UP: कन्नौज में हैवानियत की शिकार लड़की की मदद की बजाय वीडियो बनाने वाले 20 तमाशबीनों पर केस

Written by Navnish Kumar | Published on: October 29, 2022
कन्नौज के गुरसहायगंज में झाड़ियों में घायल पड़ी हैवानियत की शिकार लड़की की मदद के बजाय लोग वीडियो बनाते रहे। समाज के ऐसे तमाशबीनों को लेकर कानपुर के ADG भानु भास्कर ने बड़ा सराहनीय कदम उठाया है। मदद के बजाय  घायल हैवानियत की शिकार बेबस मासूम बच्ची का वीडियो बनाने वाले और फोटोबाज़ 20 अज्ञात तमाशबीनों पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एसआई ने बताया कि आरोपियों की तलाश में दबिश भी दी जा रही है। खबर है कि ADG भानु भास्कर के निर्देश पर कन्नौज के गुरसहायगंज थाने में पुलिस ने खुद केस दर्ज कराया है। 



कन्नौज का जो वीडियो वायरल हुआ था उसमें साफ दिख रहा है कि, घायल लड़की उठने की हालत में नहीं है। वो हाथ से मदद का इशारा भी कर रही है लेकिन लोग मदद का हाथ नहीं बढ़ा रहे क्योंकि उनके हाथों में मोबाइल फोन हैं। जिससे वो घायल लड़की का अलग-अलग एंगल से वीडियो बना रहे हैं। 25 सेकेंड के इस वीडियो में समाज की सोच उजागर होती है जिसके लिए खून से लथपथ घायल बच्ची भी ट्रेडिंग वीडियो बनाने का मौका बन गई। 

वीडियो में कोई भी शख्स बच्ची को बचाने के लिए आगे नहीं आता। भीड़ में खड़े लोगों के बीच मानों खुद को दूसरों से बेहतर वीडियोग्राफर साबित करने की होड़ मची हो। इस बीच.. लोग एंबुलेंस बुलवाने के लिए एक दूसरे को बोलते तो सुनाई दे रहे हैं, जबकि खुद तस्वीर खींच रहे हैं। ये वो लोग हैं जो सिस्टम को कोसने में कोई कोताही नहीं बरतते। लेकिन जब अपना फर्ज़ निभाने का मौका आता है तो फोटो और वीडियो बनाने लगते हैं। 

दरअसल, कन्नौज में गुरसहायगंज मोहल्ले की रहने वाली 13 साल की बच्ची रविवार को दोपहर करीब 12 बजे घर से मिट्टी की गुल्लक लेने निकली थी। काफी देर तक जब वो घर नहीं लौटी तो घरवालों ने छानबीन की। शाम करीब 5 बजे बच्ची सरकारी डाक बंगला गेस्ट हाउस के पास झाड़ियों में पड़ी मिली थी। उसके शरीर पर कई जख्म थे और सिर पर भी चोट के निशान थे। उसके बाद क्या हुआ। आप देख रहे हैं। बच्ची के परिवार का आरोप है कि उनकी बच्ची को रेप के मकसद से अगवा किया गया था। 

डाक बंगले की झाड़ियों में ले जाकर आरोपी ने उसके साथ हैवानियत की थी। इसके बाद सिर पर ईंट से हमला कर मरा समझ कर उसे छोड़कर भाग निकला था। शाम को बालिका मरणासन्न हालत में मिली थी। बालिका लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगा रही थी लेकिन इन 20 लोगों ने मोबाइल से वीडियो और फोटो खींच कर वायरल कर दिया पर उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया। एसआई मनोज पांडेय ने वीडियो बनाने और फोटो खींचने वाले 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। एसआई ने बताया कि आरोपियों की तलाश में दबिश भी दी जा रही है।

बच्ची को कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां डॉक्टरों की पैनल ने बच्ची का मेडिकल किया है, जिसमें रेप की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कि रेप के मकसद से बच्ची को अगवा किया गया हो और बच्ची के विरोध के कारण उस पर हमला किया गया हो। जिससे वो बुरी तरह घायल हो गई। बच्ची को मरा समझकर आरोपी उसे सुनसान जगह पर फेंककर फरार हो गए होंगे। 

