योगी यूथ ब्रिगेड की ओर से दायर की गई याचिका पर गुरुवार को आगरा की कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में महाशिवरात्रि के अवसर पर ताजमहल में शिवरात्रि पर गंगाजल चढ़ाने की अनुमति मांगी है।
हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मुस्लिम धर्मस्थलों को निशाना बनाए जाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में योगी यूथ ब्रिगेड ने महाशिवरात्रि पर ताजमहल में गंगाजल और दुग्धाभिषेक करने की अनुमति को लेकर कोर्ट का रुख किया था जिसपर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मामले पर अपर जिला जज रविकांत की अदालत में सुनवाई हुई। अपर जिला जज रविकांत ने पुनरीक्षण याचिका को लेकर आदेश सुरक्षित कर लिया है। जिसका शुक्रवार को (आज) कोर्ट से आदेश आने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल में जब तक दुग्धाभिषेक और पूजा अर्चना का अधिकार नहीं मिल जाता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी। इस मामले में यदि स्थानीय अदालत से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते तो हम इलाहाबाद हाई कोर्ट भी जाएंगे।
एएसआई सर्वे की अनुमति मांगी
दरअसल, योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 6 मार्च को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी के जरिए सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय में वाद दायर किया था। जिसमें ताजमहल को तेजोमहालय शिव मंदिर बताकर चार पदाधिकारियों के साथ शिवरात्रि पर दुग्धाभिषेक, गंगाजल से अभिषेक करने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई से अनुमति मांगी है।
ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक, वाद दायर करने वाले कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल काल में हजारों मंदिरों को ध्वस्त करके उनके ऊपर मकबरे और मस्जिदें बनाई गई थीं। उनका आरोप है कि अयोध्या, मथुरा और काशी में इसके सबसे बड़े उदाहरण है। मुगलों ने भारत में शासन के दौरान हिंदू मंदिरों को तोड़कर उन पर अपने नाम मकबरे और मस्जिद बनवाई थीं। किसी दूसरे के घर पर अपने नाम की नेम प्लेट लगाने से वो खुद का घर नहीं हो जाता है। ऐसे ही ताजमहल से पहले तेजोमहालय शिव मंदिर था। अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी ने बताया कि न्यायालय में तेजोमहालय के हिंदू मंदिर होने संबंधी तमाम सबूत भी दिए हैं। जिसके आधार पर महाशिवरात्रि पर तेजोमहालय तेजोमहल में जलाभिषेक करने की एएसआई से न्यायालय के जरिए अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने पर वादी और उसके साथी पदाधिकारी तेजोमहालय में जलाभिषेक करेंगे।
हिंदू राजा परम द्रविदेव ने बनवाया था तेजोमहालयः वादी
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने दावा किया कि सन् 1212 में राजा परम देव द्रविदेव ने आगरा में एक शिव मंदिर बनवाया था। जिसे तेजोमहालय तेजोमहल नाम दिया गया था। यहीं पर ताजमहल का निर्माण 1653 में पूरा हुआ था। जबकि, शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखा था कि इमारत में दरारें आ गई हैं। यह कभी भी गिर सकती है। इसकी मरम्मत की जाए। इससे यह भी साफ होता है कि कहीं ना कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है। मुख्य गुम्बद पर जो कलश हैं, वो हिन्दू मंदिरों की तरह हैं। आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है। जो, भगवान शिव का चिह्न है।
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं। जो, हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं। जिन्हें सनातन धर्म में उपयोग किया जाता है। हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते हैं। तेजोमहालय ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है।
कितना पुराना है विवाद:
1965 में इतिहासकार पीएन ओक ने दावा किया कि ताजमहल एक शिव मंदिर है। ताजमहल को लेकर उनकी दो किताबें आईं। एक का नाम 'ट्रू स्टोरी ऑफ ताज' और दूसरे का नाम 'द ताज महल इज तेजो महालय- अ शिव टेंपल' था। इसमें उन्होंने दावा किया कि ताजमहल एक शिव मंदिर है, जिसे तेजोमहालय के नाम जाना जाता था।
