हिंदू संस्था की रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया से अपील, बीफ से बने नोट न छापें

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 27, 2019
ऑस्ट्रेलिया में एक हिंदू संगठन ने रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया (आरबीए) से बीफ से बने नोट नहीं छापने का अपील की है। संगठन का कहना है कि बीफ वाले नोट छापने से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचता है। हिंदू संगठन ने यह गुजारिश तब की है जब ऑस्ट्रेलिया की सरकार नए नोट छपवा रही है। रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया 20 और 100 डॉलर के नए नोट छाप रहा है।



माना जा रहा है कि ये नोट 2019 और 2020 में जारी किए जाएंगे। हाल ही में यहां 5, 10 और 50 डॉलर के नोट प्रचलन में आ चुके हैं। इन नोटों में गाय की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है।

नोटों को बनाने में एक चर्बीनुमा और सख्त पदार्थ टालो का इस्तेमाल किया जाता है। टालो पशुओं की चर्बी से बनता है। पहले इसका इस्तेमाल मोमबत्ती और साबुन बनाने में किया जाता था। इसका इस्तेमाल आज भी बैंक नोट के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इससे एंटी सैटिक तैयार किया जाता है। बैंक ऑफ इंग्लैंड पहले ही इसके इस्तेमाल की पुष्टि कर चुका है। लेकिन, टालो का इस्तेमाल सिर्फ इंग्लैंड ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया भी करता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनिवर्सल सोसायटी के अध्यक्ष राजन जेद ने रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने हिंदू भावनाओं को सम्मान देने की अपील की है और बिना गाय की चर्बी वाला बैंक नोट जारी करने के लिए कहा है। जेद ने अपने पत्र में लिखा है कि हिंदू मान्यताओं में गाय एक पवित्र जानवर है और तमाम देवी-देवताओं का इस पर वास होता है। उन्होंने आरबीए के गवर्नर फिलिप से इस संबंध में गंभीरता से विचार करने के लिए कहा है और साथ ही प्रधानमंत्री स्कॉट मैरिसन से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में ईसाई, मुस्लिम और बौधों के बाद हिंदुओं की आबादी काफी ज्यादा है। 2016 की जनगणना के मुताबिक यहां पर हिंदुओं की संख्या 4,40,000 है।

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