"जाति/वर्ण व्यवस्था के लिए पंडितों को दोषी बताने को लेकर संघ प्रमुख पर चौतरफा हमला हो रहा है। उज्जैन महाकाल के पुजारी ने सवाल पूछा है कि क्या भागवत संघ में वर्ण व्यवस्था समाप्त करेंगे? वहीं, पुरी शंकराचार्य ने भी उनकी खिंचाई की है।"
पंडितों पर दिए उनके बयान को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत चौतरफा घिर गए हैं। बिहार और यूपी में केस के बाद अब उज्जैन में भी उनका विरोध हो रहा है। महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी महेश गुरु और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के उपाध्यक्ष रूपेश मेहता ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने तीन सवाल पूछते हुए संघ के अंदर व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पूछा है कि क्या भागवत, संघ में वर्ण व्यवस्था को समाप्त करेंगे? तीन बिंदुओं पर भागवत से संघ की व्यवस्थाओं को लेकर जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महेश पुजारी ने कहा कि ब्राह्मणों पर संघ प्रमुख ने वर्ण व्यवस्था बनाने का आरोप लगाया है, उससे देश के ब्राह्मणों और पंडितों को ठेस पहुंची है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेटर में कहा गया है कि देश के ब्राह्मणों, पंडितों को उपरोक्त तीन बिंदुओं पर उत्तर देने की कृपा करें।
(1) त्रेतायुग में भगवान राम किस वर्ण और वंश के थे? रावण का वंश और वर्ण क्या था? शबरी और केवट किस वर्ण और वंश के थे? त्रेतायुग में वर्ण व्यवस्था किसने बनाई? श्रीराम ने, रावण ने, शबरी ने या केवट ने स्पष्ट करें?
(2) द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने यदुवंश में जन्म लिया, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जब स्वयं को वर्ण व्यवस्था का रचनाकार बताया है, तो ब्राह्मण समाज पर आरोप क्यों?
(3) यदि देश में वर्ण व्यवस्था समाप्त करना चाहते हैं, तो पहले संघ और घटकों की वर्ण व्यवस्था को समाप्त करे। सभी कार्यकर्ताओं के लिए आदेश निकालें कि अपने लड़के लड़कियों के विवाह संस्कार दलित और पिछड़े वर्ग में करें। सभी सदस्यों से एक लिखित नोटरी करें कि आप किसी वर्ण से संबद्ध नहीं रहेंगे। यदि कोई भी सदस्य वर्ण व्यवस्था में रहता है, तो वह संघ को छोड़ सकता है या क्या आप स्वयं उसे संघ से बाहर करेंगे?
माफी नहीं मांगी तो उग्र आंदोलन करेंगे
उज्जैन में इससे पहले भी ब्राह्मण समाज ने विरोध दर्ज कराया था। पंडित राजेश त्रिवेदी ने कहा कि ब्राह्मण समाज भागवत के बयान से आक्रोशित है। उनका बयान समाज के खिलाफ और हिन्दू समाज को खंड-खंड करने वाला है। अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्या बिना ब्राह्मण के हिन्दू राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है? सुरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि देश में आजकल ब्राह्मण को टारगेट किया जा रहा है। ब्राह्मण समाज का मानना है कि हमने हमेशा मार्गदर्शन किया है। ब्राह्मण संगठित है, हम अपनी आवाज उठाना जानते हैं।
ब्राह्मण समाज उतरा विरोध में
ग्वालियर में भी ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बैठक कर संघ प्रमुख के बयान का विरोध जताया। डॉ मोहन भागवत के इस बयान से देश भर में ब्राह्मण समाज नाराज हैं। कई जगह ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बयान वापस लेने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। कई जगह विरोध प्रदर्शन भी किए गए। ग्वालियर में भी ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बैठक कर विरोध जताया था। इसके बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। इस दौरान कई संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
शंकराचार्य ने भी उठाया सवाल
भागवत के बयान पर शंकराचार्य भी सवाल उठा रहे हैं। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, मोहन भागवत के ज्ञान में कमी है। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी सनातनी हिंदुओं के पूर्वज ब्राह्मण ही थे। शंकराचार्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर परोक्ष रूप से निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति व्यवस्था पंडितों ने बनाई है न कि भगवान ने।
