"यूपी पुलिस ने 2017 के बाद से यानी योगी सरकार में 10713 मुठभेड़ें कीं, जिसमें 178 अपराधी मारे गए हैं। सबसे अधिक 3152 एनकाउंटर मेरठ पुलिस द्वारा किए गए। दूसरे नंबर पर आगरा पुलिस ने 1844 मुठभेड़ों को अंजाम दिया तो तीसरे नंबर पर बरेली पुलिस रही। हालांकि मुलायम और मायावती सरकार में योगी सरकार से भी ज्यादा अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे।"
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को बताया कि पिछले 6 वर्षों में राज्य में पुलिस और अपराधियों के बीच 10,000 से अधिक मुठभेड़ें हुई हैं, जिसमें 178 अपराधी मारे गए हैं। जबकि 15 जांबाज सिपाही शहीद हुए है और करीब 1400 घायल हुए हैं। एनकाउंटर की संख्या के मामले में, मेरठ 2017 के बाद से सबसे अधिक 3152 मुठभेड़ों के साथ राज्य में शीर्ष पर है, जिसमें 63 अपराधी मारे गए और 1708 अपराधी घायल हुए। इसी दौरान पुलिस मुठभेड़ों के दौरान एक जांबाज पुलिसकर्मी भी शहीद हो गया, जबकि 401 पुलिसकर्मी घायल हो गये। यूपी पुलिस की कार्रवाई के दौरान कुल 5,967 अपराधियों को पकड़ा गया।
बयान में कहा गया,”यूपी पुलिस ने 2017 के बाद से 10713 मुठभेड़ किए, जिनमें से सबसे अधिक 3152 मेरठ पुलिस द्वारा की गईं, इसके बाद आगरा पुलिस ने 1844 मुठभेड़ों को अंजाम दिया, जिसमें 4654 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 14 खूंखार अपराधी मारे गए और 55 पुलिस वाले घायल हुए और बरेली में 1497 मुठभेड़ हुई, जिसमें 3410 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 7 की मौत हो गई। बरेली में मुठभेड़ के दौरान 437 अपराधी घायल हुए। इन अभियानों में 296 बहादुर पुलिस कर्मी घायल हुए, जबकि 1 शहीद हो गया।
सरकारी डेटा में कहा गया, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैसे ही राज्य की बागडोर संभाली, राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करना उनकी प्राथमिकता बन गई। उनकी सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई और राज्य के कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐसे तत्वों पर कार्रवाई तेज कर दी।”
एनकाउंटर में आगरा दूसरे, बरेली पुलिस तीसरे नंबर पर
यूपी पुलिस ने साल 2017 से अब तक 10713 एनकाउंटर किए। इस मामले में मेरठ पुलिस पहले नंबर पर है। वहीं दूसरे नंबर पर आगरा पुलिस है। आगरा पुलिस ने अब तक कुल 1844 एनकाउंटर में 4654 अपराधियों को गिरफ्तार किया जबकि 14 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया। आगरा पुलिस की इस कार्रवाई में 258 अपराधी जेल में सजा भुगत रहे हैं। मुठभेड़ के दौरान 55 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। यूपी पुलिस की इस कार्रवाई में बरेली पुलिस तीसरे नंबर पर है। बरेली पुलिस ने अब तक 1497 एनकाउंटर किए हैं, जिसमें 3410 अपराधियों को दबोचा गया जबकि 7 की मौत हो गई। पुलिस की कार्रवाई में 437 अपराधी घायल भी हुए।
मुलायम और मायावती सरकार में योगी सरकार से भी ज्यादा एनकाउंटर में मारे गए अपराधी, देंखे आंकड़े
यूपी में कानून-व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल एक बड़ा मुद्दा है। 2017 में भी चुनाव प्रचार के दौरान तमाम बड़े नेता कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का वादा कर रहे थे। इसके बाद जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो क्राइम कंट्रोल के लिए एनकाउंटर की एक अघोषित पॉलिसी पर पुलिस ने अमल करना शुरू कर दिया। ‘फुल एनकाउंटर’ के साथ ही मुठभेड़ में अपराधी के पैर में गोली लगने को ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ और ‘हाफ एनकाउंटर’ कहा गया। हालांकि इस सबके बावजूद, आंकड़े देंखे तो मुलायम सिंह यादव और मायावती की सरकार में योगी आदित्यनाथ की तुलना में ज्यादा अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। वर्ष 2003 से 2007 के बीच एनकाउंटर में मारे जाने वाले अपराधियों का रिकॉर्ड बना। इस दौरान 499 अपराधी मारे गए थे। वहीं मायावती की सरकार में 2008 से 2012 के बीच एनकाउंटर्स में 261 अपराधी मारे