उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या में कुलदीप सेंगर भाई सहित दोषी करार

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 6, 2020
उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया गया है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि आपका आशय नहीं था, लेकिन जिस तरीके से मारा गया, वो ब्रूटल था। आपको दोषी करार दिया जाता है।



इस मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत कुल 11 आरोपी थे। इनमें से 4 बरी किए गए है। बाकी 7 को कोर्ट ने पीड़िता के पिता की कस्टडी में हुई मौत का दोषी माना है। सजा का ऐलान 12 मार्च को किया जाएगा। धारा 304 और 120b में कुलदीप सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने दोषी करार दिया है।

आरोपी कुलदीप सेंगर समेत जिन 7 लोग को दोषी करार दिया गया है, इनमें से दो यूपी पुलिस के अधिकारी है। एक एसएचओ है, दूसरा सब इंस्पेक्टर है।

फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि मेरी जिंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रायल रहा। जज ने सीबीआई की सराहना की। पीड़ित के वकील की भी सराहना की। कुलदीप सेंगर से जज ने कहा कि आप क्या कहना चाहेंगे। उसने कहा मै निर्दोष हूं। जज ने कहा कि आपने टेक्नोलॉजी का अच्छा इस्तेमाल किया।

पिछले साल 20 दिसंबर को, अदालत ने 2017 में नाबालिग पीड़िता के साथ बलात्कार के लिए सेंगर को “प्राकृतिक जैविक जीवन के शेष” समय तक के लिए जेल भेज दिया था।

अदालत ने बलात्कार पीड़िता के चाचा, मां, बहन और उसके पिता के सहकर्मी के बयान दर्ज किए थे जिन्होंने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया था।  

सीबीआई ने कहा था कि 3 अप्रैल, 2018 को, पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह का विवाद हुआ था। चार्जशीट में, यह उल्लेख किया गया था कि पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गाँव माखी लौट रहे थे, जब उन्होंने शशि प्रताप सिंह से लिफ्ट मांगी। सिंह के इंकार के कारण उनके बीच विवाद हो गया, जिसके बाद उन्होंने अपने साथियों को बुलाया, जो कुलदीप सिंह सेंगर के भाई, अतुल सिंह सेंगर के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी के साथ मारपीट की।

इसके बाद पीड़िता के पिता को पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुलदीप सेंगर जिला पुलिस अधीक्षक और माखी पुलिस थाना प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया के संपर्क में था और उसने उस डॉक्टर से भी बात की थी जिसने पीड़िता के पिता के मामले की जांच की थी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के पिता ने लॉकअप में रखे जाने से पहले किए गए रूटीन मेडिकल-चेकअप के दौरान अतुल सेंगर पर मारपीट का आऱोप लगाया था। मृत्यु से पहले पेट में दर्द की शिकायत होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। हालांकि उस समय, उसके चेहरे पर चोट और घावों के निशान दिखाई दे रहे थे।

", अतुल सिंह, विधायक के भाई ने मेरी पिटाई की। वह मेरी पिटाई करता रहा। किसी ने मुझे बचाने की कोशिश नहीं की," यह पीड़िता के पिता द्वारा एक वीडियो में कहा गया था जो कि काफी समय बाद सामने आया था। इस वीडियो में पीड़िता के पिता के चेहरे औऱ छाती पर चोट के निशान दिखाई पड़ रहे थे। 

बाद में, कुलदीप सेंगर, अतुल सेंगर, अशोक सिंह भदौरिया, उप-निरीक्षक कामता प्रसाद, कांस्टेबल अमीर खान और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किए गए। जनवरी में पीड़िता के पिता का इलाज करने वाले डॉक्टर प्रशांत उपाध्याय का रहस्यमय परिस्थितियों में निधन हो गया।
 
जब पिछले साल अगस्त में, अदालत ने कुलदीप और अतुल सेंगर पर पीड़िता के पिता की हत्या के आरोप तय किए थे, तो उसने कहा था कि यह मामला "बलात्कार पीड़िता के पिता को चुप कराने और शिकायत से रोकने के लिए एक बड़ी साजिश का हिस्सा था"। जज ने इस मामले की जांच में अच्छा काम करने के लिए सीबीआई की सराहना भी की थी।

जुलाई 2019 में वकील व अन्य परिजनों के साथ रायबरेली जेल में बंद चाचा से मिलने जा रही पीड़िता की कार को बगैर नंबर वाले ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में पीड़िता की चाची व मौसी की मौत हो गई थी। गंभीर रुप से घायल पीड़िता को एयरलिफ्ट कर लखनऊ अस्पताल में शिफ्ट कराया गया था।   

 

बाकी ख़बरें