"हरियाणा और पंजाब की 16 किसान यूनियनों ने बाढ़ से नुकसान की भरपाई को 22 अगस्त को चंडीगढ़ कूच का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने एक दिन पहले ही किसान नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। अंबाला और कुरुक्षेत्र समेत कई जिलों में भारतीय किसान यूनियन से जुड़े नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इससे गुस्साए किसान सड़कों पर उतर आए और चंडीगढ़ कूच करने लगे। पुलिस द्वारा जगह जगह उन्हें रोकने को लेकर किसानों का संघर्ष हिंसक हो गया है। संगरूर जिले के लोंगोवाल में आंदोलन कर रहे किसानों और पुलिस में जोरदार झड़प हुई जिसमें एसएचओ समेत कई पुलिसकर्मी व किसान घायल हो गए। वहीं, एक किसान प्रीतम सिंह की मौत हो गई है।"
बाढ़ प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिलने के खिलाफ 22 अगस्त से चंडीगढ़ में विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान कर चुके हरियाणा पंजाब के किसानों का संघर्ष सोमवार को हिंसक हो गया। मालूम हो कि हरियाणा पंजाब के 16 किसान संगठनों ने मंगलवार 22 अगस्त से चंडीगढ़ में बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया हुआ है। जिसे लेकर किसानों ने चंडीगढ़ कूच कर दिया है। जगह-जगह पर पुलिस उन्हें रोक रही है तो वहीं, प्रशासन ने एक दिन पहले ही किसान नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है। अंबाला में मीटिंग के लिए बुलाए बीकेयू शहीद भगत सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहड़ी समेत अन्य कई किसानों को भी गिरफ्तार किया गया है। वहीं, कुरुक्षेत्र में किसान नेता संदीप सिंह को भी पुलिस ने घर से उठा लिया। यही नहीं, अंबाला कुरुक्षेत्र समेत कई अन्य जिलों में भारतीय किसान यूनियन से जुड़े नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इससे गुस्साए किसान सड़कों पर उतर आए जहां कई जगह पुलिस से झड़प हुई।
बीकेयू नेताओं की किसानों से अपनी अगुवाई खुद करने की अपील
हिरासत में लेने के बाद किसान नेता अमरजीत सिंह मोहड़ी ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर किसानों से एकजुटता दिखाने की अपील की। कहा कल 22 अगस्त को किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्रित होकर चंडीगढ़ के लिए कूच करें। प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन किसान खुद की अगुवाई करते हुए आंदोलन की लड़ाई लड़े। कानून को अपने साथ में न लें।
सरकार पर किसानों की सुध न लेने के आरोप
भारतीय किसान यूनियन शहीद भगत सिंह के अध्यक्ष अमरजीत मोहड़ी ने कहा कि भारी बारिश के बाद आई बाढ़ ने खूब तबाही मचाई। हरियाणा और पंजाब की लाखों एकड़ जमीन पर खड़ी फसल खत्म हो गई, लेकिन सरकार ने किसानों की सुध तक नहीं ली। इसी सब को लेकर 22 अगस्त को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। उधर, भारतीय किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कोथ ने कहा कि अचानक आई बाढ़ से किसानों के खेतों, फसलों और गावों को 20,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार को तुरंत इसकी भरपाई करनी चाहिए।
संगरूर में एक किसान की मौत
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के होम डिस्ट्रिक्ट संगरूर जिले में किसानों और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हुई जिसमें एक किसान की मौत हो गई है। कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए। यह घटना सोमवार दोपहर के समय हुई, जब किसान पुलिस की ओर से लगाया गया पुलिस नाका तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। उसी दौरान एक किसान ट्रैक्टर ट्रॉली के नीचे आ गया जिसको बाद उसको सुदूर के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उसकी हालत नाजुक देखते उसको पटियाला रेफर किया गया लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। मृतक किसान का नाम प्रीतम सिंह था। वह संगरूर के मंडेर कला का रहने वाला था। एक और किसान जनता सिंह की इस टक्कर के दौरान टांग टूट कर बिल्कुल अलग हो गई। वहीं इस पूरे घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसमें संगरूर के सुनाम पुलिस स्टेशन के इंचार्ज दीप इंद्र सिंह भी शामिल है।
