उन्नाव रेप केस भारतीय न्याय व्यवस्था की पोल खोल देने के लिए काफी है...

Written by Girish Malviya | Published on: August 1, 2019
उन्नाव रेप केस भारतीय न्याय व्यवस्था की पोल खोल देने के लिए काफी है। यह केस बतलाता है कि जहाँगीरी न्याय का घण्टा उसको बजाने वाले के ऊपर ही गिर पड़ता है।



आजकल एक तरफ इस तरह के केसों में जहाँ साधारण लोग फँसे होते हैं वहाँ न्यायालयों को उन्हें फाँसी पर चढ़ा कर वाहवाही लूटने की होड़ मची हुई है। वही दूसरी तरफ उन्नाव जैसे मामले है जहाँ रेप केस में रसूखदारों को बचाने के न्यायाधीश ही न्यायिक व्यवस्था का मख़ौल उड़ाते हुए नजर आ रहे है।

क्या आप यकीन कर सकते हैं कि उन्नाव रेप केस में सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हो पाई है क्योंकि अदालत अभी ये ही डिसाइड नही कर पा रही है कि सुनवाई CBI की विशेष अदालत में ही जारी रहे, या केस को सांसदों-विधायकों के खिलाफ सुनवाई के लिए गठित अदालत में स्थानांतरित किया जाए।

इसी साल 15 अप्रैल को CBI की विशेष अदालत के जज वत्सल श्रीवास्तव का ट्रांसफर भी गोरखपुर कर दिया गया था, इसके बाद पिछले तीन महीने से सुनवाई अदालत में बिना जज के ही लंबित है।

यानी एक रेप केस की घटना जो एक नाबालिग लड़की के साथ 2017 मे घटित हुई है उस केस में अब तक कोई सुनवाई नही हुई इस दौरान पीड़िता के पिता को आरोपी के भाई अतुल ने पीटा भी था, और पीड़िता के बुरी तरह ज़ख्मी हुए पिता की मदद करने के स्थान पर पुलिस ने उन्हें ही हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।

पिता के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से तंग आकर पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की पीड़िता के आरोपों को सार्वजनिक करने के अगले ही दिन उसके पिता की पुलिस की हिरासत में पीट पीट कर हत्या कर दी गई, पीड़िता के चाचा महेश को एक दूसरे मामले में जेल भेज दिया गया।

उसके बाद इस मामले की सीबीआई जांच शुरू हुई जो अभी भी चल रही है। अभी तक कोई फाइनल क्लोजर रिपोर्ट दाखिल नही की गयी है।

लेकिन पुलिस प्रताड़ना का सिलसिला यही नही रुका जनवरी 2019 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने उल्टे पीड़िता, उनकी मां और उनके चाचा के खिलाफ जाली स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) तैयार करने में धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया।

पीड़िता पिछले रविवार को अपने परिवारवालों और वकील के साथ रायबरेली जेल चाचा से मिलने गई थी. जेल से लौटते समय उसकी कार और ट्रक में भिड़ंत हो गई. हादसे में पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हैं. वहीं, पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई है।

बताया जा रहा है कि इस दुर्घटना से पहले पीड़िता ने चीफ जस्टिस को एक चिठ्ठी लिख कर अपनी जान को खतरा होने की पूरी जानकारी भी दी थी।

रेप की घटना को दो साल होने को आए हैं घटना के बाद एक एक करके पूरे परिवार को ही खत्म कर दिया गया लेकिन आज पता चलता है कि अब तक सुनवाई भी शुरू नही हो पाई है। जबकी 2013 में जो रेप कानून में जो संशोधन किए गए हैं। उसमे माइनर लड़की के साथ बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गयी है।

कहते है कि "Not only must Justice be done; it must also be seen to be done." लेकिन भारतीय न्याय व्यवस्था में रसूखदारों के मामले में इस उक्ति का कोई महत्व नही है......यह आज उन्नाव रेप केस में साफ नजर आ गया है.......

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