आरएसएस का हिंदुत्व और नेपाल और चीन के संबंधों में मजबूती

Written by Girish Malviya | Published on: September 9, 2018
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा शिकागो में आयोजित वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में हिंदू एकता पर बड़ी बड़ी बाते कर रहे थे और पीछे से खबर आयी कि विश्व का एकमात्र हिन्दू राष्ट्र कहे जाने वाला नेपाल मोदी सरकार की नीतियों से परेशान होकर चीन से चार बंदरगाहों को अपने इस्तेमाल के लिए माँग रहा था जिसकी इजाजत आज चीन ने उसे दे दी है चीन ने लंझाऊ, ल्हासा और शीगाट्स लैंड पोर्टों (ड्राई पोर्ट्स) के इस्तेमाल करने की भी अनुमति नेपाल को दे दी हैं।



अभी तक नेपाल आवश्यक वस्तुओं और ईंधन के लिए काफी हद तक भारत पर निर्भर रहा हैं और दूसरे देशों से व्यापार करने के लिए नेपाल भारत के बंदरगाहों का भी इस्तेमाल करता आया है लेकिन जिस तरह से 2015 और 2016 में भारत ने कई महीनों तक नेपाल को तेल की आपूर्ति रोक दी थी। इसकी वजह से इस विश्व के एकमात्र हिंदू राष्ट्र और भारत का छोटा भाई कहे जाने वाले नेपाल देश के साथ भारत के रिश्तों में खटास आ गयी थी।

नई व्यवस्था के तहत चीनी अधिकारी तिब्बत में शिगाट्स के रास्ते नेपाल सामान लेकर जा रहे ट्रकों और कंटेनरों को परमिट देंगे। इस डील ने नेपाल के लिए कारोबार के नए दरवाजे खोल दिए हैं, जो अब तक भारतीय बंदरगाहों पर पूरी तरह निर्भर था।

इस व्यवस्था से भारत की उन सीमाओं पर भी खतरा मंडराने की आशंका है जो नेपाल के साथ जुड़ी हुई है वैसे सनातन से नेपाल एक हिंदू अधिराज्य है। नेपाल में हमेशा हिंदू राजा का शासन रहा है। एक ऐसे हिन्दू बहुसंख्यक राष्ट्र के साथ भारत की हिन्दू हितो की रक्षा करने वाली मोदी सरकार की उदासीनता आश्चर्यजनक है हालांकि बात हमेशा हिन्दू एकता की होती है।

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