गुजरात विवि की तानाशाही, छात्रों को नहीं दी OBC प्रोफेसर का समर्थन करने की अनुमति

Published on: February 4, 2017
अहमदाबाद। गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जय प्रकाश प्रधान ने निलंबन के खिलाफ विश्वविद्यालय के मेन गेट के सामने धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया है। प्रोफेसर प्रधान के समर्थन में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भी विश्वविद्यालय के बाहर प्रोफेसर प्रधान के साथ प्रदर्शन किया। 


 
वहीं जब छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति मांगी तो विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा तालिबानी रवैया अपनाते हुए छात्रों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी। छात्रों ने इसे लोकतंत्र में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ कदम बताया है। छात्रों का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की आजादी दी गई है। लोग अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करते हैं लेकिन यहां विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को प्रदर्शन से रोका जा रहा है। 
 

 
कुछ छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन प्रोफेसर प्रधान के धरने में शामिल होने पर विश्वविद्यालय से निलंबित करने की धमकी दे रहा है। कई छात्र हैं जो प्रोफेसर प्रधान के धरने में शामिल होना चाहते हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की धमकी से अपने कैरियर को लेकर डर रहे हैं। 
 

ये है मामला...
CUG के प्रोफेसर जय प्रकाश प्रधान को एक छात्र के आरोपों निलंबित कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि डॉ. प्रधान को अपनी बात रखने तक का मौका नहीं दिया और ना ही उनकी बात सुनी गई। दरअसल डॉ. प्रधान की बहन कल्याणी प्रधान ने विश्वविद्यालय की सत्र 2016-17 एम.फिल/पी.एचडी के एडमिशन प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई है। कल्याणी का आरोप है कि विश्वविद्यालय की प्रॉसपेक्टस में प्रवेश परीक्षा के लिए लिखित और इंटरव्यू प्रक्रिया के तहत चयन की बात कही गई थी। विश्वविद्यालय ने लिखित परीक्षा भी कराई, लेकिन बाद में लिखित परीक्षा के नंबर को छोड़कर सिर्फ इंटरव्यू में मिले नंबर के आधार पर प्रवेश लिया गया। छात्रों का कहना है कि प्रोफेसर प्रधान कल्याणी का भाई होने की वजह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके खिलाफ कई सारी फर्जी जांच कमेटियां बैठाई गईं। यहां तक जब प्रोफेसर प्रधान के प्रमोशन की बारी आई तो उसमें उनको छांट दिया गया।
 
आपको बता दें कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद देश के सभी विवि में छात्रों पर लगाम लगाने सहित अन्य गतिविधियों में शामिल होने से लगातार रोके जाने के मामले सामने आ रहे हैं। इस कार्यकाल में हैदराबाद विवि और जेएनयू लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। हैदराबाद में सरकार की विवि प्रशासन के साथ मिलीभगत के कारण रोहित वेमुला को जान देनी पड़ी। वहीं जेएनयू में एडमिशन को लेकर जातीय भेदभाव की रिपोर्ट सामने आने के बाद भी प्रशासन तानाशाही रवैया अपनाते हुए साक्षात्कार के आधार पर एडमिशन देने की जिद पर अड़ा हुआ है।

Courtesy: National Dastak

 

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