'आंशिक स्वतंत्र देशों की सूची में भारत का नाम होना भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक'

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: March 6, 2021
सरकार का जनता के साथ बर्ताव, सरकारी संस्थानों का दुरूपयोग, संवैधानिक शक्ति का अनुचित प्रयोग कर भारत की सरकार द्वारा दुनिया भर में भारतीय लोकतंत्र की जग हँसाई हो रही है. अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की ओर से जारी ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021’ नाम के रिपोर्ट में भारत को स्वतंत्र देशों की सूची से हटा कर आंशिक स्वतंत्र देशों की सूची में डाल दिया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ भारतीय लोकतंत्र में यह बदलाव 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली बार की जीत के बाद से ही शुरू हो गयी और 2019 के दुसरे कार्यकाल के साथ इस बदलाव में तीव्रता देखी गयी है. 



वर्तमान में भारत की स्वतंत्रता पर हमला है. लगभग सभी क्षेत्रों में आज़ादी महज़ एक शब्द बन कर रह गया है. देश में सोच के स्तर पर दो धड़े का निर्माण किया जा रहा है. सत्तासीन धड़े के ख़िलाफ़ लिखने बोलने की आज़ादी लगभग ख़त्म हो चुकी है. हिन्दू राष्ट्रवाद के नाम पर पत्रकारों को धमकाया जा रहा है. हाल ही में किसान आन्दोलन के बारे में मीडिया मालिकों द्वारा सच्चाई नहीं दिखाने देने से परेशान हो कर एक पत्रकार ने सार्वजानिक तौर पर अपनी नौकरी को छोड़ने की घोषणा कर दी. मोदी सरकार में सभी के लिए सामान अधिकार और समावेशी विकास की बात कर मुसलमानों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हमले बढ़े हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर भी दबाब बढ़ा है. 2014 से 2020 के दरम्यान देशद्रोह के मुक़दमे लगाने की संख्यां में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

बीते कुछ सालों से फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रेंकिंग लगातार नीचे जा रही है. पिछले साल भारत को 71 अंक मिले थे जो इस साल 67 अंक तक फ़िसल कर चला गया है. 211 देशों में से पहले भारत 83 वें स्थान पर था जो अब 88वें स्थान पर पहुंच चुका है. चौंकाने वाली बात यह है इस फ्रीडम रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 फ़ीसदी लोग ही अब मुक्त देश में रहते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2014 के बाद न सिर्फ़ मानवाधिकार संगठनों पर दबाब व् हमले बढ़े हैं बल्कि देश के प्रधानमंत्री एक लोकतान्त्रिक नेता की बजाय संकीर्ण हिन्दू नेता के तौर पर काम कर रहे हैं. फ्रीडम रिपोर्ट में 195 देशों को लेकर 2019 के दौरान स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन किया गया था. स्वीडन और फिनलैंड को इस रिपोर्ट में सौ में से सौ अंक मिले थे. इस रिपोर्ट में कश्मीर में जबरन थोपे गए सरकारी फ़ैसले से लेकर अनियोजित तरीके से लगाए गए लॉकडाउन की भी चर्चा की गयी है. जहाँ एक तरफ़ लोकतान्त्रिक अधिकारों का उलंघन हुआ है तो दूसरी तरफ़ लाखों मजदूरों को पैदल चल कर अपने घरों तक जाना पड़ा. यह मानवीय अधिकार पर हमला है. रिपोर्ट में अमेरिका में भी लोकतान्त्रिक अधिकारों में हो रही कटौती को इंगित किया गया है.  

इस रिपोर्ट में भारत की बदलती और लगातार कमज़ोर होती स्थिति के कारण भी गिनाए गए हैं. 
• विरोध प्रदर्शन के प्रति मोदी सरकार के सख्त रुख़ की वजह से भारत के धर्मनिरपेक्ष व् समावेशी स्वरुप को ख़तरा उत्त्पन्न हो गया है. 
• कश्मीर में किए गए बेतरतीब शटडाउन व सीएए, NRC के खिलाफ़ देश भर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. 
• वर्तमान सरकार ने देश की बहुलता और नागरिक अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी से ख़ुद को दूर कर लिया है जो लोकतंन्त्र का आधार है. 
• मोदी सरकार के रवैये के कारण भारत के प्रति दुनिया भर में नजरिया बदल रहा है. भारत को भी अब अन्य देशों की तरह लोकतन्त्र के सवाल पर आलोचना का सामना करना पड़ता है. भारत को निरंकुश सत्ता की तरफ ले जाया जा रहा है.

भारत में 2014 के बाद सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वाले राजनेता, पत्रकार, लेखक, स्टूडेंट, शिक्षाविदों पर देशद्रोह तक का मुकदमा चलाया जाने लगा. आंकड़ों को अगर देखा जाए तो पिछले 10 साल में कुल 405 देशद्रोह के केस दर्ज हुए हैं. उन सभी केसों में से 96 प्रतिशत केस राजनेता और सरकार की आलोचना करने के ख़िलाफ़ 2014 के बाद दायर किया गया है. 149 देशद्रोह के केस दर्ज हुए हैं केवल नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ बोलने को लेकर, वहीं 144 केस उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए हैं. 2010 से अब तक देशद्रोह के सबसे अधिक मुक़दमा दर्ज करने वाले राज्यों में से अधिकांश राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है.
 
राज्य      2010 के बाद केस की संख्या 
बिहार         168
तमिलनाडु      139
उत्तरप्रदेश       115
झारखंड         62
कर्नाटक         50 

ग्लोबल जगत में भारत को आजाद लोकतंत्र की बजाय आंशिक रूप से स्वतंत्र लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है जिस पर देश के तमाम स्वघोषित राष्ट्रभक्त की चुप्पी शर्मनाक है. जब किसानों को लेकर पॉप सिंगर रिहाना ने ट्वीट किया था तो देशभक्ति का उफान दिखाने वाले लोग आज जब दुनिया भर में भारत की छवि ख़राब हो रही है तो उनकी आवाज बंद पड़ी है. दुनिया पहले से अधिक अलोकतांत्रिक हो गयी है. इस रिपोर्ट पर सरकार की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. दुनिया भर में भारत का परचम लहराने का वादा करके तानाशाही का अवार्ड पाने वाले भारत के प्रधानमंत्री को इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरुरत है. 

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