किसान इस घटना के पीछे किसान पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस के चलते उनके किसान भाई की मौत हुई है और कई किसान घायल हुए हैं। वहीं पुलिस की ओर से उनके ऊपर लाठी चार्ज किया गया है और उनके व्हीकल को तोड़ा गया है।
भारतीय किसान यूनियन आजाद के जिला स्तरीय प्रतिनिधि जसवीर सिंह मेदेवास ने बताया कि गांव मंडेर के किसान प्रीतम सिंह आंदोलन में सुबह से ही साथ रहे। लोंगोवाल से बड़बड़ जाते वक्त पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें प्रीतम सिंह समेत कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रीतम सिंह को तुरंत संगरूर अस्पताल ले जाया गया। वहां से उन्हें पटियाला रेफर कर दिया गया। मगर प्रीतम सिंह की जान नहीं बची।
ट्रैक्टर के नीचे आने से किसान की मौत
इस पूरी घटना के बाद संगरूर के एसपी पलविंदर सिंह चीमा ने साफ किया और बताया कि घटना का वीडियो सामने आया है जिस वजह से किसान की मौत हुई है वह खुद किसानों के ही ट्रैक्टर के नीचे आया है। जब किसान जबरदस्ती पोस्ट नाका तोड़कर आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने बताया कि इस वीडियो को अगर गौर से देखा जाए तो इसमें उनका एक पुलिस इंस्पेक्टर दीपेंद्र सिंह भी घायल हुए हैं जो ट्रैक्टर-ट्रॉली के बीच आ गए थे।
संगरूर के एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने कहा कि लौंगोवाल में किसान यूनियन के सदस्य संगरूर-बरनाला राष्ट्रीय राजमार्ग और बड़बर टोल प्लाजा को भी अवरुद्ध करना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन, किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियों और बसों का उपयोग करके बैरिकेड्स के माध्यम से अपना रास्ता बना लिया। कुछ लोगों ने अपने ट्रैक्टरों को बैरिकेड्स में घुसा दिया। एक इंस्पेक्टर ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे कुचले जाने से बच गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, चार अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। दूसरी ओर, प्रीतम सिंह नाम का किसान प्रदर्शनकारियों की ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे आकर घायल हो गया। उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बुजुर्ग किसान को ट्रॉली के पिछले टायर के नीचे आते हुए दिखाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। पुलिस ने कहा कि यह घटना विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ ट्रैक्टर और बस चालकों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण हुई। एसएसपी ने कहा कि विरोध हिंसक होने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर लाठियों से हमला किया। उन्होंने कहा कि स्थिति अब शांतिपूर्ण है और पुलिस ने उच्चतम स्तर का संयम बरता।
किसानों के खिलाफ केस दर्ज
एसपी संगरूर ने साफ किया कि हम इस घटना की पूरी जांच कर रहे हैं और जो धरने में शामिल थे उनको थाने में बंद किया है। इसके अलावा, हम किसानों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर रहे हैं जो उस समय ट्रैक्टर-ट्रॉली को चला रहे थे। हम इनको रोकने की कोशिश कर रहे थे, समझा रहे थे, लेकिन इन्होंने जबरदस्ती हमारे ऊपर ट्रैक्टर चलाने की कोशिश की गई। एसपी संगरूर ने साफ किया कि यह लोग चंडीगढ़-बठिंडा हाईवे पर बने टोल प्लाजा को बंद करने के लिए जा रहे थे जिसके लिए हम इनको मना कर रहे थे।
सड़कों पर उतरे किसान, कपूरथला में 44 हिरासत में, मोगा में नाका तोड़ा
कपूरथला में सोमवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेताओं ने प्रदर्शन किया। यहां पुलिस ने 44 किसानों को हिरासत लिया। इसके बाद किसान संगठनों ने हंगामा और थानों का घेराव शुरू कर दिया है।
बता दें कि पंजाब में बाढ़ से इस बार भीषण तबाही मची है। किसान संगठन नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। 22 अगस्त से चंडीगढ़ में स्थायी मोर्चा लगाने का एलान भी 16 किसान संगठन कर चुके हैं। इससे पहले पुलिस ने रविवार रात को ही छापेमारी कर किसानों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। इससे नाराज किसान संगठन सड़क पर उतर आए।