2015 में लखनऊ के हरीशंकर जैन ने आगरा के सिविल कोर्ट में ताजमहल को लार्ड श्रीअग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजोमहालय मंदिर घोषित करने को याचिका दायर की। बाद में जिला जज ने याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि, जैन ने फिर से रिवीजन के लिए याचिका दायर की। ताजमहल के बंद हिस्सों की वीडियोग्राफी कराने से संबंधित याचिका एडीजी पंचम के यहां अभी विचाराधीन है। हालांकि, 2017 में केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ये साफ किया कि ताजमहल में कोई मंदिर या शिवलिंग या तेजोमहालय जैसी कोई चीज नहीं है।
इतिहास क्या कहता है:
आगरा के ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1632 में शुरू कराया था, जो 1653 में खत्म हुआ था। कई हिंदू संगठनों का दावा है कि शाहजहां ने ‘तेजोमहालय’ नामक भगवान शिव के मंदिर को तुड़वाकर वहां ताजमहल बनाया। मौजूदा याचिका बीजेपी के अयोध्या के मीडिया इन-चार्ज रजनीश सिंह ने दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि ताजमहल के बंद 22 कमरों की जांच से ये साफ हो जाएगा कि वह शिव मंदिर है या मकबरा। रजनीश सिंह का दावा है कि 1600 ई. में आए तमाम यात्रियों ने अपने यात्रा संस्मरण में राजा मान सिंह के महल का वर्णन किया है। ताजमहल 1653 में बना और 1951 में औरंगजेब का एक पत्र सामने आया जिसमें वह लिखता है कि अम्मी के मकबरे की मरम्मत कराने की जरूरत है।
दावा ये भी है कि ये तेजोमहल राजा मान सिंह का ही था। इससे जुड़ा एक अभिलेख जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में है। इसमें जिक्र है कि राजा मान सिंह की हवेली के बदले में शाहजहां ने राजा जय सिंह को चार हवेलियां दी थीं। यह फरमान 16 दिसंबर 1633 का है। इसमें राजा भगवान दास की हवेली, राजा माधो सिंह की हवेली, रूपसी बैरागी की हवेली और चांद सिंह पुत्र सूरज सिंह की हवेलियां देने का उल्लेख है। इसके अलावा शाहजहां के फरमान में उल्लेख है कि उन्होंने जय सिंह से संगमरमर मंगवाया था। इस पत्र को आधार मानकर दावा किया जाता है कि जितना संगमरमर शाहजहां ने मंगवाया था, उससे ताजमहल का निर्माण नहीं हो सकता।
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हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मुस्लिम धर्मस्थलों को निशाना बनाए जाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में योगी यूथ ब्रिगेड ने महाशिवरात्रि पर ताजमहल में गंगाजल और दुग्धाभिषेक करने की अनुमति को लेकर कोर्ट का रुख किया था जिसपर गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मामले पर अपर जिला जज रविकांत की अदालत में सुनवाई हुई। अपर जिला जज रविकांत ने पुनरीक्षण याचिका को लेकर आदेश सुरक्षित कर लिया है। जिसका शुक्रवार को (आज) कोर्ट से आदेश आने की संभावना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल में जब तक दुग्धाभिषेक और पूजा अर्चना का अधिकार नहीं मिल जाता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी। इस मामले में यदि स्थानीय अदालत से सकारात्मक परिणाम नहीं मिलते तो हम इलाहाबाद हाई कोर्ट भी जाएंगे।
एएसआई सर्वे की अनुमति मांगी
दरअसल, योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 6 मार्च को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी के जरिए सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय में वाद दायर किया था। जिसमें ताजमहल को तेजोमहालय शिव मंदिर बताकर चार पदाधिकारियों के साथ शिवरात्रि पर दुग्धाभिषेक, गंगाजल से अभिषेक करने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई से अनुमति मांगी है।
ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक, वाद दायर करने वाले कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल काल में हजारों मंदिरों को ध्वस्त करके उनके ऊपर मकबरे और मस्जिदें बनाई गई थीं। उनका आरोप है कि अयोध्या, मथुरा और काशी में इसके सबसे बड़े उदाहरण है। मुगलों ने भारत में शासन के दौरान हिंदू मंदिरों को तोड़कर उन पर अपने नाम मकबरे और मस्जिद बनवाई थीं। किसी दूसरे के घर पर अपने नाम की नेम प्लेट लगाने से वो खुद का घर नहीं हो जाता है। ऐसे ही ताजमहल से पहले तेजोमहालय शिव मंदिर था। अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी ने बताया कि न्यायालय में तेजोमहालय के हिंदू मंदिर होने संबंधी तमाम सबूत भी दिए हैं। जिसके आधार पर महाशिवरात्रि पर तेजोमहालय तेजोमहल में जलाभिषेक करने की एएसआई से न्यायालय के जरिए अनुमति मांगी है। अनुमति मिलने पर वादी और उसके साथी पदाधिकारी तेजोमहालय में जलाभिषेक करेंगे।