गए, जबकि योगी सरकार में 6 साल में 178 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2017 से 2022 के दौरान योगी सरकार में 9185 एनकाउंटर हुए, जबकि अखिलेश सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में कुल 4359 एनकाउंटर हुए थे। वहीं योगी सरकार में जहां 156 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए, जबकि अखिलेश सरकार में 40 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। इसके अलावा अलावा योगी सरकार में 19908 अपराधी एनकाउंटर में गिरफ्तार किए गए, जबकि अखिलेश सरकार में 11963 अपराधी गिरफ्तार किए गए थे। योगी सरकार के दौरान एनकाउंटर में घायल होने वाले अपराधियों की संख्या 3664 थी, जबकि अखिलेश सरकार में 282 अपराधी एनकाउंटर में जख्मी हुए थे। योगी सरकार में इन्हीं घायल अपराधियों के लिए ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ या ‘हाफ एनकाउंटर’ शब्द का इस्तेमाल हुआ।
योगी सरकार में करीब 1400 पुलिसकर्मी एनकाउंटर में जख्मी हुए तो अखिलेश सरकार में घायल हुए पुलिसकर्मियों की संख्या 150 थी। योगी सरकार में 15 पुलिस वाले पुलिसकर्मी एनकाउंटर में शहीद हुए, जबकि अखिलेश सरकार में 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
मुलायम और मायावती शासन में हुए ज्यादा एनकाउंटर, जबकि कम पुलिसकर्मी हुए थे शहीद
योगी सरकार के दौरान यह साबित करने की कोशिश होती रही है कि अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए सख्ती से कार्यवाही की जा रही है, जिसका अहम हिस्सा ये एनकाउंटर हैं। हालांकि आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वर्ष 2002 से 19 मार्च 2017 के बीच यूपी में 800 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे, यानी हर साल औसतन 56 अपराधियों की मुठभेड़ में मौत हुई, जबकि योगी सरकार में यह औसत निकालें तो हर साल 30 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि मुलायम सिंह यादव और मायावती की सरकार में योगी आदित्यनाथ की तुलना में ज्यादा अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। वर्ष 2003 से 2007 के बीच एनकाउंटर में मारे जाने वाले अपराधियों का रिकॉर्ड बना। इस दौरान 499 अपराधी मारे गए थे। खास यह भी कि मुलायम सरकार में 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, वहीं मायावती की सरकार में 2008 से 2012 के बीच एनकाउंटर्स में 261 अपराधी मारे गए और 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
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बयान में कहा गया,”यूपी पुलिस ने 2017 के बाद से 10713 मुठभेड़ किए, जिनमें से सबसे अधिक 3152 मेरठ पुलिस द्वारा की गईं, इसके बाद आगरा पुलिस ने 1844 मुठभेड़ों को अंजाम दिया, जिसमें 4654 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 14 खूंखार अपराधी मारे गए और 55 पुलिस वाले घायल हुए और बरेली में 1497 मुठभेड़ हुई, जिसमें 3410 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 7 की मौत हो गई। बरेली में मुठभेड़ के दौरान 437 अपराधी घायल हुए। इन अभियानों में 296 बहादुर पुलिस कर्मी घायल हुए, जबकि 1 शहीद हो गया।
सरकारी डेटा में कहा गया, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैसे ही राज्य की बागडोर संभाली, राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करना उनकी प्राथमिकता बन गई। उनकी सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई और राज्य के कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐसे तत्वों पर कार्रवाई तेज कर दी।”
एनकाउंटर में आगरा दूसरे, बरेली पुलिस तीसरे नंबर पर
यूपी पुलिस ने साल 2017 से अब तक 10713 एनकाउंटर किए। इस मामले में मेरठ पुलिस पहले नंबर पर है। वहीं दूसरे नंबर पर आगरा पुलिस है। आगरा पुलिस ने अब तक कुल 1844 एनकाउंटर में 4654 अपराधियों को गिरफ्तार किया जबकि 14 दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया। आगरा पुलिस की इस कार्रवाई में 258 अपराधी जेल में सजा भुगत रहे हैं। मुठभेड़ के दौरान 55 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। यूपी पुलिस की इस कार्रवाई में बरेली पुलिस तीसरे नंबर पर है। बरेली पुलिस ने अब तक 1497 एनकाउंटर किए हैं, जिसमें 3410 अपराधियों को दबोचा गया जबकि 7 की मौत हो गई। पुलिस की कार्रवाई में 437 अपराधी घायल भी हुए।