सुबह से ही तनावपूर्ण स्थिति
सुनाम विधानसभा क्षेत्र के कस्बा लोंगोवाल में सोमवार सुबह से ही संगठनों और पुलिस के बीच स्थिति तनावपूर्ण रही। नामोल और मेदेवास में भी पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी है। पुलिस से बचकर निकले भारतीय किसान यूनियन एकता आजाद के नेता जसवीर सिंह मदेवास और हैप्पी नमोल ने कहा कि प्रदेश की भगवंत मान सरकार ने किसानों को चंडीगढ़ में प्रदर्शन करने से रोकने के लिए नेताओं को गिरफ्तार कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कहा कि 16 किसान संगठन मिलकर संघर्ष कर रहे हैं और बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने भी पिछली सरकारों की तरह रास्ता अपनाया है।
मोगा में किसानों ने तोड़ा पुलिस का नाका, लुधियाना रोड जाम
मोगा से भी किसान चंडीगढ़ को रवाना होने लगे हैं। पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश में जुटी है। वहीं किसान भी अपनी जिद पर अड़े हैं। कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। फिरोजपुर रोड पर किसान गुरुद्वारा श्री तंबुमल के पास जुटे और चंडीगढ़ कूच किया। यहां पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा था। किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिया और आगे बढ़ने लगे। वहीं गांव दुनेके के पास भी पुलिस ने एक बड़ा नाका लगा रखा था। सड़क पर ट्रक खड़ा कर जाम लगा दिया गया ताकि किसान आगे न बढ़ सके। नाके नाजकारी मिलते ही किसानों ने अपना काफिला मोड़ लिया। गांवों के रास्ते से गांव मेहना पहुंचे और यहां लुधियाना रोड को किसानों ने जाम कर दिया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है।
कपूरथला में 44 किसान हिरासत में
कपूरथला में सोमवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेताओं ने प्रदर्शन किया। यहां पुलिस ने 44 किसानों को हिरासत लिया। इसके बाद किसान संगठनों ने हंगामा शुरू कर दिया और थानों का घेराव शुरू कर दिया। जोन नडाला अध्यक्ष निशान सिंह और जिला महासचिव निर्मल सिंह ने बताया कि उनके संगठन के नेताओं को रविवार को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनकी रिहाई के लिए संगठन से मिले आदेश के अनुसार नौ टोल प्लाजा पर पंजाब के किसान संगठन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान ढिलवां टोल प्लाजा पर भी किसान शांतिमय ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे। मगर पुलिस ने किसानों को हिरासत में लिया।
पुलिस ने भुलत्थ थाने में 16, बेगोवाल में 18 और ढिलवां थाने में 18 किसान को हिरासत में रखा है। निशान सिंह ने कहा कि अगर किसानों को रिहा नहीं किया गया तो संगठन बड़े स्तर पर संघर्ष करने को मजबूर होगा। भुलत्थ के डीएसपी भारत भूषण सैनी ने बताया कि उक्त किसान ढिलवां टोल प्लाजा पर धरना दे रहे थे। वहां पर हालात न बिगड़े, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया है।
अमृतसर में तीन टोल प्लाजा पर धरना शुरू
किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब से जुड़े कई किसानों को पुलिस ने या तो हिरासत में ले लिया है या उन्हें नजरबंद कर लिया गया है। जिलाध्यक्ष सतनाम सिंह, जिला सचिव एवं प्रदेश नेता हरजिंदर सिंह के नेतृत्व में किसानों ने उस्मा टोल प्लाजा, मानावाला और कत्थूनंगल पर स्थायी धरना शुरू कर इन्हें आम लोगों के लिए फ्री कर दिया। वहीं, मोगा, संगरूर और कपूरथला में भी 100 से अधिक किसानों को हिरासत में लिया गया है।
16 यूनियन विरोध प्रदर्शन में शामिल
बता दें कि फसल मुआवजे के लिए किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारती किसान यूनियन (करंती कारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) सहित 16 कृषि निकायों ने चंडीगढ़ में 22 अगस्त को प्रदर्शन की योजना बनाई है। इस पूर्व नियोजित प्रदर्शन से एक दिन पहले संगरूर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में लिया
