केन्द्रशासित लक्षद्वीप में संभावित तबाही का प्रखर विरोध जारी

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: May 25, 2021
भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर स्थित प्रवाल से निर्मित, क्रिस्टल नीले पानी और लैगून के लिए विख्यात भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप स्थित है जो आज राजनीतिक कारणों से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्र में हैं. भारत की मुख्य भूमि से लगभग 300 किलोमीटर की दुरी पर स्थित यह द्वीप समूह देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है. जिसकी आबादी 2018 के अनुसार 78,570 है जिसमें लगभग 96 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. शांतिप्रिय आबादी के रूप में प्रचलित इस द्वीप समूह के लोग पिछले कुछ दिनों से विकास के नाम पर किए जा रहे प्रशासनिक सुधारों के ख़िलाफ़ सख्त अभियान चला रहे हैं. इस द्वीप समूह के निवासी मुख्यतः लक्षद्वीप के नए प्रशासक (राज्यपाल के समकक्ष) प्रफुल्ल कोंडा भाई पटेल के एक तरफ़ा जनविरोधी परिवर्तन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिन्होंने 5 दिसंबर 2020 को लक्षद्वीप के पूर्व प्रशासक दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद यहाँ का कार्यभार संभाला है. 



क्या है मामला?
लक्षद्वीप के वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल पटेल पूर्व भाजपा नेता हैं जिन्होंने गुजरात के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया है, उन्होंने कई नए सुधारों की घोषणा की, जिससे स्थानीय लोगों और पड़ोसी राज्य केरल में कई तरह की परेशानियाँ शुरू हो गयी हैं. समस्या के केंद्र में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 (LDAR) का मसौदा है, जो प्रशासक को नगर नियोजन या किसी भी विकासात्मक गतिविधि के लिए द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से हटाने या स्थानांतरित करने की शक्ति देता है. साथ ही, जनवरी 2021 में पेश किया गया एंटी-सोशल एक्टिविटीज एक्ट (PASA) की रोकथाम, सरकार को किसी व्यक्ति को बिना किसी सार्वजनिक प्रकटीकरण के एक वर्ष तक की अवधि के लिए हिरासत में रखने की शक्ति देती है. यह मसौदा बिल सरकार व् सरकारी निकायों को व्यापक स्तर पर मनमानी करने की अनियंत्रित शक्ति प्रदान करता है ताकि वे द्वीपवासियों के अधिकारों में सीधे हस्तक्षेप कर सके. 

एलडीएआर (LDAR) मसौदा क्या है:
लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन, 2021 (एलडीएआर 2021), प्रशासन की वेबसाइट पर अधिसूचित, सरकार (और उसके सभी निकायों) को सीधे हस्तक्षेप करने के लिए व्यापक, मनमानी, अनियंत्रित शक्तियां देकर लक्षद्वीप में मौजूदा भूमि स्वामित्व और उसके उपयोग को बदलने का प्रस्ताव करता है. एक द्वीपवासी को अपनी संपत्ति रखने और उसका उपयोग करने का अधिकार है. यह मसौदा सरकार को अपने विनियमन के तहत प्रदान की गई "विकास" गतिविधियों के लिए किसी भी भूमि को चुनने का अधिकार देता है. एक बार चुनने के बाद, सरकार के अनुसार भूमि का उपयोग किया जा सकता है, अर्थात भूमि के मालिक की मंजूरी की जरुरत नहीं है. यह "सार्वजनिक उद्देश्य" के नाम पर ली गयी आवश्यक भूमि होगी. यह मसौदा कई प्रकार की चिंताओं को जन्म देती है क्यूंकि विकास के नाम पर इस रिपोर्ट में खनन, भवन, इंजीनियरिंग, सहित कई निर्माण गतिविधियों तक को सम्मिलित किया गया है. इसमें किसी भी भूमि के उपयोग में परिवर्तन और उसका उपविभाजन शामिल है. इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी क़ानूनी कार्यवाई में विकास योजनाओं को मंजूरी मिलने के पहले या बाद में कोई पूछताछ नहीं की जाएगी. हालाँकि एलडीएआर 2021 पर टिप्पणियां और सुझाव जमा करने की आखिरी तारीख 31 मई है.

अन्य सरकारी फरमान जिसका विरोध हो रहा है:
अन्य नियमों में स्कूलों को मांसाहारी भोजन परोसने से रोकना और मछुआरों के शेड को नष्ट करना शामिल है. लक्षद्वीप समूह की 96 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है जिनका मुख्य भोजन मांसाहार है जिसे राजनीति से प्रेरित मंसूबों के तहत बंद करवाया जा रहा है. उसके बाद उनके प्रशासन ने लक्षद्वीप के मछुआरा समुदाय की मदद के लिए स्थापित कई शेड और स्थानीय संगठनों को नष्ट कर दिया. इन संगठनों को स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदाय के लाभ के लिए बनाया गया था. यह अस्थायी भवन, जो पहले केवल मछुआरों को प्रशासन द्वारा दी गई छूट के तहत बनाए गए थे, अब बिना किसी चेतावनी के ध्वस्त किया जा रहा है. द्वीपवासी आरोप लगाते हुए यह भी कह रहे हैं कि "प्रशासन ने यह भी फैसला किया है कि द्वीपवासियों को अब माल ढुलाई के लिए बेपोर (केरल) पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. इसके बजाय, उन्हें इस उद्देश्य के लिए मैंगलोर (कर्नाटक) पर निर्भर रहना चाहिए.

