बेनामी संपत्ति, दावे और मोदी सरकार की कार्रवाई

Written by गिरीश मालवीय | Published on: June 4, 2018
आपको अच्छी तरह से याद होगा कि नोटबन्दी के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेनामी संपत्ति को निशाना बनाने की बाते बड़े जोर शोर के साथ की थी इसके लिए उन्होंने बेनामी संपत्ति के पुराने कानून 'बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून' (1988) में तुरत फुरत संशोधन कर एक नया बेनामी सम्पत्ति कानून बना कर वाहवाही लूटी थी.



उन्होंने गोआ में नोटबन्दी के बाद दिए गए भाषण में कहा था "हम ऐसी संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं जो किसी और के नाम (बेनामी) पर खरीदी गई है. ये देश की संपत्ति है.

आज इस बात को डेढ़ साल से भी ज्यादा वक्त गुजर गया है और आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि अब तक मोदी सरकार इन बेनामी संपत्ति की कुर्की के मामलों की सुनवाई के लिए जरूरी जुडिशल अथॉरिटी का गठन ही नहीं कर पाई है इस कानून के तहत सरकार को 3 सदस्यों वाली एक अथॉरिटी का गठन करना था जो आयकर विभाग द्वारा इस कानून के तहत की जाने वाली कुर्की की वैधता का फैसला करे लेकिन लेकिन बीते डेढ़ साल में ऐसी कोई अथॉरिटी गठित ही नहीं की गई .........अभी तक इन मामलों को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) की निर्णायक अथॉरिटी देख रही है जो पहले ही काम के बोझ से दबी हुई है.

इसका नतीजा यह है कि आयकर विभाग द्वारा भेजे गए 860 से अधिक मामलों में से केवल 80 पर ही फैसला लिया जा सका है ओर 780 मामले अभी लंबित चल रहे हैं जिनमे आने वाले कई सालो तक फैसला होने की कोई उम्मीद नही है.

अब आप गौर करिए कि इन बेनामी संपत्ति के मामलों में कौन कौन फँसे हुए हैं लालू यादव के परिवार के खिलाफ बेनामी लेन-देन कानून के तहत कुर्की की कार्यवाही की गई है. एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके परिवार की 300 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति कुर्क हुई हैं अभिनेता शाहरुख़ ख़ान का अलीबाग वाला बंगला कुर्क किया गया है पर मुद्दे की बात यह है कि ये सारी कुर्की की कार्यवाहियां अस्थायी रूप से की गयी है यानी कि ये सारी कुर्क संपत्तियां आसानी से कुर्की के दायरे से बाहर हो जाएंगी क्योंकि मोदी सरकार इस विषय पर गम्भीर नही है

काले धन वालो पर कार्यवाही को लेकर मोदी सरकार दावे तो बहुत बड़े बड़े करती है पर वास्तविकता में स्थिति बिलकुल विपरीत है.

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