किसानों ने दावा किया कि झड़प से पहले दिन की शुरुआत में पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया। इनमें किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर, केएमएससी के सत्कार सिंह कोटली, बीकेयू (बेहरामके) के बोहर सिंह सहित उनके कई नेताओं को हिरासत में लिया। तरनतारन जिले के एक किसान नेता ने कहा कि पुलिस ने कथित तौर पर किसान नेताओं के आवासों पर छापेमारी की और उन्हें हिरासत में लिया। किसानों ने कहा था कि वे चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में परेड ग्राउंड पर विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं। लेकिन यूटी प्रशासन चाहता था कि वे सेक्टर 25 में एक निर्दिष्ट स्थान पर प्रदर्शन करें।
शिअद ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना की
शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संगरूर में किसान की मौत के लिए आप सरकार की आलोचना की है। बादल ने एक्स पर कहा, लोंगोवाल (सीएम के गृह जिले संगरूर में) में संकटग्रस्त और शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसान प्रीतम सिंह की दिनदहाड़े मौत ने पूरे राज्य में, खासकर किसानों के बीच सदमे की लहर भेज दी है। मुख्यमंत्री मान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। यह कार्रवाई उनके आदेश पर की गई। इसे अंजाम देने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे अलोकतांत्रिक बताया। चीमा ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों और खेतिहर मजदूरों को राहत देने में बुरी तरह विफल रही है। किसान अपनी पीड़ा को उजागर करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। यह अमानवीय है। उन सभी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने भी निंदा की :
पंजाब कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, पंजाब में आप सरकार ने अपने कठोर एजेंडे को उजागर कर दिया है। कई किसान यूनियन नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। कुछ अन्य किसान नेताओं की गिरफ्तारी के लिए अभी भी छापेमारी चल रही है जो कि निंदनीय है।
किसानों की 50 हजार करोड़ के पैकेज की है मांग
किसान नेता पंजाब समेत उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं। वे फसल के नुकसान के लिए 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रुपये और बाढ़ में मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर किसान 22 अगस्त को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
किसानों की अन्य प्रमुख मांगें?
आपको बता दें कि किसान मंगलवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने वाले थे। उसके पीछे मुख्य मांग बाढ़ से फसलों और गावों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की है। किसान नेताओं के अनुसार, केंद्र सरकार को नुकसान की तुरंत भरपाई करनी चाहिए।
वहीं, अन्य प्रमुख मांगों की बात करें तो कि एक तो जो हरियाणा पंजाब में बाढ़ आई हुई है इसके लिए केंद्र सरकार एक पैकेज का ऐलान करे। दूसरा- एमएसपी के मुद्दे को लेकर एमएसपी लागू की जाए। तीसरी- कृषि कानून के खिलाफ जब दिल्ली में किसानों का धरना चला था उस समय जिन किसानों की मौत हुई थी उनके परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाए जिनको अभी तक मुआवजा और नौकरी नहीं मिली है। चौथा- दिल्ली धरना प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों के ऊपर मामले दर्ज हुए थे, जो कल पुलिस थानों में बंद हुए हैं उनको छोड़ जाए और मामले रद्द किए जाएं।
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हिरासत में लेने के बाद किसान नेता अमरजीत सिंह मोहड़ी ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर किसानों से एकजुटता दिखाने की अपील की। कहा कल 22 अगस्त को किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्रित होकर चंडीगढ़ के लिए कूच करें। प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन किसान खुद की अगुवाई करते हुए आंदोलन की लड़ाई लड़े। कानून को अपने साथ में न लें।
सरकार पर किसानों की सुध न लेने के आरोप
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संगरूर में एक किसान की मौत
