किसान आंदोलन: JJP चीफ दुष्यंत चौटाला बोले- दुश्मनी का भाव छोड़, किसानों से बात शुरू करे केंद्र सरकार

Written by Navnish Kumar | Published on: April 19, 2021
हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 'केंद्र सरकार को अपने बनाए कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रति दुश्मनी का भाव छोड़ देना चाहिए और कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ तत्काल बातचीत करनी चाहिए। राजधानी दिल्ली में जिस तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है उसे देखते हुए यह आशंका निराधार नहीं है कि किसानों के बीच महामारी फैल सकती है। किसान 145 दिन से ज्यादा से धरने पर बैठे हैं। वे थक भी गए हैं और खेती-किसानी का उनका काम भी प्रभावित हो रहा है। कोरोना का खतरा अलग से बढ़ रहा है। 



ऐसे में सरकार किसानों से बातचीत की शुरुआत करे और जिस शर्त पर होता है उनका आंदोलन खत्म कराने का प्रयास करे। भाजपा के सहयोगी और हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत शुरू करे। इस पर भाजपा के अपने सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्विट करके कहा कि सरकार किसानों से बात करे और आंदोलन खत्म कराए। कहा उन्होंने तो अपनी पार्टी की सरकार को सुझाव भी दिया कि कैसे आंदोलन खत्म कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से वादा करे कि जो भी राज्य इस कानून को लागू नहीं करना चाहता है वह इसे लागू नहीं करने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं दिख रहा है। क्योंकि सरकार तो उलटे पंगे बढ़ा रही है। उसने पंजाब में आढ़तियों की भूमिका खत्म कर नई नाराजगी बढ़ा दी है।

हालांकि किसानों का कहना है कि सरकार सोच रही है कि कोरोना के डर से आंदोलन खत्म हो जाएगा। तो सरकार जान ले कि आंदोलन नहीं थमेगा। दिल्‍ली की सीमाओं पर आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे संयुक्‍त किसान मोर्चा ने कहा कि अपनी मांगें पूरी होने के बाद ही किसान हटेंगे। 

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को कहा कि सरकार को कोरोना वायरस से लड़ना चाहिए, किसानों से नहीं। उन्होंने दोहराया कि मांगें पूरी होने के बाद ही किसान अपना आंदोलन खत्म करेंगे। एसकेएम ने सरकार से किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर भी टीकाकरण केन्द्र स्थापित करने और वायरस से बचाव के लिए उन्हें जरूरी उपकरण मुहैया कराने तथा निर्देश देने का अनुरोध किया।

संगठन ने एक बयान में कहा कि ऐसे समय में जब महामारी एक बार फिर पैर पसार चुकी है, तब केन्द्र सरकार को उन किसानों और मजदूरों की फिक्र करते हुए तत्काल प्रभाव से इस स्थिति से निपटना चाहिए, जिन्हें उसने नजरअंदाज कर दिया है। बयान में कहा गया, ''दिल्ली की सीमाओं से लेकर देश के अन्य हिस्सों में किसानों के विरोध प्रदर्शन तभी समाप्त होंगे जब किसानों की मांगें पूरी की जाएंगी। सरकार को प्रवासी मजदूरों के स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी हरसंभव प्रयास करना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। यदि सरकार वास्तव में किसानों तथा मजदूरों और आम जनता के बारे में चिंतित है, तो उसे किसानों की मांगों को स्वीकार करना चाहिए।

उधर, यूपी गेट पर भी रविवार को गाजीपुर किसान आंदोलन कमेटी ने सरकार को कड़ा संदेश दिया। कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में भाकियू ने आंदोलनस्थल पर किसानों की संख्या बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। पदाधिकारियों ने पश्चिमी यूपी और आसपास जिलों के किसानों से 20 अप्रैल तक यूपी गेट बॉर्डर पर पहुंचने का आह्वान किया है।  

उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना की आड़ में किसान आंदोलन समाप्त करने की साजिश की जा रही है। जिस तरह हरियाणा के एक बड़े नेता ने ऑपरेशन क्लीन चलाने की बात कही उससे किसानों में दहशत है। लेकिन किसान इसको सफल नहीं होने देंगे। लंबे समय से किसान सड़कों पर बैठे हैं। सरकार के साथ करीब 11 दौर की बातचीत हुई। मगर हर बार सरकार ने सिर्फ किसानों के साथ मजाक किया हैं।

इससे पूर्व भाकियू नेता राकेश टिकैत भी कह चुके हैं कि “आंदोलन अगर खत्म हो जाये तो क्या देश से कोरोना खत्म हो जाएगा? वे (आंदोलन स्थल) हमारे गांव की तरह है, जहां पांच-पांच महीने से हम वहां रह रहे हैं। जैसे पूरा देश रहेगा उन्हीं गाइडलाइंस से हम रह लेंगे। आंदोलन का इससे क्या लेना देना है। कोरोना नियमों का पालन करते हुए आंदोलन को जारी रखा जाएगा। कहा ये कोई शाहीन बाग नहीं है कि कोरोना के नाम पर खत्म कर देंगे। जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा और मांगे पूरी नहीं होगी आंदोलन खत्म नहीं होगा।

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