रिजर्व बैंक ने कल जो अपनी एन्युअल जनरल रिपोर्ट जनता के सामने पेश की है यदि उस पर भरोसा करें तो मोदी जी के चार सालों में देश की बदहाल हुई अर्थव्यवस्था की सच्ची तस्वीर निकल कर सामने आ जाती है, इस रिपोर्ट में यह तो सिद्ध कर ही दिया गया है कि नोटबन्दी पूरी तरह से फेल हो गयी है, लेकिन उसे एक तरफ भी रख दे तब भी इस रिपोर्ट मोदी सरकार के नेतृत्व में देश के बर्बाद होने वाले भविष्य की भयावह तस्वीर उभर रही है.
देश का बिका हुआ मीडिया कभी इस तरह के विश्लेषण पेश नही करता है इसलिए यही पर एक नजर डाल लीजिए.
सबसे बड़ा आश्चर्यजनक तथ्य तो यह सामने आया है कि मोदीं सरकार के आखिरी तीन सालों में सरकारी बैंकों के एनपीए में 6.2 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी ) का कुल सकल एनपीए 31 मार्च, 2018 तक बढ़कर 10,35,528 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 31 मार्च, 2015 को 3,23,464 करोड़ रुपये था.
यानी सारा घाटा मोदीं सरकार के समय ही सामने आया है रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में मार्च, 2018 के अंत तक कुल एनपीए और पुनर्गठित कर्ज कुल ऋण के 12.1 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं जो बेहद खतरनाक स्तर है भविष्य को लेकर रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंकों को अभी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या से निजात नहीं मिलने वाली है केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में बैंकों का डूबा कर्ज और बढ़ेगा.
आरबीआई ने सरकार को महंगाई के मोर्चे पर भी चेताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में महंगाई ऊपर जाने की आशंका है और इसके लिए तैयारी और सावधानी दोनों की जरूरत है। उसने महंगाई पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में देश का व्यापार घाटा पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 18 अरब डॉलर हो गया है. इसी तरह बीते जुलाई में थोक महंगाई सूचकांक की दर बढ़कर 5.09% पहुंच गई जबकि साल 2017 की जुलाई में यह दर महज 1.88% पर थी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और तेल बाजार में मांग व आपूर्ति में हो रहे बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव देश के व्यापार घाटे पर होने वाला है ऐसी आशंका है कि चालू वित्त वर्ष में GDP के 2.8 प्रतिशत पर चालू खाता घाटा पुहंच जाएगा कल ही रुपया 42 पैसे टूटा है और 70.52 प्रति डॉलर के रेकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है, एक लीटर पेट्रोल की कीमत 85.60 रुपये तक पुहंच गयी हैं.
लेकिन इस संदर्भ में एक बात ओर गौरतलब है कि 2013-14 में तेल की औसत कीमतें 2017-18 की तुलना में दुगुनी से भी अधिक थीं, पर तब व्यापार घाटा 13.4 बिलियन डॉलर ही रहा था लेकिन वर्तमान में आयात में तेज उछाल के कारण इस साल जुलाई में मासिक व्यापार घाटा पांच साल का रिकार्ड तोड़ते हुए 18.02 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है.
व्यापार घाटे में वृद्धि तेल और सोने-चांदी से इतर वस्तुओं के आयात के बढ़ने से हो रही है. साल 2013-14 में इस श्रेणी में व्यापार घाटा सिर्फ 0.4 बिलियन डॉलर रहा था, जो पिछले वित्त वर्ष में 53.3 फीसदी के स्तर तक पहुंच गया. बीते सालों में हमारे आयात की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, पर निर्यात में मामूली इजाफा हो रहा है.
इसीलिए इस बढ़ते व्यापार घाटे की पूरी जिम्मेदारी मोदी सरकार की ही है इसके लिए नेहरू जी जिम्मेदार नही है और न ही बैंकिंग व्यवस्था को डुबो देने का का आरोप उन पर लगाया जा सकता है देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देने की पूरी जिम्मेदारी आपकी है मोदी जी.
देश का बिका हुआ मीडिया कभी इस तरह के विश्लेषण पेश नही करता है इसलिए यही पर एक नजर डाल लीजिए.
सबसे बड़ा आश्चर्यजनक तथ्य तो यह सामने आया है कि मोदीं सरकार के आखिरी तीन सालों में सरकारी बैंकों के एनपीए में 6.2 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी ) का कुल सकल एनपीए 31 मार्च, 2018 तक बढ़कर 10,35,528 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 31 मार्च, 2015 को 3,23,464 करोड़ रुपये था.
यानी सारा घाटा मोदीं सरकार के समय ही सामने आया है रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में मार्च, 2018 के अंत तक कुल एनपीए और पुनर्गठित कर्ज कुल ऋण के 12.1 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं जो बेहद खतरनाक स्तर है भविष्य को लेकर रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंकों को अभी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या से निजात नहीं मिलने वाली है केंद्रीय बैंक ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में बैंकों का डूबा कर्ज और बढ़ेगा.
आरबीआई ने सरकार को महंगाई के मोर्चे पर भी चेताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में महंगाई ऊपर जाने की आशंका है और इसके लिए तैयारी और सावधानी दोनों की जरूरत है। उसने महंगाई पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में देश का व्यापार घाटा पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 18 अरब डॉलर हो गया है. इसी तरह बीते जुलाई में थोक महंगाई सूचकांक की दर बढ़कर 5.09% पहुंच गई जबकि साल 2017 की जुलाई में यह दर महज 1.88% पर थी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और तेल बाजार में मांग व आपूर्ति में हो रहे बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव देश के व्यापार घाटे पर होने वाला है ऐसी आशंका है कि चालू वित्त वर्ष में GDP के 2.8 प्रतिशत पर चालू खाता घाटा पुहंच जाएगा कल ही रुपया 42 पैसे टूटा है और 70.52 प्रति डॉलर के रेकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है, एक लीटर पेट्रोल की कीमत 85.60 रुपये तक पुहंच गयी हैं.
लेकिन इस संदर्भ में एक बात ओर गौरतलब है कि 2013-14 में तेल की औसत कीमतें 2017-18 की तुलना में दुगुनी से भी अधिक थीं, पर तब व्यापार घाटा 13.4 बिलियन डॉलर ही रहा था लेकिन वर्तमान में आयात में तेज उछाल के कारण इस साल जुलाई में मासिक व्यापार घाटा पांच साल का रिकार्ड तोड़ते हुए 18.02 बिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है.
व्यापार घाटे में वृद्धि तेल और सोने-चांदी से इतर वस्तुओं के आयात के बढ़ने से हो रही है. साल 2013-14 में इस श्रेणी में व्यापार घाटा सिर्फ 0.4 बिलियन डॉलर रहा था, जो पिछले वित्त वर्ष में 53.3 फीसदी के स्तर तक पहुंच गया. बीते सालों में हमारे आयात की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, पर निर्यात में मामूली इजाफा हो रहा है.
इसीलिए इस बढ़ते व्यापार घाटे की पूरी जिम्मेदारी मोदी सरकार की ही है इसके लिए नेहरू जी जिम्मेदार नही है और न ही बैंकिंग व्यवस्था को डुबो देने का का आरोप उन पर लगाया जा सकता है देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देने की पूरी जिम्मेदारी आपकी है मोदी जी.