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के होम डिस्ट्रिक्ट संगरूर जिले में किसानों और पुलिस के बीच जोरदार झड़प हुई जिसमें एक किसान की मौत हो गई है। कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए। यह घटना सोमवार दोपहर के समय हुई, जब किसान पुलिस की ओर से लगाया गया पुलिस नाका तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। उसी दौरान एक किसान ट्रैक्टर ट्रॉली के नीचे आ गया जिसको बाद उसको सुदूर के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उसकी हालत नाजुक देखते उसको पटियाला रेफर किया गया लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। मृतक किसान का नाम प्रीतम सिंह था। वह संगरूर के मंडेर कला का रहने वाला था। एक और किसान जनता सिंह की इस टक्कर के दौरान टांग टूट कर बिल्कुल अलग हो गई। वहीं इस पूरे घटना में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए जिसमें संगरूर के सुनाम पुलिस स्टेशन के इंचार्ज दीप इंद्र सिंह भी शामिल है।
किसान इस घटना के पीछे किसान पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस के चलते उनके किसान भाई की मौत हुई है और कई किसान घायल हुए हैं। वहीं पुलिस की ओर से उनके ऊपर लाठी चार्ज किया गया है और उनके व्हीकल को तोड़ा गया है।
भारतीय किसान यूनियन आजाद के जिला स्तरीय प्रतिनिधि जसवीर सिंह मेदेवास ने बताया कि गांव मंडेर के किसान प्रीतम सिंह आंदोलन में सुबह से ही साथ रहे। लोंगोवाल से बड़बड़ जाते वक्त पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसमें प्रीतम सिंह समेत कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रीतम सिंह को तुरंत संगरूर अस्पताल ले जाया गया। वहां से उन्हें पटियाला रेफर कर दिया गया। मगर प्रीतम सिंह की जान नहीं बची।
ट्रैक्टर के नीचे आने से किसान की मौत
इस पूरी घटना के बाद संगरूर के एसपी पलविंदर सिंह चीमा ने साफ किया और बताया कि घटना का वीडियो सामने आया है जिस वजह से किसान की मौत हुई है वह खुद किसानों के ही ट्रैक्टर के नीचे आया है। जब किसान जबरदस्ती पोस्ट नाका तोड़कर आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने बताया कि इस वीडियो को अगर गौर से देखा जाए तो इसमें उनका एक पुलिस इंस्पेक्टर दीपेंद्र सिंह भी घायल हुए हैं जो ट्रैक्टर-ट्रॉली के बीच आ गए थे।
संगरूर के एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने कहा कि लौंगोवाल में किसान यूनियन के सदस्य संगरूर-बरनाला राष्ट्रीय राजमार्ग और बड़बर टोल प्लाजा को भी अवरुद्ध करना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन, किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियों और बसों का उपयोग करके बैरिकेड्स के माध्यम से अपना रास्ता बना लिया। कुछ लोगों ने अपने ट्रैक्टरों को बैरिकेड्स में घुसा दिया। एक इंस्पेक्टर ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे कुचले जाने से बच गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, चार अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। दूसरी ओर, प्रीतम सिंह नाम का किसान प्रदर्शनकारियों की ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे आकर घायल हो गया। उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बुजुर्ग किसान को ट्रॉली के पिछले टायर के नीचे आते हुए दिखाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। पुलिस ने कहा कि यह घटना विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ ट्रैक्टर और बस चालकों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण हुई। एसएसपी ने कहा कि विरोध हिंसक होने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर लाठियों से हमला किया। उन्होंने कहा कि स्थिति अब शांतिपूर्ण है और पुलिस ने उच्चतम स्तर का संयम बरता।
किसानों के खिलाफ केस दर्ज
एसपी संगरूर ने साफ किया कि हम इस घटना की पूरी जांच कर रहे हैं और जो धरने में शामिल थे उनको थाने में बंद किया है। इसके अलावा, हम किसानों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर रहे हैं जो उस समय ट्रैक्टर-ट्रॉली को चला रहे थे। हम इनको रोकने की कोशिश कर रहे थे, समझा रहे थे, लेकिन इन्होंने जबरदस्ती हमारे ऊपर ट्रैक्टर चलाने की कोशिश की गई। एसपी संगरूर ने साफ किया कि यह लोग चंडीगढ़-बठिंडा हाईवे पर बने टोल प्लाजा को बंद करने के लिए जा रहे थे जिसके लिए हम इनको मना कर रहे थे।
