सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद और भ्रष्टाचार लोकतंत्र के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियांः डॉ. मनमोहन सिंह

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 9, 2019
पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जयपुर के एक निजी विश्वविद्यालय में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अधिनायकवादी शासन की अपेक्षा व्यावहारिक लोकतंत्र का निश्चित तौर पर लाभ होता है। 



समाचार वेबसाइट द वायर के मुताबिक उन्होंने आर्थिक विकास के मामले में चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि इस तरह के देशों में जहां नागरिकों को प्राथमिक तौर पर आर्थिक वृद्धि पर ध्यान केंद्रित रखने को कहा जाता है और एक ऐसा वातावरण तैयार कर दिया जाता है जहां निजी आजादी की कुर्बानी को सही ठहरा दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि हालांकि जैसे-जैसे आय बढ़ने लगती है वैसे ही समाज की आकांक्षाएं भी बदलने लगती हैं और अंतिम रूप से लोग लोकतांत्रिक ढांचा चाहने लगते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लंबे समय तक आजादी का चले जाना कोई छोटी-मोटी कीमत नहीं होती है।’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीतियों पर खड़े किए गए आर्थिक सुधारों को जारी रखने की जरूरत बताते हुए कहा कि एक सोची समझी रणनीति से ही भारत को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाया जा सकता है।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जब संबोधन के लिए मंच पर आ रहे थे तो छात्रों के एक गुट ने मोदी के समर्थन में नारे भी लगाए। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि गरीबी, सामाजिक असमानता, सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरवाद तथा भ्रष्टाचार लोकतंत्र के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा, ‘इस समय हमारी अर्थव्यवस्था धीमी पड़ती दिखती है। जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट आ रही है। निवेश की दर स्थिर है। किसान संकट में हैं। बैंकिंग प्रणाली संकट का सामना कर रही है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। भारत को पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हमें एक अच्छी तरह से सोची समझी रणनीति की जरूरत है।’

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को 'टैक्स आतंकवाद' रोकना चाहिए, भिन्न विचारों की आवाजों का सम्मान करना चाहिए और सरकार के हर स्तर पर संतुलन लाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘उदारीकरण की नीतियों पर खड़े किए गए आर्थिक सुधारों को जारी रखना समय की मांग है।’

देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की वकालत करते हुए राजस्थान से राज्यसभा सदस्य सिंह ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आने वाले समय में सिद्धांतवादी, ज्ञानी और दूरदर्शी नेताओं की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की शक्ति संविधान में निहित है और राजनीतिक दलों को संविधान में उल्लेखित मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जतानी होगी।

उन्होंने कहा कि हमारी एकता बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि सरकार न्याय, स्वतंत्रता एवं समानता के साथ-साथ ऐसा वातावरण दे जो भिन्न विचारों का सम्मान करता हो।

डॉ. सिंह कहा कि हमें संसद और इसकी प्रक्रियाओं की सर्वोच्चता का सम्मान करना होगा। जेके लक्ष्मीपत विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम में सिंह ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय, निर्वाचन आयोग, कैग, सीबीआई, सतर्कता आयोग, सूचना आयोग जैसे संस्थानों से अपेक्षा रहती है कि वे संविधान के ढांचे के भीतर स्वतंत्र रूप से काम करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘हमें हमेशा अपराध और भ्रष्टाचार को कम करने, विधिसम्मत शासन को मजबूत करने तथा विकास के एक इंजन के रूप में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के उद्देश्य से काम करना चाहिए।’ सिंह को जेकेएलयू लॉरेट अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया है।

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