भाजपा शासित दो राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की पुलिस आजकल आमने सामने है। आलम यह है कि मामला एक दूसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने तक पहुंच गया है। इस बीच उत्तराखंड की एडिशनल चीफ सेक्रेटेरी ACS ने यूपी पुलिस के कामकाज को लेकर बड़ा तंज कसा है कि "यूपी की पुलिस फर्जी खुलासे करती है और निर्दोष को जेल भेजकर कहती है कि हमने क्राइम सॉल्व कर लिया है।"
उत्तराखंड पुलिस अधिकारी राधा रतूड़ी की यूपी पुलिस पर टिप्पणी उधम सिंह नगर जिले के जसपुर ब्लॉक के स्थानीय बीजेपी नेता गुरतेज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत भुल्लर की मौत के बाद आई है। मामला बीते सप्ताह 12 अक्टूबर की रात का है। यूपी की मुरादाबाद पुलिस एक माफिया को पकड़ने के लिए उत्तराखंड के जसपुर ब्लाक के भरतपुर गांव में गुरतेज के घर छापा मारने गई थी। गांव वालों ने पुलिस को घेर लिया। दोनों ओर से फायरिंग हुई जिसमें स्थानीय बीजेपी नेता गुरतेज की पत्नी की हत्या हो गई। आरोप है कि महिला की मौत यूपी पुलिस की गोली लगने से हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरतेज सिंह ने बताया कि पुलिस के लोग अपराधी को पकड़ने के नाम पर उनके घर में घुसे और उनकी पत्नी को गोली मार दी। उनका कहना है कि वो (यूपी पुलिस के) लोग सादे कपड़ों में थे और उनकी गाड़ी पर कोई नंबर प्लेट भी नहीं थी। जबकि यूपी पुलिस का कहना है कि फायरिंग के दौरान भाजपा नेता की पत्नी को गोली लगी।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक गुरतेज सिंह ने कहा, “वो लोग मेरे घर में घुसे। जब मेरी पत्नी ने बाहर आकर बात करने को कहा तो यूपी पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें उसकी मौत हो गई। जिस हथियार से मेरी पत्नी को मारा गया उसका खोखा यहां मिला है। पुलिस की गाड़ी यहां मिली है। इनके चार फोन यहां मिले हैं। हम तो इनके यहां नहीं गए। ये लोग ही हमारे घर पर आए थे।”
दोनों राज्यों की पुलिस के बीच आरोप प्रत्यारोप का आलम यह है कि अब मामले को लेकर यूपी और उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों के बीच वाक-युद्ध छिड़ गया है। ताज्जुब की बात ये है कि दोनों राज्य में भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद ये हालात पैदा हो गए है कि यूपी और उत्तराखंड प्रशासन आमने सामने हैं।
उत्तराखंड की वरिष्ठ अधिकारी ने यूपी पुलिस पर बड़ी तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस फर्जी खुलासे करती है और निर्दोषों को पकड़ कर कहती है कि केस सॉल्व हो गया है। उत्तराखंड एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (गृह) राधा रतुड़ी के इस आरोप से दोनों राज्यों के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। UP पुलिस ने रतुड़ी के इस बयान को गैरजिम्मेदाराना और आधारहीन बताया है।
रतूड़ी ने सोमवार (17 अक्टूबर) को देहरादून में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “अपराध को हल किया जाना चाहिए और सही तरीके से हल किया जाना चाहिए। किसी निर्दोश को पकड़ना भी नहीं चाहिए, ये भी गलत है। कई बार यूपी पुलिस क्या करती है, किसी भी निर्दोष व्यक्ति को पकड़कर वो कहती है हमने केस सॉल्व कर दिया। ये गलत है। अगर आप एक निर्दोष व्यक्ति को सजा देते हैं तो इसके कारण 99 अन्य अपराधियों का जन्म होता है। एक बेगुनाह को सजा दोगे तो 99 अपराधी पैदा होंगे। एक अपराध की उचित जांच होनी चाहिए और केवल दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।”
उधम सिंह नगर की इस घटना के बाद उत्तराखंड पुलिस ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाया था कि उसे ऑपरेशन को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई थी, लेकिन यूपी पुलिस कह रही है कि उसने जानकारी दी थी। मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं।