सड़कों पर उतरे किसान, कपूरथला में 44 हिरासत में, मोगा में नाका तोड़ा
कपूरथला में सोमवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेताओं ने प्रदर्शन किया। यहां पुलिस ने 44 किसानों को हिरासत लिया। इसके बाद किसान संगठनों ने हंगामा और थानों का घेराव शुरू कर दिया है।
बता दें कि पंजाब में बाढ़ से इस बार भीषण तबाही मची है। किसान संगठन नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। 22 अगस्त से चंडीगढ़ में स्थायी मोर्चा लगाने का एलान भी 16 किसान संगठन कर चुके हैं। इससे पहले पुलिस ने रविवार रात को ही छापेमारी कर किसानों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। इससे नाराज किसान संगठन सड़क पर उतर आए।
सुबह से ही तनावपूर्ण स्थिति
सुनाम विधानसभा क्षेत्र के कस्बा लोंगोवाल में सोमवार सुबह से ही संगठनों और पुलिस के बीच स्थिति तनावपूर्ण रही। नामोल और मेदेवास में भी पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी है। पुलिस से बचकर निकले भारतीय किसान यूनियन एकता आजाद के नेता जसवीर सिंह मदेवास और हैप्पी नमोल ने कहा कि प्रदेश की भगवंत मान सरकार ने किसानों को चंडीगढ़ में प्रदर्शन करने से रोकने के लिए नेताओं को गिरफ्तार कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कहा कि 16 किसान संगठन मिलकर संघर्ष कर रहे हैं और बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने भी पिछली सरकारों की तरह रास्ता अपनाया है।
मोगा में किसानों ने तोड़ा पुलिस का नाका, लुधियाना रोड जाम
मोगा से भी किसान चंडीगढ़ को रवाना होने लगे हैं। पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश में जुटी है। वहीं किसान भी अपनी जिद पर अड़े हैं। कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। फिरोजपुर रोड पर किसान गुरुद्वारा श्री तंबुमल के पास जुटे और चंडीगढ़ कूच किया। यहां पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखा था। किसानों ने बैरिकेड तोड़ दिया और आगे बढ़ने लगे। वहीं गांव दुनेके के पास भी पुलिस ने एक बड़ा नाका लगा रखा था। सड़क पर ट्रक खड़ा कर जाम लगा दिया गया ताकि किसान आगे न बढ़ सके। नाके नाजकारी मिलते ही किसानों ने अपना काफिला मोड़ लिया। गांवों के रास्ते से गांव मेहना पहुंचे और यहां लुधियाना रोड को किसानों ने जाम कर दिया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है।
कपूरथला में 44 किसान हिरासत में
कपूरथला में सोमवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेताओं ने प्रदर्शन किया। यहां पुलिस ने 44 किसानों को हिरासत लिया। इसके बाद किसान संगठनों ने हंगामा शुरू कर दिया और थानों का घेराव शुरू कर दिया। जोन नडाला अध्यक्ष निशान सिंह और जिला महासचिव निर्मल सिंह ने बताया कि उनके संगठन के नेताओं को रविवार को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनकी रिहाई के लिए संगठन से मिले आदेश के अनुसार नौ टोल प्लाजा पर पंजाब के किसान संगठन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान ढिलवां टोल प्लाजा पर भी किसान शांतिमय ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे। मगर पुलिस ने किसानों को हिरासत में लिया।
पुलिस ने भुलत्थ थाने में 16, बेगोवाल में 18 और ढिलवां थाने में 18 किसान को हिरासत में रखा है। निशान सिंह ने कहा कि अगर किसानों को रिहा नहीं किया गया तो संगठन बड़े स्तर पर संघर्ष करने को मजबूर होगा। भुलत्थ के डीएसपी भारत भूषण सैनी ने बताया कि उक्त किसान ढिलवां टोल प्लाजा पर धरना दे रहे थे। वहां पर हालात न बिगड़े, इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया है।
अमृतसर में तीन टोल प्लाजा पर धरना शुरू
किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब से जुड़े कई किसानों को पुलिस ने या तो हिरासत में ले लिया है या उन्हें नजरबंद कर लिया गया है। जिलाध्यक्ष सतनाम सिंह, जिला सचिव एवं प्रदेश नेता हरजिंदर सिंह के नेतृत्व में किसानों ने उस्मा टोल प्लाजा, मानावाला और कत्थूनंगल पर स्थायी धरना शुरू कर इन्हें आम लोगों के लिए फ्री कर दिया। वहीं, मोगा, संगरूर और कपूरथला में भी 100 से अधिक किसानों को हिरासत में लिया गया है।