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में धार्मिक सभा के दौरान, पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वर्ण व्यवस्था केवल ब्राह्मणों की देन है। उन्होंने कहा कि सभी सनातनी हिंदुओं के पूर्वज ब्राह्मण ही थे। "पहले ब्राह्मण का नाम ब्रह्मा जी है। आपको शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। दुनिया में सभी विज्ञान और कलाएं ब्राह्मणों द्वारा ही समझाई जाती हैं। यदि हम सनातन प्रणाली को स्वीकार नहीं करते हैं, फिर कौन सी व्यवस्था होनी चाहिए? आरएसएस के पास न तो अपनी कोई किताब है और न ही किताबी ज्ञान। वर्ण व्यवस्था पंडितों ने बनाई है, मूर्खों ने नहीं। आज भी भारत के ब्राह्मणों के पास दुनिया भर के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए आते हैं। हमारे पास आने से संयुक्त राष्ट्र की सभी गुत्थी सुलझ गई है"
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शंकराचार्य यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि सनातन व्यवस्था के अभाव में संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में भी वैकल्पिक जाति/वर्ण व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा "अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में कोई वर्ण व्यवस्था नहीं है। ऐसे देशों में भी ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय और शूद्र जैसे विकल्प बनाने की जरूरत है।"
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, गीता में भगवान ने स्वयं कहा है कि चार वर्णों की रचना उन्होंने की। मोहन भागवत ने कौन सा अनुसंधान कर यह जाना कि वर्ण की रचना पंडितों ने की यह उन्हें बताना चाहिए।
आरएसएस की तरफ से आई सफाई
हालांकि संघ ने साफ कर दिया है कि भागवत ने जिस ‘पंडित’ शब्द का उपयोग किया था, उसका मतलब ‘बुद्धिजीवियों’ से है, न कि ब्राह्मणों से। आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने बताया कि सरसंघचालक मराठी में बोल रहे थे। मराठी में पंडित का अर्थ बुद्धिजीवी होता है। उनके बयान को सही परिप्रेक्ष्य में लिया जाना चाहिए।
क्या बोले थे मोहन भागवत?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया।
भागवत के बयान ने सभी धर्म आचार्यों को दिया नए सिरे से सोचने का मौका: स्वामी प्रसाद मौर्य
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से मोहन भागवत और बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के बयान के बाद सारे धर्माचार्यों को नए सिरे से सोचने का अवसर मिल रहा है। मौर्य ने रामचरित मानस से विवादित लाइनों को हटाने को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि भागवत कहते हैं कि जातियां भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई है और स्पष्टीकरण भी आरएसएस के लोग ही दे रहे हैं, उससे हमारा क्या मतलब। मैं बस ये जानता हूं कि संघ प्रमुख ने ये सच स्वीकारने की हिम्मत दिखाई है कि जातियां पंडितों ने बनाई है। ये बात उन्होंने दिल से कही या मजबूरी में कहीं ये अलग विषय है। मैं भी यही कहता हूं कि धर्म के नाम पर किसी को गाली देना, अपमानित करना, प्रताड़ित करना, नीच कहना धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता।
सपा नेता ने कहा कि धर्म कोई भी हो सबका मकसद मानव कल्याण, मानवता का सशक्तिकरण धर्म का हिस्सा था, है और रहेगा। इसीलिए धर्म की आड़ में लगातार एक वर्ग और जाति विशेष के लोग इस देश के 97 फीसदी आबादी वाले समस्त महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को कहीं न कहीं अपमानित और प्रताड़ित करने की बात करते हैं। जिन 97 फीसदी लोगों की भावनाएं आहत हो रही वह भी हिंदू ही है। देश दुनिया में कोई धर्म नहीं जो अपने ही अनुयायियों को नीच कहे, भेदभाव करें, अपमानित करें, प्रताड़ित करें। मोहन भागवत के बयान के बाद सारे धर्म आचार्यों को नए सिरे से सोचने का एक अवसर मिल रहा है।
बीजेपी पर भी साधा निशाना
स्वामी प्रसाद ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को किसी पर उंगली उठाने का हक नहीं है। हिंदू मुसलमान वह करते हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र उसने बनाया। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि इन्हीं आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को चुनाव में हिंदू कहकर वोट बटोरने में शर्म नहीं आती, लेकिन जब सत्ता में आते हैं तो यह दुश्मन बन जाते हैं। इनको अपमानित, प्रताड़ित किया जाता है, नीच कहा जाता है। जाति के नाम पर झूठी एफआईआर दर्ज की जाती है, बुलडोजर चलाए जाते हैं।
मौर्य ने कहा कि सपा हमेशा राजनीतिक मुद्दों की बात करती है। ये सामाजिक सरोकार से जुड़ा मुद्दा है इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। देश की महिलाओं, आदिवासी, दलित, पिछड़ों से जुड़ा बहुत गंभीर मामला है। 3 फीसदी लोगों को धर्म की आड़ में धर्म के नाम पर 97 फीसदी वालों को गाली देने का हक नहीं है।
