रनगर खतौली में भाकियू कार्यकर्ता और किसान रेलवे ट्रैक पर आकर धरने पर बैठे। जिसके चलते मुज़फ्फ़रनगर के मंसूरपुर में इंटरसिटी ट्रेन को मंसूरपुर स्टेशन पर रोक दिया। यह ट्रेन सहारनपुर से चलकर दिल्ली के लिए चली थी। सहारनपुर में टपरी जंक्शन पर किसान बैठे। ग़ाज़ियाबाद के मोदीनगर रेलवे स्टेशन पर किसानों ने 11.25 बजे एक मालगाड़ी रोकी। किसानों ने मालगाड़ी के इंजन पर चढ़कर प्रदर्शन किया। मथुरा में भाकियू अंबावता के जिलाध्यक्ष राजकुमार तोमर की अपील पर राया स्टेशन और मथुरा जंक्शन पर पहुंचे। मेरठ में भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी के अनुसार, तीन स्थानों सकौती हॉल्ट, कैंट व परतापुर रेलवे स्टेशन पर सुबह क़रीब साढ़े 10 बजे से रेल रोकी गई।

दिल्ली डिविजन की डीआरएम डिंपी गर्ग ने कहा कि दोपहर तक 42 ट्रेनों पर असर पड़ा। ट्रेनों को कम दूरी पर खत्म करने (शॉर्ट टर्मिनेशन), शॉर्ट ओरिजिनेट या रिशेड्यूल करने की योजना बनाई गई। सबसे ज्यादा असर अंबाला सोनीपत, पानीपत और जींद और भटिंडा रूट पर पड़ा। रेलवे प्रॉपर्टी को किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। आरपीएफ और जीआरपी की जगह जगह तैनाती की गई थी। शाम तक ट्रेनों की आवाजाही पर असर और बढ़ा नजर आया। खास है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में कई महीनों से आंदोलनरत किसानों ने 18 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया था। जिसके चलते किसानों ने कई स्थानों पर रेल रोकीं। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा था कि ये आंदोलन अलग अलग ज़िलों में अलग-अलग जगह होगा। पूरे देश में वहां के लोगों को पता रहता है ​कि हमें कहां ट्रेन रोकनी है। भारत सरकार ने अभी तक हमसे कोई बात नहीं की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आश्वासन दिया था कि रेल रोको आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा और इस दौरान किसी को भी कोई परेशानी नही होने दी जाएगी। पिछली बार भारत बंद में रेल रोकने के दौरान भी किसानों ने जगह-जगह यात्रियों को चाय-नाश्ता देकर उनका दिल जीतने की कोशिश की थी। टिकैत ने दोहराया था कि हम रेल रोक रहें हैं नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। सरकारी संपत्ति को जो नुकसान पहुंचाएगा उस पर कार्रवाई होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को जारी बयान में कहा था कि लखीमपुर नरसंहार मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र को मंत्री पद से बर्खास्त करके तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की जाएगी, ताकि हिंसा में न्याय सुरक्षित किया जा सके। इसके लिए घोषित कार्यक्रम के तहत 18 अक्टूबर को रेल सेवाएं बाधित की गईं। किसान संगठनों की तरफ से कहा गया था कि रेल संपत्ति को बिना क्षति पहुंचाए, रेल रोको शांतिपूर्ण रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलबीर राजेवाल ने बताया कि अजय मिश्र व उनका बेटा आशीष मिश्रा लखीमपुर हत्याकांड का मुख्य आरोपी हैं। इन्होंने अपने भाषणों में हिंदुओं और सिखों के बीच नफरत, दुश्मनी और सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दिया। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को कुचला गया जिसमें 4 किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। उधर, भाकियू हरियाणा के अध्‍यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सहनशीलता की भी एक सीमा होती है, हमारे धैर्य की परीक्षा मत लो। साथ ही उन्‍होंने किसानों से कहा कि हमें हिंसा नहीं करनी चाहिए। सरकार के पास अभी भी इस मुद्दे को सुलझाने का समय है।

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