इस कार्रवाई पर अम्बेडकर वेलफेयर सोसाइटी ने कड़ी आपत्ति जताई है और अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय एवं पंचायती राज (प्रारंभिक शिक्षा) विभाग को पत्र लिखकर निलंबन आदेश निरस्त करने की मांग की है।

राजस्थान में 27 और 28 फरवरी को राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा हुई। इस दौरान डूंगरपुर जिले में दो केंद्रों पर अभ्यर्थियों से जनेऊ उतरवाने का मामला सामने आया, जिस पर बहस छिड़ गई। इस घटना के बाद प्रशासन ने सुंदरपुर परीक्षा केंद्र की फील्ड सुपरवाइजर सुनीता कुमारी (राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, खेड़ा कच्छवासा में प्राध्यापक) को सस्पेंड कर दिया। सुनीता एससी कैटेगरी से हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई पर अम्बेडकर वेलफेयर सोसाइटी ने कड़ी आपत्ति जताई है और अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय एवं पंचायती राज (प्रारंभिक शिक्षा) विभाग को पत्र लिखकर निलंबन आदेश निरस्त करने की मांग की है।
सोसाइटी के महासचिव जी.एल. वर्मा ने पत्र में लिखा कि मामले में केंद्राविक्षक विजय कुमार जोशी ने इस केंद्र पर इस प्रकार की किसी भी घटना होने से इनकार किया है और सुनीता कुमारी पर भी किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लगाया है। सुनीता कुमारी अनुसूचित जाति की एक कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारी हैं, और उनके निलंबन से राजस्थान में अनुसूचित जाति को गहरा आघात पहुंचा है।
अध्यापक पात्रता परीक्षा के दूसरे दिन यानी 28 फरवरी को डूंगरपुर जिले में सुबह परीक्षा केंद्र में जांच के समय दो अभ्यर्थियों की जनेऊ उतरने की घटना सामने आई थी। पुनाली के एक कॉलेज में दो अभ्यर्थियों की जनेऊ कथित तौर पर उतरवाई गई थी। जबकि सुंदरपुर सेंटर पर भी एक उम्मीदवार की जनेऊ उतरवाने का कथित मामला सामने आया था।
रिपोर्ट के अनुसार, अभ्यर्थियों ने इसे अपनी संस्कृति और धर्म का हिस्सा बताते हुए विरोध जताया, लेकिन उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। बाद में जनेऊ उतारकर पास के पेड़ पर टांगना पड़ा। परीक्षा समाप्त होने के बाद उन्होंने जनेऊ वापस धारण किया।
जब यह मामला सामने आया तो समाज में नाराजगी फैल गई। विप्र फाउंडेशन और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे को उठाते हुए डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह से कार्रवाई की मांग की।
विप्र फाउंडेशन ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जनेऊ ब्राह्मण समाज के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। फाउंडेशन के जिला अध्यक्ष ललित उपाध्याय और महामंत्री प्रशांत चौबीसा ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जवाबदेही की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार ने जनेऊ हटाने का कोई निर्देश जारी नहीं किया था, तो अभ्यर्थियों पर यह नियम क्यों थोपा गया? फाउंडेशन ने कहा कि यह घटना सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाती है।
इस मामले पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सुंदरपुर परीक्षा केंद्र की सुपरवाइजर सुनीता कुमारी (जो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, खेड़ा कच्छवासा की प्रधानाध्यापिका हैं) को सस्पेंड कर दिया। इस कार्रवाई में पुनाली केंद्र के हेड कॉन्स्टेबल शिवलाल को लाइन हाजिर किया गया।
सुपरवाइजर सुनीता कुमारी के निलंबन पर डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी का आरोप है कि उन्हें उनकी जाति के कारण निशाना बनाया गया है। संगठन के महासचिव जी.एल. वर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यह घटना अकेली नहीं है, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हों।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी महिला अभ्यर्थियों की नथ उतरवाने और हाथों में बंधे धागे काटने जैसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन उन मामलों पर इतना हंगामा नहीं हुआ। वर्मा ने कहा, "यहां चूंकि वह एक महिला और दलित समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें सॉफ्ट टारगेट बनाया गया। यह हास्यास्पद है। हम इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।"
यह कोई अकेली घटना नहीं है। इससे पहले भी दलित समाज की हेमलता बैरवा और आदिवासी समाज की मेनका डामोर जैसी महिला शिक्षकों को विवादास्पद परिस्थितियों में सस्पेंड किया गया था, जिससे यह आरोप लगे कि शिक्षकों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