16 यूनियन विरोध प्रदर्शन में शामिल
बता दें कि फसल मुआवजे के लिए किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारती किसान यूनियन (करंती कारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) सहित 16 कृषि निकायों ने चंडीगढ़ में 22 अगस्त को प्रदर्शन की योजना बनाई है। इस पूर्व नियोजित प्रदर्शन से एक दिन पहले संगरूर के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में लिया
किसानों ने दावा किया कि झड़प से पहले दिन की शुरुआत में पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया। इनमें किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर, केएमएससी के सत्कार सिंह कोटली, बीकेयू (बेहरामके) के बोहर सिंह सहित उनके कई नेताओं को हिरासत में लिया। तरनतारन जिले के एक किसान नेता ने कहा कि पुलिस ने कथित तौर पर किसान नेताओं के आवासों पर छापेमारी की और उन्हें हिरासत में लिया। किसानों ने कहा था कि वे चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में परेड ग्राउंड पर विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं। लेकिन यूटी प्रशासन चाहता था कि वे सेक्टर 25 में एक निर्दिष्ट स्थान पर प्रदर्शन करें।
शिअद ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना की
शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संगरूर में किसान की मौत के लिए आप सरकार की आलोचना की है। बादल ने एक्स पर कहा, लोंगोवाल (सीएम के गृह जिले संगरूर में) में संकटग्रस्त और शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसान प्रीतम सिंह की दिनदहाड़े मौत ने पूरे राज्य में, खासकर किसानों के बीच सदमे की लहर भेज दी है। मुख्यमंत्री मान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। यह कार्रवाई उनके आदेश पर की गई। इसे अंजाम देने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे अलोकतांत्रिक बताया। चीमा ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों और खेतिहर मजदूरों को राहत देने में बुरी तरह विफल रही है। किसान अपनी पीड़ा को उजागर करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। यह अमानवीय है। उन सभी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने भी निंदा की :
पंजाब कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, पंजाब में आप सरकार ने अपने कठोर एजेंडे को उजागर कर दिया है। कई किसान यूनियन नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। कुछ अन्य किसान नेताओं की गिरफ्तारी के लिए अभी भी छापेमारी चल रही है जो कि निंदनीय है।
किसानों की 50 हजार करोड़ के पैकेज की है मांग
किसान नेता पंजाब समेत उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं। वे फसल के नुकसान के लिए 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रुपये और बाढ़ में मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर किसान 22 अगस्त को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
किसानों की अन्य प्रमुख मांगें?
आपको बता दें कि किसान मंगलवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने वाले थे। उसके पीछे मुख्य मांग बाढ़ से फसलों और गावों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की है। किसान नेताओं के अनुसार, केंद्र सरकार को नुकसान की तुरंत भरपाई करनी चाहिए।
वहीं, अन्य प्रमुख मांगों की बात करें तो कि एक तो जो हरियाणा पंजाब में बाढ़ आई हुई है इसके लिए केंद्र सरकार एक पैकेज का ऐलान करे। दूसरा- एमएसपी के मुद्दे को लेकर एमएसपी लागू की जाए। तीसरी- कृषि कानून के खिलाफ जब दिल्ली में किसानों का धरना चला था उस समय जिन किसानों की मौत हुई थी उनके परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी जाए जिनको अभी तक मुआवजा और नौकरी नहीं मिली है। चौथा- दिल्ली धरना प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों के ऊपर मामले दर्ज हुए थे, जो कल पुलिस थानों में बंद हुए हैं उनको छोड़ जाए और मामले रद्द किए जाएं।
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