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पंडितों पर दिए उनके बयान को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत चौतरफा घिर गए हैं। बिहार और यूपी में केस के बाद अब उज्जैन में भी उनका विरोध हो रहा है। महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी महेश गुरु और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के उपाध्यक्ष रूपेश मेहता ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने तीन सवाल पूछते हुए संघ के अंदर व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पूछा है कि क्या भागवत, संघ में वर्ण व्यवस्था को समाप्त करेंगे? तीन बिंदुओं पर भागवत से संघ की व्यवस्थाओं को लेकर जवाब मांगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महेश पुजारी ने कहा कि ब्राह्मणों पर संघ प्रमुख ने वर्ण व्यवस्था बनाने का आरोप लगाया है, उससे देश के ब्राह्मणों और पंडितों को ठेस पहुंची है। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, लेटर में कहा गया है कि देश के ब्राह्मणों, पंडितों को उपरोक्त तीन बिंदुओं पर उत्तर देने की कृपा करें।
(1) त्रेतायुग में भगवान राम किस वर्ण और वंश के थे? रावण का वंश और वर्ण क्या था? शबरी और केवट किस वर्ण और वंश के थे? त्रेतायुग में वर्ण व्यवस्था किसने बनाई? श्रीराम ने, रावण ने, शबरी ने या केवट ने स्पष्ट करें?
(2) द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने यदुवंश में जन्म लिया, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जब स्वयं को वर्ण व्यवस्था का रचनाकार बताया है, तो ब्राह्मण समाज पर आरोप क्यों?
(3) यदि देश में वर्ण व्यवस्था समाप्त करना चाहते हैं, तो पहले संघ और घटकों की वर्ण व्यवस्था को समाप्त करे। सभी कार्यकर्ताओं के लिए आदेश निकालें कि अपने लड़के लड़कियों के विवाह संस्कार दलित और पिछड़े वर्ग में करें। सभी सदस्यों से एक लिखित नोटरी करें कि आप किसी वर्ण से संबद्ध नहीं रहेंगे। यदि कोई भी सदस्य वर्ण व्यवस्था में रहता है, तो वह संघ को छोड़ सकता है या क्या आप स्वयं उसे संघ से बाहर करेंगे?
माफी नहीं मांगी तो उग्र आंदोलन करेंगे
उज्जैन में इससे पहले भी ब्राह्मण समाज ने विरोध दर्ज कराया था। पंडित राजेश त्रिवेदी ने कहा कि ब्राह्मण समाज भागवत के बयान से आक्रोशित है। उनका बयान समाज के खिलाफ और हिन्दू समाज को खंड-खंड करने वाला है। अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्या बिना ब्राह्मण के हिन्दू राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है? सुरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि देश में आजकल ब्राह्मण को टारगेट किया जा रहा है। ब्राह्मण समाज का मानना है कि हमने हमेशा मार्गदर्शन किया है। ब्राह्मण संगठित है, हम अपनी आवाज उठाना जानते हैं।
ब्राह्मण समाज उतरा विरोध में
ग्वालियर में भी ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बैठक कर संघ प्रमुख के बयान का विरोध जताया। डॉ मोहन भागवत के इस बयान से देश भर में ब्राह्मण समाज नाराज हैं। कई जगह ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बयान वापस लेने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। कई जगह विरोध प्रदर्शन भी किए गए। ग्वालियर में भी ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने बैठक कर विरोध जताया था। इसके बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। इस दौरान कई संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
शंकराचार्य ने भी उठाया सवाल
भागवत के बयान पर शंकराचार्य भी सवाल उठा रहे हैं। पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, मोहन भागवत के ज्ञान में कमी है। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि सभी सनातनी हिंदुओं के पूर्वज ब्राह्मण ही थे। शंकराचार्य ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर परोक्ष रूप से निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति व्यवस्था पंडितों ने बनाई है न कि भगवान ने।