चौकी इंचार्ज मनोज पांडेय हैं असली हीरो 
इस मामले में एक वीडियो और वायरल हुआ था, जिसमें एक पुलिसवाला घायल बच्ची को गोद में लिए भागता दिखता है। लोग खड़े देख रहे हैं और पुलिसवाला दौड़ते हुए बच्ची को लेकर ऑटो में बैठता है। इस दौरान पुलिसवाले की टोपी भी गिर जाती है। लेकिन वो इसकी परवाह किये बगैर बच्ची को फौरन अस्पताल ले जाता है। ये चौकी इंचार्ज मनोज कुमार पांडेय हैं। जिन्होंने एक पल गंवाए बिना बच्ची को उठाया और अस्पताल की तरफ दौड़ पड़े। जबकि कई लोग घायल लड़की का अलग अलग एंगल से वीडियो बनाने में मशगूल थे।

भाजपा माले ने उठाए सवाल 
कन्नौज में नाबालिग से हुई नृशंसता पर भाकपा माले ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठाए है। और कानपुर के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कन्नौज की नाबालिग बच्ची के साथ हृदयविदारक घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि बच्ची गरीब अल्पसंख्यक परिवार से है और उसकी जान बचाने के लिए सरकार को समुचित व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए। 

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने जारी बयान में कहा कि खबरों के अनुसार 12 साल की बच्ची दीपावली की पूर्व संध्या पर कन्नौज के सरकारी गेस्ट हाउस के पास झाड़ियों में खून से लथपथ पड़ी मिली थी। अपराधियों ने बच्ची की पहचान छुपाने के लिए उसके सिर को ईंट से पीट दिया था। परिजनों ने इसके पीछे दुष्कर्म की कोशिश की आशंका जताई है। सीसीटीवी फुटेज से पहचान हो जाने के बावजूद आरोपी पुलिस की पकड़ से आजाद हैं। 

माले ने कहा कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब हुई है। खासकर नाबालिगों के साथ हैवानियत और दलित-अल्पसंख्यक उत्पीड़न की घटनाएं चरम पर हैं। हाल ही में बहराइच जिले में एक दलित युवक को शौचालय की शीट की चोरी का आरोप लगाकर उसके चेहरे को कालिख से पोतकर और सर मुड़ाकर घुमाया गया, मानो दलित होना ही जुर्म है, लेकिन प्रदेश सरकार खुद की पीठ थपथपाने और विज्ञापन करने में लगी है कि यूपी में सब कुछ चंगा है, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। 

इंसानियत को शर्मसार करने वाली बात
चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी लड़की 23 अक्टूबर को एक खरीदे गुल्लक को बदलने गई थी और स्थानीय बाजार से लापता हो गई थी। उसके पिता ने बताया, ‘उसने दो गुल्लक खरीदे थे और जब वह घर पहुंची तो एक टूटा हुआ था। वह उसे बदलने के लिए बाजार गई और वापस नहीं आई।’

इंसानियत को शर्मसार करने वाली बात यह है कि बच्ची घायल अवस्था में तड़पकर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रही थी, मगर लोग तमाशबीन बन बच्ची को तड़पता देख मोबाइल से वीडियो शूट कर रहे थे। परिजनों का आरोप है कि उनकी बच्ची केा अगवा करके रेप की कोशिश की गई और फिर पहचान खुलने के डर से आरोपी ने हत्या के इरादे से बच्ची के सिर पर ईंट से हमला किया था। पांच दिन से पीड़ित नाबालिग कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है। इस मामले में गुरसहायगंज कोतवाली में रेप के प्रयास, पॉक्सो और हत्या की कोशिश में रिपोर्ट दर्ज हुई है।

बालिका ने खोली आंखें, बोलने में असमर्थ
बालिका का कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में उपचार चल रहा है। शुक्रवार को बालिका ने आंखें खोली लेकिन अभी वह बोलने मे असमर्थ है। उसके सिर में कई टांके लगे है। शरीर के अंगों में गंभीर चोटें भी हैं। एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने बताया कि चिकित्सकों से बात हुई है। बालिका जल्द पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। 

फरार आरोपी का नहीं लगा सुराग
बालिका को हैवानियत का शिकार बनाने वाला आरोपी पुलिस पर भारी पड़ रहा है। वारदात के बाद से पुलिस उसका सुराग नहीं लगा पा रही है। रामजी की तलाश में पुलिस दिल्ली समेत उसके रिश्तेदारों के घर दबिश दी है पर पता नहीं चल सका है।

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