रिलायंस इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर बन चुकी अरुंधति भट्टाचार्य , एसबीआई के चेयरमैन की हैसियत से दो साल पहले टेलिकॉम सचिव अरुणा सुंदराराजन को एक चिट्ठी लिखती है...... ‘नए प्लेयर्स के आने के बाद से टेलिकॉम कंपनियों की हालत काफी ख़राब हो चुकी है जिससे उनकी बैलेंस शीट्स पर दवाब आ गया है.(नए प्लेयर्स का मतलब है रिलायंस जियो ) वह आगे लिखती है ‘कुछ टेलिकॉम कंपनियां इस दवाब को शायद न झेल पाएं. सब टेलिकॉम कंपनियों पर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों का करीब चार लाख करोड़ रुपये क़र्ज़ है.’ उन्होंने आगे लिखा था कि सारी कंपनियों का सालाना एबिडेटा 65000 करोड़ रुपये है जिससे चार लाख करोड़ रुपये के ब्याज़ की भरपाई और मूल रकम की वसूली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है.
तो उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि फिर आज वह उसी संस्थान में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर बैठ कर क्या संकेत देना चाहती है जो उनके बैंको के चार लाख करोड़ रुपया डुबो चुके हैं.
यही नही उद्योगपतियों को लाखों करोड़ का लोन मन्जूर करने वाली एसबीआई की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने किसान कर्जमाफी को गलत बताती थी , वह कहती है कि इससे बैंक ऋण का अनुशासन बिगड़ता है जिन लोगों को कर्जमाफी मिलती है उन्हें भविष्य में भी कर्जमाफी की उम्मीद रहती है, इसलिए कर्ज अदा नहीं किया जाता, उनकी इस बात के लिए उन पर महाराष्ट्र विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया गया था.
एसबीआई पूर्वप्रमुख होने की हैसियत से उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि अगर किसानों की कर्जमाफी देश का वित्तीय अनुशासन बिगाड़ सकती है तो किस आधार पर बैंकों ने इन साढ़े चार सालो में पूंजीपति कर्जदारों के लाखों करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टे खाते (राइट ऑफ) में डाल दिया.
इन्हीं अरुंधति भट्टाचार्य के बारे में वकील दुष्यंत दवे ने विजय माल्या के विदेश भाग जाने के बारे में कहा था कि उन्होंने एसबीआई प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी ( अरुंधति भट्टाचार्य ) से मिलकर उन्हें यह बताया था कि विजय माल्या भारत से भाग सकता है उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की ओर इसके ठीक 4 दिन बाद माल्या ने देश छोड़ दिया.
इससे पहले अरुंधति मैडम अडानी की भी भरपूर मदद कर चुकी है डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने कोयला आयात के मामले में अडानी की फर्म में 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला खोज निकाला था.
इस संबंध में केन्द्रीय सचिव हंसमुख अधिया ने एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को एक खत लिखते हुए सिगापुर ब्रांच से इस सबूत को मंगाने की बात कही थी. 20 मई 2016 को लिखे गए इस पत्र के जवाब में चार दिन बाद अरुंधति मैडम के बताए अनुसार सिंगापुर से एसबीआई ब्रांच ने जवाब दिया गया कि सिंगापुर के कानून के मुताबिक यह दस्तावेज किसी को नहीं दिए जा सकते हैं.
उनसे यह पूछा जाना चाहिए था कि जब कंपनी भारत की, बैंक भारत सरकार की, कोयला आयात और उसकी आपूर्ति भारत में हुई और जांच भी भारतीय एजेंसी ही कर रही है, ऐसे में सिंगापुर के कानून को बचाव की ढाल क्यो बनाया जा रहा है?
लेकिन इन सब सवालों के जवाब पूछे तो कौन पूछे? मीडिया को तो खरीद लिया गया है ! साफ साफ कारपोरेट के हित साधती हुई अरुंधती मैडम को रिलायंस ने डायरेक्टर बना कर इनाम गोली थमा दी है और सब ख़ामोश बैठें तमाशा देख रहे हैं.
तो उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि फिर आज वह उसी संस्थान में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर बैठ कर क्या संकेत देना चाहती है जो उनके बैंको के चार लाख करोड़ रुपया डुबो चुके हैं.
यही नही उद्योगपतियों को लाखों करोड़ का लोन मन्जूर करने वाली एसबीआई की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने किसान कर्जमाफी को गलत बताती थी , वह कहती है कि इससे बैंक ऋण का अनुशासन बिगड़ता है जिन लोगों को कर्जमाफी मिलती है उन्हें भविष्य में भी कर्जमाफी की उम्मीद रहती है, इसलिए कर्ज अदा नहीं किया जाता, उनकी इस बात के लिए उन पर महाराष्ट्र विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया गया था.
एसबीआई पूर्वप्रमुख होने की हैसियत से उनसे यह भी पूछा जाना चाहिए कि अगर किसानों की कर्जमाफी देश का वित्तीय अनुशासन बिगाड़ सकती है तो किस आधार पर बैंकों ने इन साढ़े चार सालो में पूंजीपति कर्जदारों के लाखों करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टे खाते (राइट ऑफ) में डाल दिया.
इन्हीं अरुंधति भट्टाचार्य के बारे में वकील दुष्यंत दवे ने विजय माल्या के विदेश भाग जाने के बारे में कहा था कि उन्होंने एसबीआई प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी ( अरुंधति भट्टाचार्य ) से मिलकर उन्हें यह बताया था कि विजय माल्या भारत से भाग सकता है उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की ओर इसके ठीक 4 दिन बाद माल्या ने देश छोड़ दिया.
इससे पहले अरुंधति मैडम अडानी की भी भरपूर मदद कर चुकी है डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने कोयला आयात के मामले में अडानी की फर्म में 29 हजार करोड़ रुपये का घोटाला खोज निकाला था.
इस संबंध में केन्द्रीय सचिव हंसमुख अधिया ने एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को एक खत लिखते हुए सिगापुर ब्रांच से इस सबूत को मंगाने की बात कही थी. 20 मई 2016 को लिखे गए इस पत्र के जवाब में चार दिन बाद अरुंधति मैडम के बताए अनुसार सिंगापुर से एसबीआई ब्रांच ने जवाब दिया गया कि सिंगापुर के कानून के मुताबिक यह दस्तावेज किसी को नहीं दिए जा सकते हैं.
उनसे यह पूछा जाना चाहिए था कि जब कंपनी भारत की, बैंक भारत सरकार की, कोयला आयात और उसकी आपूर्ति भारत में हुई और जांच भी भारतीय एजेंसी ही कर रही है, ऐसे में सिंगापुर के कानून को बचाव की ढाल क्यो बनाया जा रहा है?
लेकिन इन सब सवालों के जवाब पूछे तो कौन पूछे? मीडिया को तो खरीद लिया गया है ! साफ साफ कारपोरेट के हित साधती हुई अरुंधती मैडम को रिलायंस ने डायरेक्टर बना कर इनाम गोली थमा दी है और सब ख़ामोश बैठें तमाशा देख रहे हैं.