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में धार्मिक सभा के दौरान, पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि वर्ण व्यवस्था केवल ब्राह्मणों की देन है। उन्होंने कहा कि सभी सनातनी हिंदुओं के पूर्वज ब्राह्मण ही थे। "पहले ब्राह्मण का नाम ब्रह्मा जी है। आपको शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। दुनिया में सभी विज्ञान और कलाएं ब्राह्मणों द्वारा ही समझाई जाती हैं। यदि हम सनातन प्रणाली को स्वीकार नहीं करते हैं, फिर कौन सी व्यवस्था होनी चाहिए? आरएसएस के पास न तो अपनी कोई किताब है और न ही किताबी ज्ञान। वर्ण व्यवस्था पंडितों ने बनाई है, मूर्खों ने नहीं। आज भी भारत के ब्राह्मणों के पास दुनिया भर के लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए आते हैं। हमारे पास आने से संयुक्त राष्ट्र की सभी गुत्थी सुलझ गई है"
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शंकराचार्य यही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि सनातन व्यवस्था के अभाव में संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में भी वैकल्पिक जाति/वर्ण व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा "अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में कोई वर्ण व्यवस्था नहीं है। ऐसे देशों में भी ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय और शूद्र जैसे विकल्प बनाने की जरूरत है।"
ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, गीता में भगवान ने स्वयं कहा है कि चार वर्णों की रचना उन्होंने की। मोहन भागवत ने कौन सा अनुसंधान कर यह जाना कि वर्ण की रचना पंडितों ने की यह उन्हें बताना चाहिए।
आरएसएस की तरफ से आई सफाई
हालांकि संघ ने साफ कर दिया है कि भागवत ने जिस ‘पंडित’ शब्द का उपयोग किया था, उसका मतलब ‘बुद्धिजीवियों’ से है, न कि ब्राह्मणों से। आरएसएस के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने बताया कि सरसंघचालक मराठी में बोल रहे थे। मराठी में पंडित का अर्थ बुद्धिजीवी होता है। उनके बयान को सही परिप्रेक्ष्य में लिया जाना चाहिए।
क्या बोले थे मोहन भागवत?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया।
भागवत के बयान ने सभी धर्म आचार्यों को दिया नए सिरे से सोचने का मौका: स्वामी प्रसाद मौर्य
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से मोहन भागवत और बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के बयान के बाद सारे धर्माचार्यों को नए सिरे से सोचने का अवसर मिल रहा है। मौर्य ने रामचरित मानस से विवादित लाइनों को हटाने को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि भागवत कहते हैं कि जातियां भगवान ने नहीं, पंडितों ने बनाई है और स्पष्टीकरण भी आरएसएस के लोग ही दे रहे हैं, उससे हमारा क्या मतलब। मैं बस ये जानता हूं कि संघ प्रमुख ने ये सच स्वीकारने की हिम्मत दिखाई है कि जातियां पंडितों ने बनाई है। ये बात उन्होंने दिल से कही या मजबूरी में कहीं ये अलग विषय है। मैं भी यही कहता हूं कि धर्म के नाम पर किसी को गाली देना, अपमानित करना, प्रताड़ित करना, नीच कहना धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता।
सपा नेता ने कहा कि धर्म कोई भी हो सबका मकसद मानव कल्याण, मानवता का सशक्तिकरण धर्म का हिस्सा था, है और रहेगा। इसीलिए धर्म की आड़ में लगातार एक वर्ग और जाति विशेष के लोग इस देश के 97 फीसदी आबादी वाले समस्त महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को कहीं न कहीं अपमानित और प्रताड़ित करने की बात करते हैं। जिन 97 फीसदी लोगों की भावनाएं आहत हो रही वह भी हिंदू ही है। देश दुनिया में कोई धर्म नहीं जो अपने ही अनुयायियों को नीच कहे, भेदभाव करें, अपमानित करें, प्रताड़ित करें। मोहन भागवत के बयान के बाद सारे धर्म आचार्यों को नए सिरे से सोचने का एक अवसर मिल रहा है।
बीजेपी पर भी साधा निशाना
स्वामी प्रसाद ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को किसी पर उंगली उठाने का हक नहीं है। हिंदू मुसलमान वह करते हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र उसने बनाया। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि इन्हीं आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को चुनाव में हिंदू कहकर वोट बटोरने में शर्म नहीं आती, लेकिन जब सत्ता में आते हैं तो यह दुश्मन बन जाते हैं। इनको अपमानित, प्रताड़ित किया जाता है, नीच कहा जाता है। जाति के नाम पर झूठी एफआईआर दर्ज की जाती है, बुलडोजर चलाए जाते हैं।
मौर्य ने कहा कि सपा हमेशा राजनीतिक मुद्दों की बात करती है। ये सामाजिक सरोकार से जुड़ा मुद्दा है इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। देश की महिलाओं, आदिवासी, दलित, पिछड़ों से जुड़ा बहुत गंभीर मामला है। 3 फीसदी लोगों को धर्म की आड़ में धर्म के नाम पर 97 फीसदी वालों को गाली देने का हक नहीं है।
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