हिंदू राजा परम द्रविदेव ने बनवाया था तेजोमहालयः वादी
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने दावा किया कि सन् 1212 में राजा परम देव द्रविदेव ने आगरा में एक शिव मंदिर बनवाया था। जिसे तेजोमहालय तेजोमहल नाम दिया गया था। यहीं पर ताजमहल का निर्माण 1653 में पूरा हुआ था। जबकि, शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखा था कि इमारत में दरारें आ गई हैं। यह कभी भी गिर सकती है। इसकी मरम्मत की जाए। इससे यह भी साफ होता है कि कहीं ना कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है। मुख्य गुम्बद पर जो कलश हैं, वो हिन्दू मंदिरों की तरह हैं। आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है। जो, भगवान शिव का चिह्न है।
अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं। जो, हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं। जिन्हें सनातन धर्म में उपयोग किया जाता है। हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते हैं। तेजोमहालय ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है।
कितना पुराना है विवाद:
1965 में इतिहासकार पीएन ओक ने दावा किया कि ताजमहल एक शिव मंदिर है। ताजमहल को लेकर उनकी दो किताबें आईं। एक का नाम 'ट्रू स्टोरी ऑफ ताज' और दूसरे का नाम 'द ताज महल इज तेजो महालय- अ शिव टेंपल' था। इसमें उन्होंने दावा किया कि ताजमहल एक शिव मंदिर है, जिसे तेजोमहालय के नाम जाना जाता था।
2015 में लखनऊ के हरीशंकर जैन ने आगरा के सिविल कोर्ट में ताजमहल को लार्ड श्रीअग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजोमहालय मंदिर घोषित करने को याचिका दायर की। बाद में जिला जज ने याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि, जैन ने फिर से रिवीजन के लिए याचिका दायर की। ताजमहल के बंद हिस्सों की वीडियोग्राफी कराने से संबंधित याचिका एडीजी पंचम के यहां अभी विचाराधीन है। हालांकि, 2017 में केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ये साफ किया कि ताजमहल में कोई मंदिर या शिवलिंग या तेजोमहालय जैसी कोई चीज नहीं है।
इतिहास क्या कहता है:
आगरा के ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1632 में शुरू कराया था, जो 1653 में खत्म हुआ था। कई हिंदू संगठनों का दावा है कि शाहजहां ने ‘तेजोमहालय’ नामक भगवान शिव के मंदिर को तुड़वाकर वहां ताजमहल बनाया। मौजूदा याचिका बीजेपी के अयोध्या के मीडिया इन-चार्ज रजनीश सिंह ने दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि ताजमहल के बंद 22 कमरों की जांच से ये साफ हो जाएगा कि वह शिव मंदिर है या मकबरा। रजनीश सिंह का दावा है कि 1600 ई. में आए तमाम यात्रियों ने अपने यात्रा संस्मरण में राजा मान सिंह के महल का वर्णन किया है। ताजमहल 1653 में बना और 1951 में औरंगजेब का एक पत्र सामने आया जिसमें वह लिखता है कि अम्मी के मकबरे की मरम्मत कराने की जरूरत है।
दावा ये भी है कि ये तेजोमहल राजा मान सिंह का ही था। इससे जुड़ा एक अभिलेख जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में है। इसमें जिक्र है कि राजा मान सिंह की हवेली के बदले में शाहजहां ने राजा जय सिंह को चार हवेलियां दी थीं। यह फरमान 16 दिसंबर 1633 का है। इसमें राजा भगवान दास की हवेली, राजा माधो सिंह की हवेली, रूपसी बैरागी की हवेली और चांद सिंह पुत्र सूरज सिंह की हवेलियां देने का उल्लेख है। इसके अलावा शाहजहां के फरमान में उल्लेख है कि उन्होंने जय सिंह से संगमरमर मंगवाया था। इस पत्र को आधार मानकर दावा किया जाता है कि जितना संगमरमर शाहजहां ने मंगवाया था, उससे ताजमहल का निर्माण नहीं हो सकता।
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