मुलायम और मायावती सरकार में योगी सरकार से भी ज्यादा एनकाउंटर में मारे गए अपराधी, देंखे आंकड़े
यूपी में कानून-व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल एक बड़ा मुद्दा है। 2017 में भी चुनाव प्रचार के दौरान तमाम बड़े नेता कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का वादा कर रहे थे। इसके बाद जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो क्राइम कंट्रोल के लिए एनकाउंटर की एक अघोषित पॉलिसी पर पुलिस ने अमल करना शुरू कर दिया। ‘फुल एनकाउंटर’ के साथ ही मुठभेड़ में अपराधी के पैर में गोली लगने को ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ और ‘हाफ एनकाउंटर’ कहा गया। हालांकि इस सबके बावजूद, आंकड़े देंखे तो मुलायम सिंह यादव और मायावती की सरकार में योगी आदित्यनाथ की तुलना में ज्यादा अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। वर्ष 2003 से 2007 के बीच एनकाउंटर में मारे जाने वाले अपराधियों का रिकॉर्ड बना। इस दौरान 499 अपराधी मारे गए थे। वहीं मायावती की सरकार में 2008 से 2012 के बीच एनकाउंटर्स में 261 अपराधी मारे गए, जबकि योगी सरकार में 6 साल में 178 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2017 से 2022 के दौरान योगी सरकार में 9185 एनकाउंटर हुए, जबकि अखिलेश सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल में कुल 4359 एनकाउंटर हुए थे। वहीं योगी सरकार में जहां 156 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए, जबकि अखिलेश सरकार में 40 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। इसके अलावा अलावा योगी सरकार में 19908 अपराधी एनकाउंटर में गिरफ्तार किए गए, जबकि अखिलेश सरकार में 11963 अपराधी गिरफ्तार किए गए थे। योगी सरकार के दौरान एनकाउंटर में घायल होने वाले अपराधियों की संख्या 3664 थी, जबकि अखिलेश सरकार में 282 अपराधी एनकाउंटर में जख्मी हुए थे। योगी सरकार में इन्हीं घायल अपराधियों के लिए ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ या ‘हाफ एनकाउंटर’ शब्द का इस्तेमाल हुआ।
योगी सरकार में करीब 1400 पुलिसकर्मी एनकाउंटर में जख्मी हुए तो अखिलेश सरकार में घायल हुए पुलिसकर्मियों की संख्या 150 थी। योगी सरकार में 15 पुलिस वाले पुलिसकर्मी एनकाउंटर में शहीद हुए, जबकि अखिलेश सरकार में 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
मुलायम और मायावती शासन में हुए ज्यादा एनकाउंटर, जबकि कम पुलिसकर्मी हुए थे शहीद
योगी सरकार के दौरान यह साबित करने की कोशिश होती रही है कि अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए सख्ती से कार्यवाही की जा रही है, जिसका अहम हिस्सा ये एनकाउंटर हैं। हालांकि आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वर्ष 2002 से 19 मार्च 2017 के बीच यूपी में 800 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे, यानी हर साल औसतन 56 अपराधियों की मुठभेड़ में मौत हुई, जबकि योगी सरकार में यह औसत निकालें तो हर साल 30 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं।
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि मुलायम सिंह यादव और मायावती की सरकार में योगी आदित्यनाथ की तुलना में ज्यादा अपराधी एनकाउंटर में मारे गए थे। वर्ष 2003 से 2007 के बीच एनकाउंटर में मारे जाने वाले अपराधियों का रिकॉर्ड बना। इस दौरान 499 अपराधी मारे गए थे। खास यह भी कि मुलायम सरकार में 11 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, वहीं मायावती की सरकार में 2008 से 2012 के बीच एनकाउंटर्स में 261 अपराधी मारे गए और 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।
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