चोकसी को मुंबई पुलिस ने मात्र 15 दिनों के भीतर 'ओके नो ऑब्जेक्शन' करार दे दिया

Written by Girish Malviya | Published on: August 6, 2018

चोकसी ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में पुलिस सत्यापन के लिए 23 फरवरी 2017 को आवेदन दिया था. जिसके बाद 10 मार्च 2017 को मालाबार हिल्स पुलिस स्टेशन की तरफ से बेदाग रिपोर्ट दे दी गई बताया जाता हैं कि मेहुल चोकसी के ऊपर 2017 में कई मामले दर्ज थे तो उसे इस प्रकार की क्लीन चिट कैसे दी जा सकती है?



जबकि एंटीगुआ की सरकार कह रही है कि चोकसी का आवेदन मिलने पर भी उनकी पृष्ठभूमि की गहन छानबीन की गई जिनमें इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक सूचनाओं, थॉम्पसन रॉयटर्स वर्ल्ड-चके, पाबंदी वाली विभिन्न सूचियों की पड़ताल, इंटरपोल समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों से जुटाई गई सूचना के साथ-साथ जानकारियां मुहैया करानेवाली थर्ड पार्टी से संपर्क शामिल हैं.

ओर इन सभी स्रोतों से मिली जानकारियों और उनकी पड़ताल के बाद ही आवेदन स्वीकार किया गया दरअसल एंटीगुआ सरकार को ऐसा एक भी स्त्रोत नहीं मिला जिसमें आवेदक (मेहुल चोकसी) के खिलाफ कोई आपत्तिजनक जानकारी मिली हो.

मुंबई पुलिस का कहना है कि मुंबई के रीजनल पासपोर्ट आफिस ने 2015 में ही हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को 'नो पुलिस वेरीफिकेशन' (पीवीआर) का दर्जा दे दिया था तो उसके पास जांच करने के लिए कुछ था ही नही उसने सिर्फ इतना ही देखा कि इस व्यक्ति पर कोई गंभीर अपराध दर्ज है या नहीं.

SEBI ने एंटीगुआ के 'निवेश के बदले नागरिकता इकाई (सीआईयू) के दावे को खारिज करते हुए शुक्रवार को एक बयान जारी किया था। SEBI ने कहा, 'SEBI को एंटीगा के CIU से किसी भी जांच की जानकारी कभी मांगी नहीं गई और न ही SEBI ने ऐसी कोई जानकारी CIU को दी है.'

लेकिन सोचने की बात तो यह हैं कि यदि आपने अपने देश की पुलिस ओर अन्य ऐसी अन्यएजेंसियों तक को ऐसी जानकारी नही दी तो किसी विदेशी एजेंसी पर ऐसे आरोप लगाने का क्या तुक हैं आपने अपने पासपोर्ट कार्यालय को यह जानकारी नही देनी चाहिए थी कि इस आदमी के खिलाफ गंभीर आर्थिक अनियमितताओं के आरोप है इसे कम से कम दूसरे देश के वीजा पासपोर्ट देते समय विशेष सावधानी रखी जाए.

सेबी ने 2013- 14 के दरमियान चौकसी के यूनीक क्लाइंट कोड डिसेबल कर दिया था, उस पर गीतांजलि जेम्स के शेयर प्राइस में कुछ कम्पनियों द्वारा सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए हेरफेर करने के आरोप लगाए गए थे लेकिन अपने राजनीतिक आकाओं के जरिये चौकसी बच निकले यही राजनीतिक आका बाद में भरी सभा मे अपने मेहुल भाई बोलते सरे आम कैमरे में कैद हुए.

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