पंचायत चुनाव लड़ने को लेकर विवाद:
एक अन्य विवाद लक्षद्वीप पंचायत विनियमन, 2021 के मसौदे के तहत प्रस्तावित प्रतिबंध को लेकर है, जिसमें किसी निवासी के दो से अधिक बच्चे होने पर वह व्यक्ति पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. मसौदा नियम में कहा गया है, "कोई भी ऐसा व्यक्ति ग्राम पंचायत का सदस्य नहीं होगा जिसके दो से अधिक बच्चे हैं. यानि कि इस मसौदे के तहत दो से अधिक बच्चे वाले सदस्य को पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. इस मानदंड ने लोगों के जेहन में दहशत पैदा कर दी है.

Covid-19 प्रोटोकॉल में बदलाव:
लक्षद्वीप में LDAR मसौदा ही एकमात्र कारण नहीं है जिसकी वजह से वहां की जनता ने व्यापक प्रतिरोध को आमंत्रित किया है. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने COVID प्रोटोकॉल को कम करने सहित अन्य मानदंड को भी लागू किया जो महामारी के प्रसार को रोकने के लिए द्वीप पर लागू थी. 2020 तक यह द्वीप महामारी के प्रभावों से मुक्त था. गलत राजनीतिक निर्णयों के कारण वर्तमान में यहाँ लगभग 6000 कोरोना महामारी के मामले दर्ज हुए हैं. इससे पहले, द्वीप की मानक संचालन प्रक्रिया में द्वीप में प्रवेश करने के लिए चौदह दिनों के सख्त संगरोध की आवश्यकता होती थी लेकिन पटेल ने मानदंडों को कमजोर करते हुए कहा कि आरटी-पीसीआर नकारात्मक प्रमाण पत्र लक्षद्वीप में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त है जिसने द्वीपवासियों के बीच चिंता पैदा कर दी है.

बीफ बैन और गुंडागर्दी एक्ट
प्रशासक पटेल पर प्रस्तावित "पशु संरक्षण" नियमों द्वारा लक्षद्वीप के लोगों के पारंपरिक जीवन में हस्तक्षेप करने के  प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया है, जो गोमांस उत्पादों के वध, परिवहन, बिक्री या खरीद पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. पफुल्ल पटेल ने लक्षद्वीप में सड़कों को चौड़ा करने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की जिसका स्थानीय लोगों ने कड़ा विरोध किया क्यूंकि यहाँ वाहनों की संख्यां बहुत कम है और ऐसे कामों की आवश्यकता न के बराबर है. अगले कदम के रूप में प्रशासक पटेल ने स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा सहित कई सरकारी एजेंसियों के कई कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के निकाल दिया है. 

लक्षद्वीप में अपराध दर बहुत कम है या यूँ कहें कि अपराध दर शून्य के बराबर है. बावजूद इसके इस द्वीप पर प्रफुल्ल पटेल एक ‘गुंडागर्दी अधिनियम’ की शुरुआत करने वाले हैं. इस अधिनियम की आड़ में वे विरोध की आवाज को हमेशा के लिए खामोश करना चाहते हैं. 

लक्षद्वीप प्रेम और शांति से रहने वाले लोगों का द्वीप समूह है जहाँ की अधिकांश आबादी मुस्लिम होने के वाबजूद न ही कोई आपराधिक मामले सामने आते हैं और न ही कोई हिंसक गतिविधि लेकिन संघ परिवार के एजेंडे का अगला निशाना यह द्वीप समूह है. कश्मीर और कई अन्य राज्यों के बाद यह द्वीप समूह संघ परिवार की नई प्रयोगशाला है. संघ परिवार का पूर्व घोषित साम्प्रदयिक एजेंडा रहा है कि भारत में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को समाप्त कर वहां संघ परिवार के प्रभाव को विकसित करना और इसके कार्यान्वयन के लिए प्रफुल्ल पटेल और उसकी कार्यशैली माकूल माहौल तैयार कर रहे हैं. आज लक्षद्वीप की पारंपरिक जीवन शैली, संस्कृति और उनके आस्था को बचाने का सवाल सर्वोपरि है. इस द्वीप पर चल रहे सुनियोजित राजनीतिक बदलाव के ख़िलाफ़ कई कई नामचीन हस्तियों सहित  सांसदों, विधायकों व् विपक्षी दलों ने आवाज उठाई है और राष्ट्रपति को ख़त लिख कर आपति जताई है. आजीविका और पारंपरिक संस्कृति बचाने की इस जद्धोजहद में देश को लक्ष द्वीप समूह के साथ खड़े होने की ज़रूरत है.  

बाकी ख़बरें