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राजस्थान में 27 और 28 फरवरी को राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा हुई। इस दौरान डूंगरपुर जिले में दो केंद्रों पर अभ्यर्थियों से जनेऊ उतरवाने का मामला सामने आया, जिस पर बहस छिड़ गई। इस घटना के बाद प्रशासन ने सुंदरपुर परीक्षा केंद्र की फील्ड सुपरवाइजर सुनीता कुमारी (राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, खेड़ा कच्छवासा में प्राध्यापक) को सस्पेंड कर दिया। सुनीता एससी कैटेगरी से हैं।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्रवाई पर अम्बेडकर वेलफेयर सोसाइटी ने कड़ी आपत्ति जताई है और अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय एवं पंचायती राज (प्रारंभिक शिक्षा) विभाग को पत्र लिखकर निलंबन आदेश निरस्त करने की मांग की है।
सोसाइटी के महासचिव जी.एल. वर्मा ने पत्र में लिखा कि मामले में केंद्राविक्षक विजय कुमार जोशी ने इस केंद्र पर इस प्रकार की किसी भी घटना होने से इनकार किया है और सुनीता कुमारी पर भी किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लगाया है। सुनीता कुमारी अनुसूचित जाति की एक कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारी हैं, और उनके निलंबन से राजस्थान में अनुसूचित जाति को गहरा आघात पहुंचा है।
अध्यापक पात्रता परीक्षा के दूसरे दिन यानी 28 फरवरी को डूंगरपुर जिले में सुबह परीक्षा केंद्र में जांच के समय दो अभ्यर्थियों की जनेऊ उतरने की घटना सामने आई थी। पुनाली के एक कॉलेज में दो अभ्यर्थियों की जनेऊ कथित तौर पर उतरवाई गई थी। जबकि सुंदरपुर सेंटर पर भी एक उम्मीदवार की जनेऊ उतरवाने का कथित मामला सामने आया था।
रिपोर्ट के अनुसार, अभ्यर्थियों ने इसे अपनी संस्कृति और धर्म का हिस्सा बताते हुए विरोध जताया, लेकिन उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। बाद में जनेऊ उतारकर पास के पेड़ पर टांगना पड़ा। परीक्षा समाप्त होने के बाद उन्होंने जनेऊ वापस धारण किया।
जब यह मामला सामने आया तो समाज में नाराजगी फैल गई। विप्र फाउंडेशन और अन्य संगठनों ने इस मुद्दे को उठाते हुए डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह से कार्रवाई की मांग की।
विप्र फाउंडेशन ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जनेऊ ब्राह्मण समाज के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। फाउंडेशन के जिला अध्यक्ष ललित उपाध्याय और महामंत्री प्रशांत चौबीसा ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जवाबदेही की मांग की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार ने जनेऊ हटाने का कोई निर्देश जारी नहीं किया था, तो अभ्यर्थियों पर यह नियम क्यों थोपा गया? फाउंडेशन ने कहा कि यह घटना सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाती है।
इस मामले पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सुंदरपुर परीक्षा केंद्र की सुपरवाइजर सुनीता कुमारी (जो राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, खेड़ा कच्छवासा की प्रधानाध्यापिका हैं) को सस्पेंड कर दिया। इस कार्रवाई में पुनाली केंद्र के हेड कॉन्स्टेबल शिवलाल को लाइन हाजिर किया गया।
सुपरवाइजर सुनीता कुमारी के निलंबन पर डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी का आरोप है कि उन्हें उनकी जाति के कारण निशाना बनाया गया है। संगठन के महासचिव जी.एल. वर्मा ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यह घटना अकेली नहीं है, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हों।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी महिला अभ्यर्थियों की नथ उतरवाने और हाथों में बंधे धागे काटने जैसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन उन मामलों पर इतना हंगामा नहीं हुआ। वर्मा ने कहा, "यहां चूंकि वह एक महिला और दलित समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें सॉफ्ट टारगेट बनाया गया। यह हास्यास्पद है। हम इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगे।"
यह कोई अकेली घटना नहीं है। इससे पहले भी दलित समाज की हेमलता बैरवा और आदिवासी समाज की मेनका डामोर जैसी महिला शिक्षकों को विवादास्पद परिस्थितियों में सस्पेंड किया गया था, जिससे यह आरोप लगे कि शिक्षकों को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।
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