रतूड़ी के बयान पर उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), कानून और व्यवस्था, प्रशांत कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गैर-जिम्मेदार और निराधार बयान है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड एसीएस होम ने तथ्यों की जांच किए बिना एक गैर जिम्मेदाराना बयान जारी किया है। एक सिविल सेवक को ऐसे बयानों से बचना चाहिए, खासकर जब आप सबसे बड़े और सबसे संवेदनशील राज्य से संबंधित मामले को लेकर बोल रहे हो। ये बयान खेदजनक और निराधार है।”
UP के ADG क़ानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि उत्तराखंड के ACS गृह का बयान देखा और सुना है। ये बयान खेद जनक है और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा जिन्हें न्यायालय ने सज़ा दी है वे निर्दोष लगते हैं? क्या ज़फर जो खनन माफिया है वे उन्हें निर्दोष लगते हैं?, उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपराध और अपराधियों के प्रति कार्रवाई करके एक नजीर प्रस्तुत की है। उत्तर प्रदेश पुलिस उत्तराखंड सरकार से मांग करती है कि इस तरह के गैर ज़िम्मेदाराना बयान पर रोक लगाई जाए।
प्रशांत कुमार के बयान के बाद रतूड़ी ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब था कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। कहा कि यूपी पुलिस अच्छा काम कर रही है और वो आशा करती हैं कि किसी मामले में कोई निर्दोष व्यक्ति नहीं फंसेगा। पुलिस को सिर्फ दोषियों के खिलाफ ही कार्रवाई करनी चाहिए। अपराध की सही विवेचना होनी चाहिए और सही लोगों को सजा मिलनी चाहिए।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने एक ऑडियो बयान में कहा कि रतूड़ी का मतलब लोगों का विश्वास जीतने के लिए झूठे मामलों पर पूर्ण अंकुश लगाना था। यूपी पुलिस बहुत पेशेवर फोर्स है। हम रोजाना बातचीत करते हैं और आपसी तालमेल से अपराधियों को पकड़ते हैं।
खनन माफिया का पीछा करते हुए उत्तराखंड पहुंची थी मुरादाबाद पुलिस
ये वारदात 12 अक्टूबर की रात यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर से सटे उत्तराखंड के भरतपुर गांव में भाजपा नेता गुरतेज भुल्लर के फार्म हाउस पर हुई थी। यूपी के मुरादाबाद की पुलिस खनन माफिया जफर का पीछा करते हुए उत्तराखंड में भुल्लर के फार्म हाउस में घुसी थी। जहां हुई फायरिंग में जसपुर के ब्लॉक उप प्रमुख गुरताज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत की गोली लगने से मौत हो गई थी।
उत्तराखंड में "जस्टिस फॉर गुरप्रीत कौर" कैंपेन
उत्तराखंड के कई शहरों में "जस्टिस फॉर गुरप्रीत कौर" कैंपेन शुरू हुआ है। जसपुर और कुंडा समेत कई जगहों पर लोग रविवार रात सड़कों पर उतर आए। भीड़ ने कैंडल मार्च निकालकर BJP नेता गुरतेज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर के हत्यारों को फांसी देने की मांग की। मामले की CBI जांच की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। गुरप्रीत की हत्या का आरोप यूपी की मुरादाबाद पुलिस पर है। जिनके खिलाफ उत्तराखंड के कुंडा थाने में मर्डर की FIR दर्ज हो चुकी है।
उत्तराखंड के भुल्लर फार्म हाउस पर 12 अक्टूबर की रात, जब फायरिंग में जसपुर के ब्लॉक उप प्रमुख गुरतेज भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर की मौत हो गई थी, का VIDEO भी सामने आया हैं। VIDEO में पुलिस टीम फार्म हाउस के अंदर हाथ में पिस्टल ताने नजर आ रही है। तभी सादे कपड़ों में सिर पर लाल कैप लगाए एक पुलिसकर्मी अपनी पिस्टल ऊपर करता है। इसी बीच एक गोली चलने की आवाज आई। एक गोली गुरप्रीत कौर को लग जाती है। इसके बाद गुस्साई भीड़ पुलिसवालों की पिटाई शुरू कर देती है।
लल्लनटॉप की खबर के अनुसार, मामले पर यूपी पुलिस और उत्तराखंड पुलिस अलग-अलग बातें कह रही हैं।
यूपी पुलिस का दावा
-गुरतेज सिंह ने आरोपी जफर को शरण दी थी।
-हमारी टीम ने उत्तराखंड पुलिस को मामले की जानकारी दी थी।
-पुलिसवालों को पीटा गया, उनके हथियार छीने गए और आरोपी को भगाया गया।
-हमारी तरफ से कोई गोली नहीं चली है.
