केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- जनता को राजनीतिक दलों की फंडिंग का स्त्रोत जानने का हक नहीं

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 12, 2019
चीफ जस्टिस ऑफ  इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाया जाएगा.



एडीआर ने इस योजना की वैधता को चुनौती देते हुए इस पर अंतरिम स्थगन का आदेश देने की मांग करते हुए कहा चुनावी बॉन्ड्स जारी करने पर रोक लगे अथवा चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक हों ताकि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता बनी रहे.

कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने योजना का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य चुनावों में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाना है. उन्होंने कहा, ‘जहां तक चुनावी बॉन्ड्स योजना का संबंध है, यह सरकार का नीतिगत निर्णय है और किसी सरकार को नीतिगत फैसले लेने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता.’

इससे पहले बुधवार की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा था कि वे चुनावी बॉन्ड के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इससे जुड़ी गोपनीयता के खिलाफ हैं. पारदर्शिता के लिए दानकर्ताओं के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए. गुरुवार को याचिकाकर्ताओं का भी यही कहना था कि मतदाताओं को राजनीतिक दलों के चंदे का स्रोत जानने का अधिकार है.

बार एंड बेंच के अनुसार इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, ‘उनका तर्क है कि मतदाताओं को जानने का अधिकार है. क्या जानने का अधिकार है? मतदाताओं को यह जानने का अधिकार नहीं है कि राजनीतिक दलों के पास कहां से पैसा आ रहा है. इसके अलावा पुट्टास्वामी फैसले के बाद से निजता का अधिकार भी है.’

इसके बाद उन्होंने कहा कि यह योजना काले धन पर रोक लगाने के लिए एक प्रयोग है और लोकसभा चुनाव ख़त्म होने तक अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार काले धन के प्रवाह को रोकना चाहती है, तो क्या अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए? यह एक प्रयोग है और इसे अदालत का समर्थन मिलना चाहिए.

अटॉर्नी जनरल ने यह निवेदन भी किया कि लोकसभा चुनाव ख़त्म होने तक इसे चलने दें.  उन्होंने कहा, ‘मैं अदालत से निवेदन करता हूं कि कुछ समय के लिए इसमें दखल न दें. चुनाव ख़त्म होने तक इसे जारी रहने दें. जब नई सरकार सत्ता में आएगी, वो इसकी समीक्षा करेगी.’

इस पर पीठ ने उनसे पूछा कि चुनावी बॉन्ड से काले धन पर किस तरह रोक लगाई जा सकती है. सीजेआई रंजन गोगोई ने सवाल किया, ‘हम जानना चाहते हैं कि जब कोई बैंक किसी एक्स [x] या वाय [y] के आवेदन पर चुनावी बॉन्ड जारी करता है, तब क्या उसे यह जानकारी होगी कि कौन-सा बॉन्ड x को मिला और कौन-सा y को?’

इस पर अटॉर्नी जनरल ने इनकार किया, जिस पर सीजेआई ने कहा, ‘अगर ऐसा है, तो आपकी काले धन से लड़ने की यह पूरी कवायद बेकार जाएगी.’

इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने अटॉर्नी जनरल से सवाल किए. उन्होंने पूछा, ‘आप जिस तरह की केवायसी [KYC] की बात कर रहे हैं, यह सिर्फ खरीददार की पहचान के बारे में है. इससे यह नहीं पता चलता कि वह पैसा काला है या सफेद.’

इसके बाद जस्टिस खन्ना ने यह बताया कि किस तरह काले धन को कई तरह की शेल कंपनियों के जरिये सफेद किया जा सकता है और ऐसे मामलों में कोई केवायसी काम नहीं आएगी.

इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि यह सरकार का एक प्रयोग है और जो अभी चल रहा है, उसकी तुलना में बुरा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘अगर चुनावी बॉन्ड नहीं होते, तब भी शेल कंपनी आदि काम करतीं. हालांकि जो वर्तमान में चल रहा है, यह उससे बुरा नहीं है, इसलिए इसे एक प्रयोग के बतौर जारी रखा जाना चाहिए.’

इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ताओं के तर्क सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. यह फैसला शुक्रवार सुबह 10.30 बजे सुनाया जायेगा.

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