-खनन माफिया और उसके साथियों ने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की।
-6 जवान गंभीर रूप से घायल, दो पुलिसवालों को गोली लगी।
यही नहीं, आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस ने शरणदाताओं का आपराधिक इतिहास जारी किया है। पुलिस के मुताबिक ब्लॉक प्रमुख गुरतेज सिंह पर 3 मुकदमे दर्ज हैं। गुरतेज के भाई सुखविंदर सिंह पर 9 केस, चाचा सतनाम सिंह पर 21 केस और चाचा जगतार सिंह पर 11 केस दर्ज हैं।
उत्तराखंड पुलिस का दावा
-हमें मुरादाबाद पुलिस से आपातकालीन सूचना मिली कि वो अपराधी की गिरफ्तारी के लिए आएंगे।
-उनकी स्थानीय लोगों के साथ झड़प हुई और दोनों पक्षों ने गोलीबारी की।
-फॉरेंसिक डायरेक्टर का कहना है कि यूपी पुलिस के SHO की गोली से गुरप्रीत सिंह की मौत हुई।
-यह एक संगीन अपराध है इसलिए हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरतेज सिंह ने बताया कि पुलिस के लोग अपराधी को पकड़ने के नाम पर उनके घर में घुसे और उनकी पत्नी को गोली मार दी। उनका कहना है कि वो (यूपी पुलिस के) लोग सादे कपड़ों में थे और उनकी गाड़ी पर कोई नंबर प्लेट भी नहीं थी। जबकि यूपी पुलिस का कहना है कि फायरिंग के दौरान भाजपा नेता की पत्नी को गोली लगी।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक गुरतेज सिंह ने कहा, “वो लोग मेरे घर में घुसे। जब मेरी पत्नी ने बाहर आकर बात करने को कहा तो यूपी पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें उसकी मौत हो गई। जिस हथियार से मेरी पत्नी को मारा गया उसका खोखा यहां मिला है। पुलिस की गाड़ी यहां मिली है। इनके चार फोन यहां मिले हैं। हम तो इनके यहां नहीं गए। ये लोग ही हमारे घर पर आए थे।”
दोनों राज्यों की पुलिस के बीच आरोप प्रत्यारोप का आलम यह है कि अब मामले को लेकर यूपी और उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों के बीच वाक-युद्ध छिड़ गया है। ताज्जुब की बात ये है कि दोनों राज्य में भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद ये हालात पैदा हो गए है कि यूपी और उत्तराखंड प्रशासन आमने सामने हैं।
उत्तराखंड की वरिष्ठ अधिकारी ने यूपी पुलिस पर बड़ी तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस फर्जी खुलासे करती है और निर्दोषों को पकड़ कर कहती है कि केस सॉल्व हो गया है। उत्तराखंड एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (गृह) राधा रतुड़ी के इस आरोप से दोनों राज्यों के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। UP पुलिस ने रतुड़ी के इस बयान को गैरजिम्मेदाराना और आधारहीन बताया है।
रतूड़ी ने सोमवार (17 अक्टूबर) को देहरादून में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “अपराध को हल किया जाना चाहिए और सही तरीके से हल किया जाना चाहिए। किसी निर्दोश को पकड़ना भी नहीं चाहिए, ये भी गलत है। कई बार यूपी पुलिस क्या करती है, किसी भी निर्दोष व्यक्ति को पकड़कर वो कहती है हमने केस सॉल्व कर दिया। ये गलत है। अगर आप एक निर्दोष व्यक्ति को सजा देते हैं तो इसके कारण 99 अन्य अपराधियों का जन्म होता है। एक बेगुनाह को सजा दोगे तो 99 अपराधी पैदा होंगे। एक अपराध की उचित जांच होनी चाहिए और केवल दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।”
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रतूड़ी के बयान पर उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), कानून और व्यवस्था, प्रशांत कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गैर-जिम्मेदार और निराधार बयान है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड एसीएस होम ने तथ्यों की जांच किए बिना एक गैर जिम्मेदाराना बयान जारी किया है। एक सिविल सेवक को ऐसे बयानों से बचना चाहिए, खासकर जब आप सबसे बड़े और सबसे संवेदनशील राज्य से संबंधित मामले को लेकर बोल रहे हो। ये बयान खेदजनक और निराधार है।”
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-हमारी टीम ने उत्तराखंड पुलिस को मामले की जानकारी दी थी।
-पुलिसवालों को पीटा गया, उनके हथियार छीने गए और आरोपी को भगाया गया।
-हमारी तरफ से कोई गोली नहीं चली है.
-खनन माफिया और उसके साथियों ने पुलिसकर्मियों पर फायरिंग की।
-6 जवान गंभीर रूप से घायल, दो पुलिसवालों को गोली लगी।
यही नहीं, आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस ने शरणदाताओं का आपराधिक इतिहास जारी किया है। पुलिस के मुताबिक ब्लॉक प्रमुख गुरतेज सिंह पर 3 मुकदमे दर्ज हैं। गुरतेज के भाई सुखविंदर सिंह पर 9 केस, चाचा सतनाम सिंह पर 21 केस और चाचा जगतार सिंह पर 11 केस दर्ज हैं।
उत्तराखंड पुलिस का दावा
-हमें मुरादाबाद पुलिस से आपातकालीन सूचना मिली कि वो अपराधी की गिरफ्तारी के लिए आएंगे।
-उनकी स्थानीय लोगों के साथ झड़प हुई और दोनों पक्षों ने गोलीबारी की।
-फॉरेंसिक डायरेक्टर का कहना है कि यूपी पुलिस के SHO की गोली से गुरप्रीत सिंह की मौत हुई।
-यह एक संगीन अपराध है इसलिए हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
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